अदलहाट। जलशक्ति मिशन परियोजना के शिलान्यास पर पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद अनुप्रिया पटेल ने डीएम सुशील कुमार पटेल से चार सूत्री सवाल क्या पूछा, जिला प्रशासन में खलबली मच गई। रातों रात क्षेत्र के कुकीहीपुर (गोठौरा ) गांव में दो सौ करोड़ की लागत से बनने वाले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (जल शोधन संयंत्र) के शिलान्यास का शिलापट्ट हटा लिया गया।
सांसद अनुप्रिया पटेल ने जिलाधिकारी से पूछा था कि इस परियोजना की शुरूआत कर दी गई जिसकी जानकारी उनको मीडिया के तमाम माध्यमों से मिली है। इसमें उनको या किसी अन्य जनप्रतिनिधि को क्यों नहीं बुलाया गया। इसके साथ ही उन्होंने औचित्य का प्रश्न उठाया था। पत्र मिलते ही जिला प्रशासन बैकफुट पर आ गया। पहले तो जिला प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया कि किसी भी प्रकार का शिलान्यास या उद्घाटन नहीं हुआ है। वहीं सोमवार की रात एसडीएम व पुलिस बल की मौजूदगी में शिलापट्ट ही हटा लिया गया। मौके पर केवल वहीं दीवार खड़ी मिली जिसमें शिलापट्ट लगाया गया था। दो सौ करोड़ की इस परियोजना से जुड़ा एक कार्यक्रम शनिवार को प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री रमाशंकर सिंह पटेल की उपस्थिति में हुआ था। इसका मेघा इंजीनियरिंग एण्ड इंन्फ्रास्ट्रक्चर लि. के परियोजना प्रबंधक एडी श्रीधर द्वारा आयोजित कार्यक्रम के तहत शिलान्यास कराया गया था। परियोजना प्रबन्धक द्वारा शिलापट्ट पर राज्य सभा सांसद अरुण सिंह, राज्यसभा सदस्य राम सकल व सांसद अनुप्रिया पटेल की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न होना लिखा था, लेकिन आरोप है कि सांसद, विधायक को सूचना नहीं दिया गया। इससे नाराज सांसद अनुप्रिया पटेल द्वारा विशेषाधिकार हनन क कार्रवाई की चेतावनी के बाद सोमवार की देर रात पुलिस फोर्स के साथ शिलापटृ को हटाया गया। प्रभारी निरीक्षक प्रमोद कुमार यादव ने बताया कि रात में उपजिलाधिकारी चुनार सुरेंद्र बहादुर सिंह की मौजूदगी में शिलापट्ट हटाया गया। साथ ही प्रशासन का दल शिलापट्ट को अपने साथ ले गया। वहां केवल दीवार ही बची है जिसपर शिलापट्ट चिपकाया गया था।
शिलान्यास दोबारा मुख्यमंत्री से कराना क्या उनकी गरिमा के अनुकूल
- सांसद का फिर फूटा लेटर बम
मिर्जापुर। लगातार तीसरे दिन, मंगलवार को एक बार फिर लेटर बम फूटा। जल मिशन से जुड़े शिलान्यास को लेकर एक बार फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद अनुप्रिया पटेल ने जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल को पत्र लिखकर कई सवाल दागे। सांसद ने पूछा है कि जिस परियोजना का शिलान्यास कराया जा चुका है उसका पुन: शिलान्यास मुख्यमंत्री या जल शक्ति मंत्री भारत सरकार से कराया जाना क्या उनकी गरिमा के अनुकूल होगा?
डीएम के इस दावे पर कि अभी कोई शिलान्यास या लोकार्पण नहीं हुआ है, सांसन ने पत्र में पूछा है कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत मिर्जापुर में स्वीकृत 2127 करोड़ के कार्यों में से ग्राम गोठौरा में अगर शिलान्यास का कार्यक्रम नहीं था तो निजी कार्यदायी संस्था मेधा द्वारा शिलान्यास कार्यक्रम के नाम से निमंत्रण पत्र क्यों छपवाया गया। वहीं यह भी पूछा है कि शिलान्यास का शिलालेख क्यों लगाया गया? अगर शिलान्यास कार्यक्रम नहीं हुआ तो 19 अक्तूबर की रात शिलालेख क्यों हटाया गया?
