जबतक दवाई नही तबतक ढिलाहि नही ।
क़े नियम पर कोरोना से बचने केलिए लोगों को कार्य करने की सख्त जरूरत हैै लेकिन लोग कोबिड से बचाव क़े नियमों को सख्ती से नही पालन करते जिससे संक्रमण क़े फैलाने क़े आसार बढ़ते जा रहे हैं । विशेषज्ञों द्वारा लगातार मास्क लगाने क़े सुझाव और कोरोना से बचने का बेहतर विकल्प को अनदेखा किया जा रहा हैै ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर नामी डाक्टर, एक्सपर्ट्स विशेषज्ञ और बुद्धिजीवी कोरोना से बचाव केलिए यहीं मूल सलाह दे रहे हैं । लेकिन आमजन हैै कि सोशल डिस्टेंसिंग कि बात कौन कहे ना मास्क लगाते हैं ना कोरोना जैसे भयानक महामारी को गंभीरता से लेते हुये दिखाई दे रहे हैं । ठण्ड की आमद क़े साथ ही कोरोना अपने दूसरे रूप मे कई बड़े राज्यों मे प्रभाव दिखता प्रतीत हो रहा हैै ।
जनपद बलरामपुर क़े छोटे बाजारों से लेकर बड़े बाजारों, आम जगहों, सड़कों और जिला मुख्यालय मे लगभग कई जगहों तक लोग बिना मास्क क़े खुले आम घूमते आसानी से देखें जा सकते हैं । इसके लिए किसे जिम्मेदार माना जाए । कानून का डंडा आखिर कबतक लोगों क़े पीठ पर चलता रहे । इस भयंकर महामारी मे लोगो की जागरूकता और संयम ही सबसे महत्वपूर्ण औषधि हैै । जबतक दवाई नही तबतक ढिलाहि नही जैसे सुरक्षाके सूत्र लोग नही मानते । अब साशन को ही कड़े और बेहद सख्त कदम उठाने की जरूरत हैै । जैसा दिल्ली मे अरविन्द केजरीवाल ने उठाते हुये बिना मास्क क़े मिलने पर दो हजार क़े जुर्माने क़े प्रावधान का नियम सख्ती से लागू करना ही चाहिए । तभी लोग जुर्माना से बचने क़े लिए मास्क क़े बिना नही निकलेंगे ।
उमेश चन्द्र तिवारी
हिन्दी संवाद न्यूज़
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