ईश्वर में आस्था वास्तिवक तभी होती है जब आप उन्हें जानते है और जानने का सबसे सरल तरीका है उपलब्ध जानकारियों को समझना और विचार करके जीवन मे उतारना । आज हिन्दीसंवाद विशेष में बात इन सज्जन की जिन्होंने पिछले पांच दशक से अधिक समय से रामायण को आत्मसात कर रहे है । इस अवधि में अनगिनत बार पूरी रामायण इन्होंने पढ़ी है । ईश्वर का प्रभाव और उपलब्धि भी खास होती है । आज सारा समाज इन्हें इनके वास्तविक नाम से नही बल्कि सीताराम नाम से ही जानता है ।
जब मैंने इनसे फ़ोटो खीचने की बात कही तो सीधे नम्र स्वर में बोले भैया बिना राम सीता के मेरी फ़ोटो कैसी । आप रुको प्रभु की फ़ोटो वाला पेज खोल लूं । अंतर्मन से शांत सरल और सबको सम्मान देने वाले व्यक्तिव से मुलाकात करने अपने आप मे अलग है । आप इनके पूरे इतिहास में इनसे जुड़ा एक भी विवाद नही पाएंगे । जीवन के युवावस्था में ही जीवन की सच्चाई समझ चुके थे तभी तो आज इतनी बड़ी उपलब्धि है जो किसी जन सामान्य के लिए अवश्य ही असाधारण है ।

लॉक-डाउन अवधि में जब सारी दुनिया रामायण देख रही थी वही इन जैसे न जाने कितने अदृश्य व्यक्तिव है जो राम के आदर्शों को समझ कर जीवन मे उतार रहे है साथ ही समाज को संतुलित रहने में अपना अनूठा सहयोग दे रहें है । मेरे पूछने पर की आपकी उपलब्धि इस किताब को पढ़ने से क्या है ? उनका कहना था राम जी साथ है इससे अधिक की चाह हमे कुछ नही ।

जीवन मे मैने भी एक बार रामायण पढ़ी है और मैं उस समय के एहसास और भावनाओं को अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में मानता हूं जिसे आज जीवन मे कई कठिन परिस्थितियों से बाहर आ पाया हूँ । फिर आप स्वयं सोचिये जो व्यक्ति पिछले 5 दशक यानी 50 वर्षो से पढ़ रहा है उसके सम्मुख भी पहुचना आपके जीवन की सुखद घटना होगी ।

ऐसे आदर्श और प्रभाव सिर्फ राम जी के अनुकरणीय लोगो का हो सकता है । जय श्री राम...

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