अहरौरा। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए बेचूबीर बाबा का परंपरागत मेला इस बार नहीं लगेगा। हालांकि पुजारी परिवार परंपरागत ढंग से बाबा की पूजा करेगा। वहीं, श्रद्घालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ मास्क लगाकर जरूरी होगा। मेला को लेकर बुधवार को अहरौरा थाना परिसर में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये।
मेला आयोजकों तथा पुजारी परिवार के साथ बैठक के दौरान अपर पुलिस अधीक्षक ऑपरेशन महेंद्र सिंह अत्री ने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण के दौरान लोगों को जागरूक किया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए परंपरागत पूजा कराई जाएगी। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसको रोकने के लिए हर संभव जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
बेचू बीर बाबा की परंपरागत वार्षिक पूजा का हवाला देते हुए आयोजकों ने प्रशासन से विधिवत पूजा अर्चना की मांग की थी। बैठक के दौरान मौके पर पहुंचे एडिशनल एसपी ऑपरेशन ने कहा कि ऐतिहासिक पूजा के दौरान चौरी के आसपास दुकानें नहीं लगाई जाएंगी। पूजा स्थल से जुड़े संपूर्ण क्षेत्र में दुकान सजाना पूर्णतया प्रतिबंधित रहेगा। केवल पूजा स्थल पर पारंपरिक चौरी पर पूजा कराया जा सकेगा। इस अवधि के दौरान बाबा की चौरी पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को जागरूक करते हुए जगह-जगह कोविड संक्रमण से जुड़े बैनर पोस्टर तथा उनसे बचाव के उपाय का पालन करने की अपील की जाएगी। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए फोर्स की तैनाती की जाएगी।
बेचू बीर बाबा के पुजारी परिवार तथा शक्तिपीठ बरहिया माता के साथ संयुक्त प्रशासनिक बैठक के दौरान आयोजक मंडल की ओर से पुजारी परिवार के अधिवक्ता रोशन लाल यादव ने भीड़ जुटने तथा उनको रोकने के संबंध में अपनी असमर्थता जता दी है। कहा कि पारंपरिक पूजा का निर्वहन मात्र उनकी जिम्मेदारी है। भीड़ को प्रशासन अपने स्तर से नियंत्रित करने के लिए स्वतंत्र है। बैठक के दौरान थानाध्यक्ष राजेश चौबे ने भारी भीड़ की संभावना जताते हुए अपेक्षित सहयोग की अपील की।
अष्टमी से लेकर एकादशी तक चलेगा बेचूबीर बाबा की पारंपरिक पूजा
अहरौरा । प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन इस बार भी अष्टमी से लेकर एकादशी तक किया जाएगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में इस पूजा विधान की परंपरा पूर्व से ही चली आ रही है। भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक रोक के चलते इस वर्ष पूजा परंपरा को लेकर अटकलें लगाई जा रही थी। बुधवार को प्रशासन और पुजारी परिवार के संयुक्त बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इस बार भी तीन दिवसीय मेले में पूजा की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने