राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने विषय विशेषज्ञों को अपने विषय के बारे में नए सिरे से सोचने का अवसर प्रदान किया है
छात्र डिग्री लेने के बाद रोजगार के लिए भटके नहीं, वह स्वयं इतने स्किल्ड हों कि नौकरी न मिलने की स्थिति में स्वरोजगार कर सकें
- मोनिका एस गर्ग
लखनऊ 06 नवम्बर 2020
अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा, श्रीमती मोनिका एस गर्ग की अध्यक्षता में आज पाठ्यक्रम समिति एवं विषय विशेषज्ञों का ओरियंटेशन प्रोग्राम संपन्न हुआ, जिसमें 100 विषय विशेषज्ञ ने प्रतिभाग किया। श्रीमती मोनिका एस गर्ग ने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने विषय विशेषज्ञों को अपने विषय के बारे में नए सिरे से सोचने का अवसर प्रदान किया है, जिससे हमारे छात्र डिग्री लेने के बाद रोजगार के लिए भटके नहीं, वह स्वयं इतने स्किल्ड हों कि नौकरी न मिलने की स्थिति में स्वरोजगार कर सकें।
अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा ने समिति के सदस्यों को पाठ्यक्रम समिति के उद्देश्य से परिचित कराते हुए कहा कि समिति का मुख्य उद्देश्य प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे समिति द्वारा बनाए गए न्यूनतम समान पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप पुनः संयोजित (त्म.ेजतनंबजनतम) करना है, जिससे उसे आगामी सत्र से प्रदेश में लागू किया जा सके। उन्होंने अवगत कराया कि पाठ्यक्रम पुनः संयोजित करने के लिए त्रिस्तरीय समिति बनाई गई है। जिनमें एक राज्य राज्य स्तरीय समिति, 05 सुपरवाइजर समिति बनाई गई हैं तथा प्रत्येक सुपरवाइजर समिति विभिन्न विषयों के लिए विषय विशेषज्ञ की 03 सदस्य समिति बनाएगी ।
सुपरवाइजर समिति सर्वप्रथम प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे समिति द्वारा बनाए गए 25 विषयों के पाठ्यक्रमों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप तैयार करेगी। उसके पश्चात अन्य विषयों एवं स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम का निर्धारण करेगी। समिति विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम को एक समान संरचना पर तैयार करेगी जिससे विद्यार्थी आसानी से विभिन्न कक्षाओं में प्रवेश और निकास (म्गपज.मदजतल) कर सकें। उन्होंने अवगत कराया कि पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप मेजर एवं माइनर विषयों के साथ साथ ऐच्छिक एवं अनिवार्य विषय भी होंगे। अब छात्रों को मुख्य विषय के साथ साथ, रोजगार परक पाठ्यक्रम, नैतिक शिक्षा एवं मूल्यों, स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता, डिजिटल साक्षरता, व्यक्तित्व विकास, कम्युनिकेशन स्किल का भी अध्ययन करना होगा जिससे छात्रों का सर्वांगीण विकास होगा एवं उनको रोजगार भी प्राप्त होगा। यह आमूलचूल परिवर्तन करने का अवसर है, परंतु हमें पाठ्यक्रम निर्धारित करते वक्त अपनी आधारभूत संरचना एवं लिमिटेशन का ध्यान रखना होगा। आने वाले समय में ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी छात्र कर सकेंगे और उनके क्रेडिट ट्रांसफर द्वारा वे उनका प्रयोग अपनी डिग्री में कर सकेंगे।
उन्होंने विषय विशेषज्ञों से कहा कि आप एक उच्च स्तरीय, रोजगार परक एवं नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए खुले मन से पाठ्यक्रम बनाइए जिससे यह वर्तमान एवं भविष्य के छात्रों के लिए लाभकारी हो, आप जो अपने विषय के बारे में अब तक सोचते हैं परंतु वह किसी न किसी कारण से लागू न हो सका है, उस उन सबको अपने पाठ्यक्रम के अंत में रिकमेंडेशन के रूप में दीजिए शासन स्तर पर उस पर विचार किया जाएगा। पाठ्यक्रम बनाते वक्त वे विषय जिनमें अभी तक प्रैक्टिकल नहीं थे सिर्फ थ्योरी आधारित पाठ्यक्रम थी वे भी अपने पाठ्यक्रम में प्रैक्टिकल के बारे में सोचें जैसे हिंदी, संस्कृत भाषा के पाठ्यक्रम में स्क्रिप्ट राइटिंग, फोनिक्स, अनुवाद, लैंग्वेज लैब आदि को प्रैक्टिकल के रूप में देखा जा सकता है।
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