अपमान या राजनीतिक खींच तान, जोरों पर चर्चा
- सांसद की ओर से एक के बाद एक लेटर बम फोड़ा जा रहा है। इसमें जिलाधिकारी पर आरोप व सवाल जवाब के साथ ही विशेषाधिकार हनन पर कार्रवाई तक की चेतावनी दे डाली गई। इसको लेकर लोगों में तरह तरह की चर्चा है। जहां कुछ लोग इसे सांसद के अपमान से जोड़कर देख रहे हैं तो वहीं राजनीतिक खींच तान को भी कहीं कहीं जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। शिलान्यास मामले में प्रशासन के बैकफुट पर आने से उस पूरे कार्यक्रम पर सवाल खड़े हो गए हैं। वहीं शामिल माननीयों की साख में बट्टा लगा
सांसद अनुप्रिया पटेल ने जिलाधिकारी से पूछा था कि इस परियोजना की शुरूआत कर दी गई जिसकी जानकारी उनको मीडिया के तमाम माध्यमों से मिली है। इसमें उनको या किसी अन्य जनप्रतिनिधि को क्यों नहीं बुलाया गया। इसके साथ ही उन्होंने औचित्य का प्रश्न उठाया था। पत्र मिलते ही जिला प्रशासन बैकफुट पर आ गया। पहले तो जिला प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया कि किसी भी प्रकार का शिलान्यास या उद्घाटन नहीं हुआ है। वहीं सोमवार की रात एसडीएम व पुलिस बल की मौजूदगी में शिलापट्ट ही हटा लिया गया। मौके पर केवल वहीं दीवार खड़ी मिली जिसमें शिलापट्ट लगाया गया था। दो सौ करोड़ की इस परियोजना से जुड़ा एक कार्यक्रम शनिवार को प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री रमाशंकर सिंह पटेल की उपस्थिति में हुआ था। इसका मेघा इंजीनियरिंग एण्ड इंन्फ्रास्ट्रक्चर लि. के परियोजना प्रबंधक एडी श्रीधर द्वारा आयोजित कार्यक्रम के तहत शिलान्यास कराया गया था। परियोजना प्रबन्धक द्वारा शिलापट्ट पर राज्य सभा सांसद अरुण सिंह, राज्यसभा सदस्य राम सकल व सांसद अनुप्रिया पटेल की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न होना लिखा था, लेकिन आरोप है कि सांसद, विधायक को सूचना नहीं दिया गया। इससे नाराज सांसद अनुप्रिया पटेल द्वारा विशेषाधिकार हनन क कार्रवाई की चेतावनी के बाद सोमवार की देर रात पुलिस फोर्स के साथ शिलापटृ को हटाया गया। प्रभारी निरीक्षक प्रमोद कुमार यादव ने बताया कि रात में उपजिलाधिकारी चुनार सुरेंद्र बहादुर सिंह की मौजूदगी में शिलापट्ट हटाया गया। साथ ही प्रशासन का दल शिलापट्ट को अपने साथ ले गया। वहां केवल दीवार ही बची है जिसपर शिलापट्ट चिपकाया गया था।
शिलान्यास दोबारा मुख्यमंत्री से कराना क्या उनकी गरिमा के अनुकूल
- सांसद का फिर फूटा लेटर बम
मिर्जापुर। लगातार तीसरे दिन, मंगलवार को एक बार फिर लेटर बम फूटा। जल मिशन से जुड़े शिलान्यास को लेकर एक बार फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद अनुप्रिया पटेल ने जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल को पत्र लिखकर कई सवाल दागे। सांसद ने पूछा है कि जिस परियोजना का शिलान्यास कराया जा चुका है उसका पुन: शिलान्यास मुख्यमंत्री या जल शक्ति मंत्री भारत सरकार से कराया जाना क्या उनकी गरिमा के अनुकूल होगा?
डीएम के इस दावे पर कि अभी कोई शिलान्यास या लोकार्पण नहीं हुआ है, सांसन ने पत्र में पूछा है कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत मिर्जापुर में स्वीकृत 2127 करोड़ के कार्यों में से ग्राम गोठौरा में अगर शिलान्यास का कार्यक्रम नहीं था तो निजी कार्यदायी संस्था मेधा द्वारा शिलान्यास कार्यक्रम के नाम से निमंत्रण पत्र क्यों छपवाया गया। वहीं यह भी पूछा है कि शिलान्यास का शिलालेख क्यों लगाया गया? अगर शिलान्यास कार्यक्रम नहीं हुआ तो 19 अक्तूबर की रात शिलालेख क्यों हटाया गया?
अपमान या राजनीतिक खींच तान, जोरों पर चर्चा
- सांसद की ओर से एक के बाद एक लेटर बम फोड़ा जा रहा है। इसमें जिलाधिकारी पर आरोप व सवाल जवाब के साथ ही विशेषाधिकार हनन पर कार्रवाई तक की चेतावनी दे डाली गई। इसको लेकर लोगों में तरह तरह की चर्चा है। जहां कुछ लोग इसे सांसद के अपमान से जोड़कर देख रहे हैं तो वहीं राजनीतिक खींच तान को भी कहीं कहीं जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। शिलान्यास मामले में प्रशासन के बैकफुट पर आने से उस पूरे कार्यक्रम पर सवाल खड़े हो गए हैं। वहीं शामिल माननीयों की साख में बट्टा लगा
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