99:- " DISEASE FREE WORLD"
     "बेवक़ूफ लोग अक़लमंदों केलिए वरदान"
    एक कहावत हम सभी ने सुनी है - " जब तक इस धरती पर बेवक़ूफ ज़िंदा है, अक़लमंद कभी भूखा नहीं मरेगा।" 
   आज "कोरोनावायरस" के माहौल में ये कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। कोरोनावायरस कोई नया नहीं है, बल्कि इसके पहले भी ये पहली बार 1965 में US में 229 E के नाम से, 2004 में NL 63 के नाम से NETHERLANDS में, सन् 2005 में HKU 1 के नाम से HONGKONG में अपनी धौंस जमा चुका है। मतलब ये है कि ये जो NOVEL CORONA VIRUS बताकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है और डराया जा रहा है, इसके पीछे का साइंस और कामर्स समझना होगा।
    यह है कोरोना कीड़ा, मुझे इस कीड़े की कई बातें बेहद पसन्द हैं।
   ये इतना ज़्यादा ईमानदार है कि पहले से प्रशासन को इन्फ़ॉर्म करता है कि मैं किस दिन से किस दिन तक बाहर खुला घूमने निकलूँगा, बाक़ायदा आगाह करता है कि मैं सैटरडे और संडे को बाहर घूमने आऊँगा।
   इसको नाइट लाइफ़ बेहद पसन्द है, रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक घूमने निकलता है।
    ये दोस्ती निभाने वाला बड़ा दिलदार कीड़ा है, कोई इन्सान किसी भी वजह से मर जाए तो ये महान कीड़ा उसका इल्ज़ाम अपने सर ले लेता है कि इन सब को मैंने मारा है।
   इतने लचीले स्वभाव का है कि साबुन से धोने पर ही घुल जाता है और अपने प्राण न्योछावर कर देता है।
   शर्मीला इतना ज़्यादा है कि पूरी उम्र जिस्म में छुपा हुआ बैठा रहेगा लेकिन किसी तरह की कोई तकलीफ़ नहीं देगा जब तक टेस्ट न करवाया जाए।
   वचन का इतना धनी है कि 50 लोग जब तक समारोह में होंगे तब तक किसी का कुछ बुरा नहीं करेगा, 51 होते ही कोहराम मचा देगा।
   ये प्रेमी स्वभाव का है, अपने दिल की सभी बातें अपने ख़ास दोस्त WHO को बताता है कि कब क्या करने वाला है।
   इतना सब्र वाला है कि कई कई घण्टों तक दुकानों के बाहर इन्तिज़ार करता रहता है कि 8 बजे से एक मिनट भी ऊपर हो तो जाकर किसी को पकड़ लूँ, उससे पहले नहीं।
   शेर जैसे स्वभाव का महान शिकारी है, किसी भी टू-व्हीलर पर हमेशा पीछे से हमला करके पीछे बैठे हुए व्यक्ति को पकड़ता है, ड्राइवर को बख़्श देता है।
   अगर कोई "काग़ज़ का पास" लेकर बाहर निकलता है तो उसको भी कुछ नहीं कहता, बग़ैर "पास" बाहर घूमने वालों पर कुपित हो जाता है।
   शराब प्रेमी भी बड़ा है ये कीड़ा जैसे ही 80 फीसदी अल्कोहल की ख़ुशबू पाता है मदहोश हो जाता है और अपनी सारी शक्तियों को खो देता है।
कोरोना वाक़ई बहुत महान कीड़ा है।
   वायरस चाहे जितना भी बुरा हो, बड़ा हो, असल में ये वैसा है ही नहीं जितना बुरा, ख़तरनाक और बड़ा बताया गया है, बल्कि इस वायरस से ज़्यादा ख़तरनाक तो इसका इलाज है।आज सारी दुनिया कोरोनावायरस के ईलाज केलिए दवा ढूंढने में लगी है। अलग-अलग कंपनियों के दावे सामने आ रहे हैं। जबकि दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि आप वायरस को कभी भी किसी भी दवा से नहीं मार सकते। WHO ने इस कोरोनावायरस को एक ऐसा भयंकर तबाही मचाने वाला वायरस बताया कि करोड़ों लोग मारे जाएंगे। जबकि सच्चाई तो यह है कि लोग वायरस से नहीं मरे, बल्कि EXPERIMENTAL DRUGS (REMDESIVIR, ANTIPYRETIC, ANTIMALARIAL, HIV-AIDS,  ANTIBIOTICS) से लोगों को मौत के घाट उतारा गया है। 
