अंबेडकरनगर। नवरात्र से एक दिन पहले ही समूचा जिला भक्तिमय हो गया। जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक देवी मंदिरों में सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली गईं। जलालपुर नगर की प्रसिद्ध मंदिर श्री शीतला माता मठिया मंदिर में भोर से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया । शीतला माता के मंदिर में पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने अपने घर पर कलश स्थापित किया । मंत्रोच्चार के बीच कलश की स्थापना कर विशेष पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई। वहीं, अन्य मंदिरों में शनिवार को कलश की स्थापना विधि-विधान से की जाएगी। श्रद्धालुओं ने बाजारों में पहुंचकर पूजा-अर्चना से संबंधित सामग्री की खरीदारी की। उधर, दुर्गा पूजा पर्व को देखते हुए एक तरफ जहां ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा पंडालों को तैयार करने का कार्य तेज हो गया है, वहीं दुर्गा प्रतिमाओं को भी तैयार करने में कारीगर जुटे रहे।बाबा बल्लू दास ने बताया कि नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। बताया कि सर्वप्रथम माँ दुर्गा की शैलपुत्री के रूप में पूजा की जाती है। हिमालय से जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री है । और इनका नाम वृषारूढ़ा भी है क्योंकि ये माता वृषभ की सवारी करती है। यही देवी प्रथम दुर्गा है और इनको माता सती के नाम से भी जाना जाता है
इन पर एक धार्मिक कथा प्रचलित हैं माता सती के पिता दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में शिव जी को छोड़ कर बाकी सभी देवताओं को आमंत्रण मिला था। फिर भी सती माता उस यज्ञ में जाना चाहती थी बहुत ज्यादा अग्रह किया तब शिव जी ने उन्हें जाने का आदेश दे दिया । वहाँ जाने के बाद सती माता को बस उनकी माता ने ही सम्मान दिया । लेकिन उनकी बहनो द्वारा व्यंग्य और अपमानजनक बाते सुनने को मिला। सती माता के पिता जी भी उन्हें अपमानित किया और शिवजी के लिए अपमानजक बाते कहा जिससे अपने पति का अपमान होते हुए नही सुन सकी। ज्यादा क्रोध में आकर अपने आप को उसी हवन कुंड मे भस्म कर लिया । और यह देख कर शिव जी ने उस यज्ञ को नष्ट कर दिया ।
इस प्रकार अगले जन्म में शैलराज हिमालय के पुत्री के रूप मे जन्म लिया इनका नाम पार्वती रखा गया और शैलराज की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री और हेमवती देवी के नाम से भी जाना जाता हैं।ये भी शिवजी की अर्द्धांगिनी बनी और इनकी शक्ति अनन्त है।
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