पीएम मोदी कोरोना को लेकर देश की जनता से मंगलवार शाम को रू-ब-रू हुए। इस दौरान उन्‍होंने अपने संबोधन में कबीर के एक दोहे से लोगों को सचेत करते हुए कोरोना के दौरान सावधानी बरते को कहा। सावधानी की पीएम की यह बात देशवासियों को लिए इसलिए भी प्रासंगिक है क्‍योंकि दिल्‍ली में कोरोना के कहर कम होते ही लोग थोड़े लापरवाह होते दिख रहे हैं। अक्‍सर बाजार या सब्‍जियों की दुकानों पर ऐसे मंजर खास तौर पर दिख जाते हैं, जहां लोग बिना मास्‍क के दिख जाते हैं। लोग शारीरिक दूरी का भी ख्‍याल नहीं  रखते हैं। आइए जानते हैं पीएम ने ने पहले इस दोहे का किया जिक्र-

पकी खेती देखिके, गरब किया किसान।

अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान।

क्‍या है दोहे के मायने

कबीर ने इस दोहे के माध्‍यम से लोगों को खुशी को देखकर सचेत रहने के लिए कहा गया है। इसमें यह बताया गया कि जब खेती की फसल पक जाती है, तब किसान उसे देख कर गर्व करता है। खुश होता है। हालांकि यहां उसे ज्‍यादा सचेत रहने की जरूरत है क्‍योंकि फसल को घर तक लाने में काफी मेहनत करनी होती है। इस दौरान जरा भी लापरवाही भी आपको नुकसान पहुंचा सकती है।


कोरोना संकट के इस दौर में क्‍यों जरूरी है यह कबीर का दोहा

फिलहाल कोरोना के इस संकट के दौर में कबीर के दोहे से यह सीख लेने के लिए मोदी ने कहा है कि अभी फिलहाल दवाई आने तक सचेत रहने की जरूरत है। अभी कई वैक्‍सीन का ट्रायल चल रहा है। ऐसे में हमें ज्‍यादा खुश और बेफिक्र होने की जरूरत नहीं है।संकट का दौर अभी टला नहीं है। ऐसे दौर में हमें ज्‍यादा सावधानी बरतनी है। मास्‍क लगाना है और शारीरिक दूरी का खास खयाल रखना होगा। तभी हम कोरोना की चेन को तोड़ने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे।
वहीं पीएम ने एक और दोहा कहा आइए जानते हैं दूसरे दोहे के मायने- 

रिपु रज पावक पाप प्रभुअहि गनिअ न छोट करि।

अस कहि बिबिध बिलाप करि लागी रोदन करन ।।

दोहे के मायने-

प्रधानमंत्री ने रामचरित मानस का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें हमारे लिए शिक्षा भी है और चेतावनी भी। उन्होंने जो सोरठा पढ़ा। उसका अर्थ निम्न है: शत्रु, रोग, अग्नि, पाप, स्वामी और सर्प को छोटा करके नहीं समझना चाहिए। ऐसा करनेे वाले अक्‍सर गलती कर जाते हैं।

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