गोबर से दीये और हवन की लकड़ियां बनाएंगी दीदियां
स्वयं सहायता समूह की दीदियां अब गोबर के दीये बनाने के साथ हवन के लिए गोबर की लकड़ियां भी बनाएंगी। इससे आजीविका संचालन में मदद मिलने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में सहयोगी बनने के साथ ही बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने में भूमिका निभा सकेंगी। गोबर के उत्पादों की मांग बढ़ने पर लोग बेसहारा पशुओं को छोड़ने के बजाय उनको पालने के लिए प्रेरित होंगे। मिशन कायाकल्प का हिस्सा बनीं चैनपुरवा की महिलाओं को आजीविका संचालन के लिए प्रशासन की ओर से नित नई कवायद की जा रही है। यह कार्य भी उसी कड़ी का हिस्सा है।
पुलिस अधीक्षक के मिशन कायाकल्प से चैनपुरवा गांव की महिलाओं को हुनरमंद बनाकर रोजगार से जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। गांव में संचालित पांच स्वयं सहायता समूह व दो प्रस्तावित समूह की दीदियों को अलग-अलग रोजगार से जोड़ा जाएगा। कुछ महिलाएं गाय के गोबर से दीये, हवन की लकड़ियां, सामग्री तैयार करेंगी तो कुछ समूह की दीदियां धूपबत्ती, अगरबत्ती के साथ पूजा के समय प्रयोग होने वाली रुई की बत्तियों का निर्माण करेंगी। शेष समय में स्टोल में गाठें लगने व मिठाई के डिब्बे तैयार करने में दिन व्यतीत करेंगी।
सूरतगंज ब्लॉक के कजियापुर मजरे चैनपुरवा गांव में करीब तीन माह पहले प्रत्येक घरों में कच्ची शराब की भट्टियां धधक रही थी। पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविद चतुर्वेदी ने बदलाव की मुहिम चलाकर ग्रामीणों को न सिर्फ कच्ची शराब अवैध कारोबार के दलदल से निकाला बल्कि विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की भी कवायद कर रहे हैं। गांव की महिलाओं ने करीब सात लाख मोम के दीये बनाकर दीवाली पर सात लाख से अधिक की आय अर्जित की थी। अब यहां कि 70 से अधिक महिलाएं स्वेदशी उत्पाद बनाने का कार्य करेंगी। गोबर उत्पाद तैयार करने वाली शालिनी से गांव की महिलाएं गोबर से दीये, हवन की लकड़ियां, धूप आदि सामग्री के साथ पूजे के लिए दीपक व आरती में प्रयोग होने वाले दो तरहे की रुईयों की बत्तियां, सुगंधित धूपबत्ती व अगरबत्ती से रोजगारपरक बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगी। एक जिला एक उत्पाद में चयनित स्टोल के खुशहाल कारीगर बांसा के अब्दुल्ला यहां कि महिलाओं को स्टोल के धागों में गाठें लगने को प्रशिक्षित करेंगे।
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