अम्बेडकर नगर: इस्लाम की शिक्षा के हिसाब से वतन से मोहब्बत ईमान कि निशानी है और जब वतन हिन्दुस्तान जैसा हो तो यह ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है क्यूंकि कर्बला में जब हज़रत अली(अ.स.) के बेटे,पैगम्बरे इस्लाम(स.अ.व.अ.) के नवासे,सय्यादुस शोहदा,फातहे कर्बला इमाम हुसैन (अ.स.) को यज़ीद की फ़ौज ने रोका तो इमाम हुसैन (अ.स.) ने कहा 'मुझे हिंद चले जाने दो ,मुझे वहां से मोहब्बत की खुशबू आती है.(इस बात का ज़िक्र कुछ ब्लोगर्स पहले भी कर चुके हैं ),लेकिन तख़्त ओ ताज की हवास ने यज़ीद और उसकी फ़ौज को अँधा कर दिया था ,की बज़ाहिर मुसलमान होते हुए भी उन्होंने नबी के नवासे जिसकी मोहब्बत अल्लाह ने कुरान में वाजिब करार दी है को भूखा प्यासा शहीद कर दिया. न सिर्फ हुसैन (अ.स.) को बल्कि उनके भाइयों और साथियों,यहाँ तक की छ: महीने के हुसैन (अ.स.) के बेटे अली असगर(अ.स.) को भी गले में तीर मारकर शहीद कर दिया गया. आज जब मै इन आतंकवादियों के घटिया कारनामो को देखता हूँ कि कहीं दो महीने की बच्ची तो कहीं १ साल का बच्चा या और बेगुनाह लोग धमाके में मारे गए,तो मुझे कर्बला याद आती है और यह आतंकवादी मुझे आज के यज़ीद नज़र आते हैं.हो न हो यह नस्ले यज़ीद ही हैं. इनसे इंसानियत शर्मिंदा है. एक बात तो साबित है कि इस्लाम देशभक्ति ही सिखाता है,इस कथन की रौशनी में अगर कोई वतन से मोहब्बत नहीं रखता तो उसका ईमान मुक़म्मल नही है.और आज के दौर में हिन्दुस्तान का मुसलमान इस बात को समझता है और देश से मोहब्बत करता है। हम सब हिन्दू-मुसलमान -सिख-ईसाईयों और जितने भी मज़हब हिंदुस्तान में हैं उन सब के माने वालों को एक साथ खड़े होकर भारत के हर दुश्मन का मुकाबला करना चाहिए।

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