विंध्याचल। शारदीय नवरात्र मेले के चौथे दिन मंगलवार को लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने मां विंध्यवासिनी की चौखट पर हाजिरी लगाई। दर्शन-पूजन किया। मातारानी के दर्शन के लिए चारो पहर आरती व शृंगार बाद जैसे ही मंदिर के कपाट खुल रहे कतारबद्ध श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी के जयकारे लगाते हुए दर्शन के लिए बढ़ रहे।
मंगलवार का दिन होने के नाते मंगलवारी करने वाले भक्तों की भारी भीड़ रही। धाम की गलियां दिनभर भक्तों से पटी रहीं। मंगला आरती के बाद जैसे ही गर्भगृह के कपाट खुले मां विंध्यवासिनी के जयकारे से धाम की समस्त गलियां गुंजायमान हो गईं। न्यू वीआईपी, पुरानी वीआईपी के रास्ते आने वाले भक्त गर्भगृह में पहुंचकर गुड़हल, कमल के फूल के साथ की रत्न जड़ित हारों से हुए शृंगार बाद माता के भव्य स्वरूप को देख भक्त निहाल हो उठे। दर्शन व पूजन के दौरान पुलिस, प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही श्री विंध्य पंडा समाज के नेतृत्व में लोग लगे रहे।
शारदीय नवरात्र के दौरान स्थानीय विंध्याचल रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव न होने से आस्थाधाम स्थित विभिन्न वाहन स्टैंड दो, चार पहिया वाहन से पटे हुए हैं। ऐसे वाहनों के चलते जहां विंध्याचल में खाली मैदान में वाहन नजर आ रहे हैं वहीं बतरतर तिराहा के आसपास प्रतिदिन सड़को पर दर्शनार्थियों को जाम के झाम से जूझना पड़ रहा है।
मां विंध्यवासिनी के दर्शन बाद दुकानों पर हो रही खरीदारी से दुकानदार चैत नवरात्र का गम भूल गए। शृंगार व खिलौनों की दुकानों के अलावा चुनरी व लाठी के दुकानों पर ग्राहक रुककर खरीदारी में जुटे हुए हैं। कोरोना संकट के बावजूद स्थानीय के साथ ही दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु के देवी धाम पहुंचने का क्रम जारी देख नारियल, माला-फूल व प्रसाद बेचने वाले दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं।
शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को विंध्याचल मेला क्षेत्र में हाथी लेकर घूसने जैसे मामले को प्रशासन ने गंभीरता से लिया। मेला में किसी प्रकार का व्यवधान न हो इसके लिए ध्वनि विस्तारक यंत्र से सुरक्षाकर्मियों को न सिर्फ चौकस किया बल्कि निर्देशित कर हाथी को बाहर निकलवाया गया।
शारदीय नवरात्र पर विंध्यधाम की समस्त गंगाघाटो पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही। विभिन्न स्टैंडों पर वाहनों से उतरने वाले श्रद्धालु सीधे गंगाघाटों की ओर कूच करते दिखे। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाने के बाद मां गंगा के पूजन बाद धाम की गलियों में सजी दुकानों से माला, फूल व प्रसाद लेकर बड़े श्रद्धा भाव से मां के दरबार की ओर जाने वाले गलियों में कतारबद्ध हो गए।

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