   हमारे मेडिकल साइंस में एक नया विषय अवश्य शामिल करना चाहिए - "थेथेरोलौजी"। जब सब जानते हैं कि वायरस की दवा नहीं बन सकती तो क्या वजह है कि ज़बरदस्ती ज्ञान पेलने वालों की लाइन लगी है कि अमुक अमुक दवाएं वायरस को मार देंगे, घोर कलयुग है भाई ! कंपनियों में होड़ मची है कोरोनावायरस की दवा बनाने की।सत्य से परे, दिमाग़ से परे, लोगों को भ्रम में डाल कर, डरा कर अपना "धंधा" करना है।
  इस धरती पर मानव निवास से पहले से ही वायरस का वास है और अंत तक रहेगा ही।हम सब वायरस से हमेशा घिरे हुए हैं। वायरस से बचने की चिंता तो हमें करना ही नहीं चाहिए, ये हमारा काम है ही नहीं और जिसका काम है उसी को करने देना चाहिए। 
   हमें वायरस से सुरक्षित रखने वाला ख़ुद का "इम्युनिटी पॉवर" है, जिसका केवल सहयोग हमलोग करेंगे तो हमें पता भी नहीं चलेगा कि कब कौन सा वायरस हमारे शरीर में आया और आकर चला भी गया।
   हमें तो बस इतना ही करना था कि अपने इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाने पर ज़ोर देते, सरकार को भी इस इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाने के तरीक़े से लोगों को अवगत करा देती। लेकिन अंधी निकम्मी सरकार और सरकारी कारिंदे जो दिन रात "ऐलोपैथिक फार्मास्युटिकल कंपनियों" के "व्यापार" को बढ़ाने केलिए जुटी हैं, जो "अरबों खरबों डालर" का "कारोबार" कर रही हैं और लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रही हैं।ये सब जानबूझ कर किया जा रहा है और ये जो पब्लिक है बिल्कुल "मासूम" जैसे "गिनी पिग" बन कर रह गई है, अस्पतालों में भर्ती होकर मरने को तैयार बैठी है। 
   ज़रा सोचिए, जिस वायरल डीज़ीज़ का ईलाज घर में ही है, उस के लिए लोग अस्पतालों में लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं। अस्पतालों की बेशर्मी और ढिठाई तो देखिए कि उनको ज़रा भी अफसोस नहीं है कि उनके पास जब दवा है ही नहीं तो इतनी बड़ी बड़ी रक़म क्यों और कैसे वसूल रही हैं।
   बस, बात वहीं पर आकर रूक जाती है - " जबतक इस धरती पर बेवक़ूफ ज़िंदा है अक़लमंद कभी भी भूखा नहीं मरेगा।"
एक चैलेंज:- मैंने एक ही यूनानी दवा बनाई है जिसका नाम HEALTH IN BOX® है। इस एक दवा से सभी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ सदा के लिए REVERSE हो जाती हैं। क्योंकि सारी बीमारियां सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण से होती हैं। और वो कारण है:-"ग्लूकोज़" और "इन्सुलिन" का "इम्बैलेंस" होना।" तो सिर्फ इस "इम्बैलेंस" को "रिबैलेंस" कर देने भर से ही कोई भी बीमारी सदा केलिए रिवर्स हो जाती है। (इस विधि को "यूनिवर्सल ला आफ रीबैलेंसिंग" कहा जाता है।) यानी हर वो बीमारी जिसमें डॉक्टर फ़ेल हो जाते हैं और आपको ऐलोपैथिक दवा ज़िन्दगी भर खाने को बता दिया करते हैं, ठीक उसके उलट मेरी दवा HEALTH IN BOX® का सेवन शुरू करते ही सबसे पहले तो बरसों से आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बनी ऐलोपैथिक दवा बंद हो जाएगी और मेरी इस दवा को चार, छः या नौ महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के क़ाबिल हो जाएंगे।
   आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।
    इस दवा की पैकिंग एक महीना केलिए 240 ग्राम होती है जिसकी क़ीमत मात्र ₹ 3000/- है। हिन्दुस्तान में हर जगह स्पीड पोस्ट से ये दवा भेजी जाती है।
HAKEEM MD ABU RIZWAN
          BUMS,hons.(BU)
        UNANI PHYSICIAN
Spl in LIFESTYLE DISEASES
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