माटीकला प्रदर्शनी में आज 5.33 लाख रुपये के मिट्टी से निर्मित
उत्पादों की बिक्री
लखनऊ, दिनांक 10 नवम्बर 2020
अपर मुख्य सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग डा0 नवनीत सहगल ने बताया कि खादी भवन में आयोजित 10 दिवसीय माटीकला प्रदर्शनी में आज 5.33 लाख रुपये के मिट्टी से निर्मित उत्पादों की बिक्री हुई है।
डा0 सहगल ने बताया कि मेले में गोरखपुर के टेराकोटा, आजमगढ़ की ब्लैक पाॅटरी, खुर्जा के मिट्टी के बर्तन सहित लखनऊ, कुशीनगर, मिर्जापुर, चंदौली, उन्नाव, बलिया, कानपुर, पीलीभीत, प्रयागराज, वाराणसी और अयोध्या के मिट्टी से बने उत्पाद उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि दीवाली के अवसर पर आयोजित इस मेले में पारंपरिक कारीगरों द्वारा निर्मित लक्ष्मी-गणेश मूर्तियां और तरह-तरह के डिजाइनर दीये आकर्षण का केन्द्र है और इन उत्पादों की बिक्री में भी बढ़ोत्तरी हो रही है।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में परंपरागत कुम्हारी का कार्य करने वाले कारीगरों के उन्नयन एवं परंपरागत कला को पुनर्जीवित कराये जाने के उद्देश्य से माटी कला बोर्ड द्वारा कारीगरों के चिन्हीकरण के उपरान्त मिट्टी हेतु तालाब आवंटन, तकनीकी प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता के साथ-साथ उन्नत टूलकिट्स जैसे विद्युत चलित चाक, पगमिल एवं आधुनिक भट्टी इत्यादि का वितरण किया जा रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2700 कुम्हारी चाक, 56 अदद पेटिंग मशीन, 60 अदद दीया मेकिंग मशीन तथा दीपावली के दृष्टिगत गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां बनाने हेतु 150 जोड़े पीओपी मास्टर का वितरण कराया गया है।
उत्पादों की बिक्री
लखनऊ, दिनांक 10 नवम्बर 2020
अपर मुख्य सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग डा0 नवनीत सहगल ने बताया कि खादी भवन में आयोजित 10 दिवसीय माटीकला प्रदर्शनी में आज 5.33 लाख रुपये के मिट्टी से निर्मित उत्पादों की बिक्री हुई है।
डा0 सहगल ने बताया कि मेले में गोरखपुर के टेराकोटा, आजमगढ़ की ब्लैक पाॅटरी, खुर्जा के मिट्टी के बर्तन सहित लखनऊ, कुशीनगर, मिर्जापुर, चंदौली, उन्नाव, बलिया, कानपुर, पीलीभीत, प्रयागराज, वाराणसी और अयोध्या के मिट्टी से बने उत्पाद उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि दीवाली के अवसर पर आयोजित इस मेले में पारंपरिक कारीगरों द्वारा निर्मित लक्ष्मी-गणेश मूर्तियां और तरह-तरह के डिजाइनर दीये आकर्षण का केन्द्र है और इन उत्पादों की बिक्री में भी बढ़ोत्तरी हो रही है।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में परंपरागत कुम्हारी का कार्य करने वाले कारीगरों के उन्नयन एवं परंपरागत कला को पुनर्जीवित कराये जाने के उद्देश्य से माटी कला बोर्ड द्वारा कारीगरों के चिन्हीकरण के उपरान्त मिट्टी हेतु तालाब आवंटन, तकनीकी प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता के साथ-साथ उन्नत टूलकिट्स जैसे विद्युत चलित चाक, पगमिल एवं आधुनिक भट्टी इत्यादि का वितरण किया जा रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2700 कुम्हारी चाक, 56 अदद पेटिंग मशीन, 60 अदद दीया मेकिंग मशीन तथा दीपावली के दृष्टिगत गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां बनाने हेतु 150 जोड़े पीओपी मास्टर का वितरण कराया गया है।
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