मिर्जापुर। एक बार फिर शुक्रवार को मौसम का मिजाज बिगड़ गया। आसमान में उमड़ते घुमड़ते बादलों ने गलन और ठंड को बढ़ा दिया। सुबह और शाम को पड़ रही धुंध का भी असर मौसम पर दिख रहा है। ठंड के चलते बढ़ी गलन से सड़कों पर लोग गर्म कपड़ों में नजर आए। ठंड से निजात पाने के लिए गर्म कपड़ों की दुकानों पर भी लोगों की भीड़ देखी जा रही है।
नगर के वासलीगंज, घंटाघर, तेलियागंज, मुकेरी बाजार, त्रिमुहानी, गिरधर चौराहा, रमईपट्टी, महुवरिया, स्टेशन रोड, संगमोहाल समेत अन्य बाजारों में अधिकांशत: लोग गर्म कपड़ों की खरीदारी में जुटे रहे। ठंडक बढ़ने से मफलर आदि की मांग बढ़ गई। फूटपाथों के अलावा दुकानों पर गर्म कपड़ों से दुकानें सज गई हैं। शाम होते ही कोहरा हो जा रहा है। आवागमन में भी समस्या आ रही है।
ठंडक शुरु, नगर समेत ग्राम्यांचलो में अलाव की व्यवस्था नहीं
मिर्जापुर। नवंबर माह के अंत में ठंडक जहां परवान चढ़ रही है वहीं नगर समेत ग्राम्यांचलों में कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। सुबह और शाम सार्वजनिक स्थानों पर लोग ठिठुरते नजर आ रहे हैं।
रैन बसेरा, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, मंडलीय चिकित्सालय समेत जिला महिला अस्पताल के आसपास अलाव की व्यवस्था न होने से यात्रियों व मरीजों के साथ आ रहे तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जिगना, ठंड दस्तक दे चुकी है। चौराहो और तिराहों पर कहीं भी प्रशासन के अलाव नजर नहीं आ रहे हैं। हाट और बाजारो में राहगीर ठंड से कांपते देखे जा रहे हैं। जिलाप्रशासन अथवा सामाजिक संगठनो की ओर से अभी तक क्षेत्र में कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है। विजयपुर, गैपुरा, हरगढ़, श्रीनिवास धाम, खैरा, जोपा, नौगांव, जिगना, गैपुरा, बिहसड़ा, कुशहां, भटेवरा, खम्हरिया कला, नरोइया, कटरा, बरईबरी, दुबहा, बदेवरानाथ, विमलेश्वर महादेव, पाली आदि क्षेत्रों में गिरधारी पाल, देवीशंकर शुक्ला, केशराज यादव व साहबलाल शुक्ल आदि ने जिला प्रशासन से अलाव जलाने की मांग की है।
बादलों से बढ़ी किसानों की बेचैनी
मिर्जापुर। पिछले सप्ताह हुए बारिश से किसान उबर नहीं पाए कि एक बार फिर आसमान में उठे बादलों से किसानों की बेचैनी बढ़ गई है। फसलों की कटाई और मड़ाई लगभग समाप्त हो चुकी है। श्रमिकों के अभाव में अभी तक ज्यादातर किसानों की फसल खलिहानों में पड़ी हुई है। रबी की फसल के लिए खेतों का पलेवा कर अधिकांश किसानों द्वारा सिंचाई कर दी गई है। यदि बारिश हो गई तो उनकी खेती पिछड़ जाएगी। सिंचाई करने वाले किसानों के खेतों में बुआई अभी तक नहीं हो सकी है। किसानों का मानना है कि यदि फिर से बारिश हो गई तो खेती काफी पिछड़ जाएगी

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