अंबेडकरनगर। लगभग 20 वर्षों से संचालित स्वास्थ्य उपकेंद्र अरिया को मौजूदा समय में खुद ही इलाज की जरूरत है। उपकेंद्र का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। दीवारों व छतों में दरारें पड़ गई हैं। बारिश होने पर छत टपकती है। इससे यहां इलाज के लिए आने वाली गर्भवती को विभिन्न प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय लोगों द्वारा कई बार संबंधित स्वास्थ्य उपकेंद्र की मरम्मत कराए जाने की मांग जिम्मेदारों से की गई, लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। नतीजा यह है कि इसका खामियाजा यहां इालज के लिए आने वाली गर्भवती को भुगतना पड़ता है।
गर्भवती को इलाज के लिए जिला अस्पताल तक की दौड़ न लगानी पड़े, इसके लिए लगभग 20 वर्ष पूर्व अरिया में स्वास्थ्य उपकेंद्र की स्थापना की गई थी। यहां न सिर्फ सामान्य डिलेवरी होती है, बल्कि जच्चा व बच्चा का इलाज भी होता है। गर्भवती की देखभाल व सामान्य डिलेवरी के लिए एक एएनएम की भी तैनाती की गई है। उपकेंद्र की स्थापना का लाभ भी अरिया व आसपास की गर्भवती को मिल रहा था।
समय बीतने के साथ ही उपेक्षा के चलते धीरे-धीरे यह उपकेंद्र अपनी उपयोगिता खोता जा रहा है। देखरेख के अभाव में उपकेंद्र भवन अत्यंत जर्जर हो चुका है। दीवारों व छत के प्लास्टर जगह जगह से उखड़ चुके हैं। दीवारों व छतों में दरारें उत्पन्न हो गई हैं। बारिश होने पर छतें टपकती हैं, जिससे कक्ष में पानी भर जाता है। भूमि का प्लास्टर भी उखड़ गया है। जगह-जगह गड्ढे उत्पन्न हो गए हैं।
नतीजा यह है कि समुचित व्यवस्था न होने के चलते यहां इलाज के लिए आने वाली महिलाओं की संख्या भी कम होने लगी है। एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर अमर उजाला टीम को बताया कि एक तो यहां कोई व्यवस्था नहीं रह गई है, उस पर बच्चा पैदा कराने के नाम पर धनउगाही भी की जाती है। इसकी शिकायत कई बार जिम्मेदारों से की भी गई, लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई।
नतीजा यह है कि इसका खामियाजा यहां इलाज के लिए आने वाली महिलाओं को भुगतना पड़ता है। उधर एएनएम शोभावती ने बताया कि भवन की मरम्मत के लिए कई बार जिम्मेदारों को पत्र लिखा गया है। इस बीच सीएमओ डा. अशोक कुमार ने बताया कि भवन की मरम्मत कराने के लिए शासन को पत्र भेजा गया है।
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