अंबेडकरनगर। खेतों में धान की पराली जलाने पर रोक से किसानों में नाराजगी । किसानों का कहना है कि सरकार सिर्फ निर्देश जारी करने में व्यस्त है, किसानों के समस्याओं के समाधान की तरफ गंभीरता नहीं दिखायी जाती। सरकार को पशुआश्रय केन्द्रों पर पराली की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार को पहल करना चाहिए कि जो किसान पराली देने के लिए तैयार हैं, उनकी फसल की कटाई सरकार को अपने खर्चे पर करानी चाहिए। इससे एक तरफ किसानों का लाभ होगा तो दूसरी तरफ किसान खेतों पराली जलाने से भी बचेंगे।
बताते चलें कि इन दिनों किसानों के अगेती धान की फसल खेतों में तैयार हो चुकी है। किसान धान की कटाई में जुट भी गए हैं। धान की कटाई शुरु होने के साथ ही प्रशासन खेतों में पराली जलाने को सख्त नजर आ रहा है। आए दिन किसानों को हिदायत दी जा रही है कि खेतों में पराली जलाने पर जुर्माना लगाया जाएगा। प्रशासन की इस नीति से किसानों में आक्रोश का माहौल देखने को मिल रहा है।
किसानों का कहना है कि एक तो उपज तैयार करने में किसानों को भारी रकम खर्च करनी पड़ती है, अब ऊपर से मशीन से कटाई के बाद पराली को एकत्रित करने का भी खर्च उठाना पड़ेगा। इससे उन्हें और भी नुकसान होगा। किसानों का कहना है कि शासन प्रशासन को पशु आश्रय केन्द्रों पर पराली की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार को पहल करनी चाहिए कि जो किसान पराली देने के लिए तैयार हैं, उनके फसलों की कटाई प्रशासन अपने निजी खर्च पर कराए। इससे किसानों को भी लाभ होगा, और प्रशासन को भी।
अकबरपुर के किसान नरेन्द्र सिंह, रामजतन तिवारी व प्रमोद वर्मा का कहना है कि सरकार को किसानों को प्रताड़ित करने की बजाए उनकी मदद करने के लिए आगे आना चाहिए। यदि सरकार पराली के लिए किसानों के धानों की कटाई कराए तो किसान इसमें पूरा सहयोग करेंगे। इससे एक तरफ प्रशासन जहां प्रदूषण को रोकने में सफल होगा, वहीं किसानों को आर्थिक चपत लगने से बचाया जा सकता है। महरुआ के किसान अभिमन्यू वत्स, रामबहोर, जयनरायण आदि ने प्रशासन से इस तरह के पहल की मांग की है। कहा कि जो किसान पराली देने के लिए तैयार हैं, उनकी फसलों को प्रशासन खुद के खर्च पर कटाए।
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