उ प्र / प्रदेश मे चल रहे शिक्षक एमएलसी चुनावों को लेकर प्रत्याशियों का सघन जनसंपर्क गति काफी पकड़े हुये हैै । यहीं नही इन प्रत्याशियों क़े समर्थक भी स्कूलों मे जाकर शिक्षकों से अपने प्रत्याशी क़े लिए वोट देने की अपील कर रहे हैं ।
इस चुनाव क़े लिए आगामी एक दिसम्बर को वोट डाले जाएंगे ।
बताते चलें कि गोरखपुर-अयोध्या निर्वाचन क्षेत्र जो पहले गोरखपुर -फैजाबाद से था क़े नाम से इस क्षेत्र मे प्रदेश क़े कुल 17 जनपदों क़े 94 विधानसभाओं क़े 198 मतदान बूथों पर 40164 मतदाता चुनाव लड़ रहे 16 प्रत्याशियों क़े भाग्य का फैसला करेंगे ।
बात यदि इसी क्षेत्र क़े सबसे चर्चित और निर्णायक क्षेत्र देवीपाटन मण्डल की करें तो इस बार यहाँ क़े चारों जनपदों क़े लिए कुल 34 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं ।
इनमें बहराइच मे 07 श्रावस्ती जिले मे 05, बलरामपुर मे - 10 और गोण्डा जनपद मे कुल 12 बूथों मे वोट डाले जाने हैं ।
इन्हीं जिलों मे आदि शक्ति मा देवीपाटन की भूमि बलरामपुर जनपद मे कुल 1311शिक्षक मतदाता हैं । ये 1311शिक्षक मतदाता जिले मे निर्धारित 10 पोलिंग बूथों पर मतदान क़े द्वारा अपने शिक्षक विधायक का चुनाव उनके नाम क़े आगे -1 लिखकर करेंगे।
बताते चलें कि विगत चुनाव मे इस फैजाबाद-गोरखपुर निर्वाचन क्षेत्र से मा.शि.संघ शर्मा गुट क़े ध्रुव कुमार त्रिपाठी निर्वाचित हुये थे । जो इस साल भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं । इस बार चुनाव मे कुल 16 लोग विधायक का सपना संजोये अध्यापकों (मतदाताओं) से वोट कि गुहार लगा रहे हैं ।
चूंकि इस बार वित्तविहीन विद्यालयों क़े शिक्षक भारी मात्रा मे मतदाता बने हैं इसलिए सभी प्रत्याशियों को वित्तविहीन शिक्षकों क़े वोट केलिए खासा कसरत करनी पड रही हैै । वित्त विहीन शिक्षकों क़े मुद्दों को प्राथमिकता क़े साथ सदन मे रखने क़े वादे सभी प्रत्याशियों द्वारा किए जा रहे हैं ।
प्रबल दावेदारों मे माने जा रहे वित्त विहीन शिक्षक महासभा क़े अजय सिंह को इस लड़ाई मे अहम किरदार माना जा रहा हैै । वित्त विहीन शिक्षकों की माने तो इस बार सदन मे ज्यादा से ज्यादा वित्तविहीन शिक्षक पंहुचने वाले हैं। जो मानदेय दिलाने , समानकार्य सामान वेतन सहित वित्त विहीन शिक्षकों की अन्य समस्याओं क़े लिए सदन मे कानून बनाने क़े लिए लड़ेंगे । प्रदेश मे जब शिक्षा क़े लिए वित्त विहीन की भागीदारी सबसे ज्यादा हैै मतदाता सबसे ज्यादा हैै तो हमारे संगठन का प्रतिनिधि सदन में कम रहें ये पंहुचे ये उचित नही ।
वहीं अटेवा , निर्दलीय सहित अन्य संगठन क़े प्रत्याशी भी शिक्षकों क़े हितों क़े लिए कानून पास कराने क़े वादों क़े साथ मतदाताओं क़े बीच जा रहे हैं ।
फिलहाल हार जीत का तो निर्णय अभी भविष्य क़े गर्भ मे हैै लेकिन आम जनता से हटकर हो रहे इस चुनाव ने भी अपना पूरा रंग पकड़ रखा हैै । इसका मतदान तो 1 दिसम्बर को होगा वहीं परिणाम 3 दिसंबर को आ जाएगा ।
उमेश चन्द्र तिवारी
हिन्दी संवाद न्यूज़
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