गोंडा। चार दिवसीय डाला छठ पर व्रत सूर्योदय को अर्घ्य व पूूजा के साथ शनिवार को संपन्न हो गया। शनिवार को सैकड़ों महिलाएं व पुरुष सुबह चार बजे ही नदी व पोखरे पर पहुंचे और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया।
नगर के खैरा भवानी मंदिर पोखरे पर बनाई गई पिंडी पर सैकड़ों लोग एकत्र हुए। सभी पूजा करने के बाद सूर्योदय का इंतजार करते रहे। जैसे ही सूर्यदेव उदित हुए महिलाओं ने अर्घ्य दिया और अपने परिवार की सुरक्षा का वर मांगा। इसके बाद अपने घर पहुंच महिलाओं ने अपने पतियों की पूजा कर व्रत तोड़ा। इसी के साथ पर्व का समापन हो गया। कोविड होने के बावजूद त्योहार मनाने में कोई संकोच नहीं दिखा। बड़े ही उत्साह के साथ त्योहार मनाया गया।
कोरोना को हराने के लिए पूरे मनोयोग से की आराधना
इटियाथोक (गोंडा)। शनिवार को उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बिसुही नदी के तट पर महिलाएं इकट्ठा हुईं। शुक्रवार को चार दिवसीय छठ महापर्व का पहला अर्घ्य दिया गया था। छठ व्रतियों ने कहा कि इस बार कोरोना वायरस को हराने के लिए हम पूरी आस्था के साथ सूर्य देव को याद कर रहे हैं। जब कोरोना पर विजय होगी तो अगले वर्ष फिर से श्रद्धा का सैलाब उमड़ेगा। छठ व्रतियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो। इसके लिए यहां पर कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। बिसुही नदी का यह स्थान छठ पूजा को लेकर आस्था और विश्वास का केंद्र बन गया है। यहां पर क्षेत्र की महिलाएं छठ पूजा करने के लिए आती हैं। सुधा सोनी ने बताया कि यहां पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है। बिसुही नदी के घाट पर सीढ़ियों का निर्माण कराये जाने की आवश्यकता है।
कड़ी साधना का व्रत है छठ पर्व
मसकनवा। छठ पूजा मनाने वाले व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर कड़ी साधना करके व्रतियों ने छठी मइया और सूर्य भगवान से अपनी संतानों, पति व परिवार की खुशियां मांगीं। शुक्रवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद व्रतियों ने पूरी रात जगकर बिताई भोर में सूर्य उगने से पहले व्रती घाट पर पहुंचकर भगवान सूर्य के निकलने का इंतजार शुरू कि तब तक घाटों पर छठ के गीत गूंजते रहे। ज्यों ही पूरब दिशा में भगवान सूर्य की लालिमा दिखी व्रतियों ने विधि-विधान से पूजा अर्चना कर उन्हें अर्घ्य अर्पित करने के साथ उपवास खोला। इस दौरान महिलाओं ने पूजा-अर्चना की।
कोरोना को हराने के लिए पूरे मनोयोग से की आराधना
इटियाथोक (गोंडा)। शनिवार को उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बिसुही नदी के तट पर महिलाएं इकट्ठा हुईं। शुक्रवार को चार दिवसीय छठ महापर्व का पहला अर्घ्य दिया गया था। छठ व्रतियों ने कहा कि इस बार कोरोना वायरस को हराने के लिए हम पूरी आस्था के साथ सूर्य देव को याद कर रहे हैं। जब कोरोना पर विजय होगी तो अगले वर्ष फिर से श्रद्धा का सैलाब उमड़ेगा। छठ व्रतियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो। इसके लिए यहां पर कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। बिसुही नदी का यह स्थान छठ पूजा को लेकर आस्था और विश्वास का केंद्र बन गया है। यहां पर क्षेत्र की महिलाएं छठ पूजा करने के लिए आती हैं। सुधा सोनी ने बताया कि यहां पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है। बिसुही नदी के घाट पर सीढ़ियों का निर्माण कराये जाने की आवश्यकता है।
कड़ी साधना का व्रत है छठ पर्व
मसकनवा। छठ पूजा मनाने वाले व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर कड़ी साधना करके व्रतियों ने छठी मइया और सूर्य भगवान से अपनी संतानों, पति व परिवार की खुशियां मांगीं। शुक्रवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद व्रतियों ने पूरी रात जगकर बिताई भोर में सूर्य उगने से पहले व्रती घाट पर पहुंचकर भगवान सूर्य के निकलने का इंतजार शुरू कि तब तक घाटों पर छठ के गीत गूंजते रहे। ज्यों ही पूरब दिशा में भगवान सूर्य की लालिमा दिखी व्रतियों ने विधि-विधान से पूजा अर्चना कर उन्हें अर्घ्य अर्पित करने के साथ उपवास खोला। इस दौरान महिलाओं ने पूजा-अर्चना की।
रिपोर्टः शुभम् गुप्ता संवाद न्यूज़ गोण्डा से
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