*मिनी ब्रांच संचालक के साथ साथ शाखा प्रबन्धक इण्डियन बैंक (इलाहाबाद बैंक)डुहवामिश्र के विरुद्ध अभियोग दर्ज
*
*पुरोहित भी बने बैंक ठगी के शिकार*

गोण्डा //इलाहाबाद बैंक डुहवामिश्र व उसके द्वारा संचालित मिनी ब्रांच नरायनपुर द्वारा सैकडों उपभोक्ताओं के धन गमन के प्रकरण में बैंक के उच्चाधिकारियों की भूमिका के जांच के सम्बन्ध में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को सम्बोधित ग्यापन आज तहसीरदार हर्रैया को सौंपते हुए कहा कि इलाहाबाद बैंक डुहवामिश्र के मिनी ब्रांच नरायनपुर के खाताधारकों के खाते से गमन किये गये रूपयों के पीछे बैंक के उच्चाधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध है । 
विदित हो कि करोड़ों के गोलमाल में कुशलावती पत्नी छठ्ठीराम,राधिका पत्नी रामतेज,शीला पत्नी देवी प्रसाद, सूर्यप्रकाश शुक्ला पुत्र रामरूप शुक्ल,शान्ती पत्नी बाबूलाल, शैनाजबानो पुत्री मो.इसराइल सहित नरायनपुर,पौली,डुहरिया,बसडीला,नदायें सहित कई गांवों के सैकडों खाताधारकों का करोडों रूपया गमन करने के पीछे मिनी ब्रांच के संचालक द्वारा न केवल खाताधारकों के अनपढ, गंवार, सीधेपन व स्थानीयता के विश्वास का फायदा उठाते हुए पूर्व में एक निकासी पर कई बार अंगूठा लगवाते हुए निकासी फार्म भरवाते हुए  तथा चेक व ट्रांजक्शन का फायदा उठाते हुए धन गमन हुआ अपितु जालसाजों ने पुरोहित रामविशाल मिश्र को भी नहीं बक्शा उनका भी तीन लाख पचास हजार हडप लिया । दबाव देने पर फर्जी चेक थमा दिया संचालक के इस कृत्य के पीछे बैंक व्यवस्था व बैंक कर्मी भी जिम्मेदार हैं । कारण तमाम ऐसे खाताधारकों के बैंक स्टेटमेंट ऐसे हैं जिनके खाते से विगत कापी दिनों से जब भी निकासी हुई एक ही दिन में कई बार हुई जिसको लेकर उच्चाधिकारियों ने पूर्व में कोई सवाल क्यों नहीं किया इतना ही नही तमाम जमाकर्ताओं के पास बैंक का जमा स्लिप तो है । मगर उनका पैसा उनके खाते में अंकित नहीं है इस सन्दर्भ में आज इलाहाबाद बैंक डुहवामिश्र आयें बैंक के जोनल हेड से बात किय तो उन्होंने कहा कि जमा पर्ची कोई प्रमाण नहीं है जो कि सम्पूर्ण बैंक व्यवस्था पर बडा सवाल है कि आये दिन बैंकों के प्रिंटर बंद रहते है जिससे पब्लिक का पासबुक प्रिंट नहीं हो पाता बैंक स्लिप मान्य नहीं है तो जनता विश्वास किस पर करे बैंक एफ.डी.व पासबुक के आधार पर ही जनता सहारा बैंक से धन पाने की हकदार है तो आर.बी.आई. के अधीन चलने वाले बैंकों की जमा पर्ची मान्य क्यों नहीं है । निश्चित तौर पर जिम्मेदारों का यह बयान या तो गैरजिम्मेदाराना है अथवा व्यवस्था में व्यापक सुधार की जरूरत है । मिनी ब्रांच को उतने ही पैसे जमा करने या निकालने का अधिकार होना चाहिए जितना उनकी सिक्योरटी मनी हो  एक दिन में अंगूठे से महज एक निकासी हो ताकि अंगूठा न एक्सेप्ट करने के नाम पर कई बार अंगूठा लगवाते हुए भोली जनता को ठगा न जा सके गौरतलब है कि इलाहाबाद बैंक डुहवा के भी कुछ जिम्मेदार कर्मचारियों ने इस बीच अपना स्थानांतरण भी करा लिया इतना ही नहीं करोडों की हेराफेरी अजय मिश्र के चल अचल सम्पत्तियों से सिद्ध भी नहीं हो रहा है उपर्युक्त तथ्यों के अवलोकन से इसबात को पूर्ण बल मिलता है कि प्रकरण में अन्य लोगों का भी योगदान है।
         मांग किया है कि ब्रांच संचालक सहित बैंक के सभी कर्मचारियों के विरूद्ध सुसंगत धाराओं के तहत कार्यवाही सुनिश्चित कराते हुए उनकी व उनके परिवार व सगे सम्बन्धियों के खातों की जांच कराते हुए त्वरित पीडितों को न्याय दिलायें वरन हम पीडितों संग आने वाले दिनों में बैंक का घेराव कर धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगें कारण जनसुविधा के नाम पर मिनीब्रांच सुविधा कम लूट के केन्द्र अधिक साबित हो रहे हैं।
        एस.ओ.हर्रैया द्वारा नरायनपुर मिनी ब्रांच संचालक व डुहवामिश्र के शाखा प्रबन्धक अभिषेक सक्सेना के विरुद्ध आई.पी.सी.की धार 419,420,409के तहत अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है।
सभी दोषियों की गिरफ्तारी कराते हुए जनता को न्याय न मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।


अरविन्द कुमार पाण्डेय 
गोण्डा 

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने