लाइन हाजिर होते ही कोतवाल ने लगाया कप्तान पर आरोप 

बहराईच। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार  अपने स्वच्छ क्रियाकलापों से जिस प्रकार चर्चा पूरे देश में हो रही है । 
उत्तर प्रदेश को योगी सरकार ने अपराध मुक्त प्रदेस बनाने के लिए कई कड़े कदम उठाए है ।  ठीक उसी प्रकार जनपद बहराइच के इमानदार कप्तान डॉक्टर विपिन कुमार मिश्रा ने बहराइच को अपराध मुक्त जनपद बनाने के लिए दिन रात एक कर दिए हैं । कई बड़े-बड़े माफियाओं, अपराधियों व नेपाल सीमा पर जयराम की दुनिया के बेताज बादशाहो को जनपद छोड़ने पर विवश कर दिया है ।
 उनकी संपत्तियों को कुर्क किया गया। कई अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। नेपाल सीमा पर कई तस्कर सम्राट ऐसे थे। लेकिन ऐसे अच्छी छवि वाले अधिकारी को बदनाम करने मे कुछ तत्व पूरी तन्मयता से लगे हैं । जो सोशल मीडिया को अपना हथियार बना कर रातों रात हीरो बनना चाह रहे हैं जबकी हकीकत कुछ और है । थाने के अंदर कोतवाल के बगल माफिया और दलाल कुर्सी पर चौपाल लगाकर अपना फैसला सुनाते थे। तस्कर सम्राट कोतवाल के कमरे में बैठकर जरायम की दुनिया का संचालन करते थे।
 मगर बहराइच जिले के ईमानदार कप्तान के आगे सभी ऐसे थानेदारों की इन हरकतों मे रोक लग गयी । इनकी एक ना  चली । सभी थानेदारों को कप्तान ने सख्त लहजे में हिदायत दी थी कि अगर थाना इलाकों में अपराध हुआ तो बख्शे नहीं जाएंगे थानेदार। कप्तान की इमानदारी व स्वच्छ पुलिसिंग को देखकर भ्रष्ट अधिकारियों के पसीने छूट गए। 
 जो अपराधी थानों में कोतवाल क़े बगल बैठ कर चौपाल का आयोजन करते थे उनके विरुद्ध कार्यवाही शुरू कर दी गई। मगर कुछ ऐसे थानेदार अभी भी थे जो अपनी हरकतों से बाज नहीं आये । उनको गैर जनपद भेजा गया। कप्तान के ईमानदारी की चर्चा जनमानस की हर जुबां पर गूंज रही है। वही नानपारा कोतवाली में तैनात एक कोतवाल महोदय क़े पुराने क्रिया कलाप मे कोई परिवर्तन नही हुया । कोतवाल महोदय ने अपने अंदाज मे पाशा फेंककर  सारी हदें पार कर दी और पुलिस कप्तान को ही फर्जी तरीके से गाली देने का आरोप लगा दिया।जिसे सोशल मीडिया पर । चला भी दिया हालांकि । यह जाँच का विषय है कि एक तृतीय श्रेणी का कर्मचारी ए ग्रेड क़े कर्मचारी से विभागीय ॥ बात करते हुए उसे सोशल मीडिया पर तत्काल डाल रहा है । और जनमानस मे अपने प्रति संवेदना क़े चक्कर मे विभाग की धज्जियाँ उड़ाने पर कैसे तुला है ये छिपा नही है ।
  जबकि कप्तान के लबों पर गाली तो दूर किसी भी प्रकार के आपत्तिजनक शब्द किसी भी ने कभी नहीं सुनी।  ऐसे कप्तान पर कोतवाल ने किस कदर फर्जी आरोप लगाए इससे ये स्पष्ट है कि मामला किस कदर विभाग और सरकार कि छवि को बदनाम करने वाला एक तबका अभी भी योगी क़े कार्यों को होता नही देख पा रहा । ये पूरा मामला बस अपराध को रोकने का था। नानपारा इलाका पूरी तरह अपराधियों की शरण स्थली बन चुकी थी। नानपारा स्मैक व मादक पदार्थों की थोक मंडी बन चुकी थी। नानपारा कोतवाली इलाके में फायरिंग की घटना को कोतवाल डीके श्रीवास्तव ने नजरअंदाजी किया तो मामला कप्तान के संज्ञान में पहुंचा इस पर कप्तान ने सीओ नानपारा से मामले की जानकारी की। 
जिसे  लेकर कप्तान ने कोतवाल से अपराधियों को गिरफ्तार करने की बात कही। जब मामले को कोतवाल ने गंभीरता से नहीं लिया तो एसपी ने मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में लाइन हाजिर कर दिया। लाइन हाजिर से बौखलाए कोतवाल ने कप्तान को बदनाम करने के लिए गाली देने का झूठा आरोप लगा दिया। और एक ऑडियो क्लिप मीडिया के कुछ लोगों को दे दिया। मगर ऑडियो क्लिप में कहीं भी कप्तान ने गाली नहीं दिया है। केवल कोतवाल द्वारा इमानदार कप्तान को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।

ये है गालीबाज कोतवाल का इतिहास।

कोतवाल डीके की जनपद बस्ती में तैनाती के दौरान कई अधिकारियों से बदजुबानी वा गाली गलौज की। वहां के अधिकारी इस गाली बाज इंस्पेक्टर से परेशान हो चुके थे। वहां से इसका स्थानांतरण जनपद बहराइच हो गया। बहराइच में डीके श्रीवास्तव को बहराइच शहर के एसपी ने कोतवाल बना दिया था। तैनाती मिलते ही इस गालिब आज कोतवाल ने आम जनमानस पर कहर बरसाना शुरू कर दिया। गाड़ियों के शीशे तोड़ ना वा लोगों पर वर्दी का धौस दिखाकर लाठियों से पीटना इसका पेसा बन गया था। लोगों ने इसकी शिकायतें भी कई बार अधिकारियों से की थी।
इसके बाद कोतवाल डीके श्रीवास्तव को वहां से हटाकर दरगाह थाने का चार्ज दे दिया गया। वहां भी इस गालीबाज इंस्पेक्टर से इसके कर्मचारी ही परेशान हो गए थे। एक दिन विवेचना को लेकर दरगाह थाने में तैनात  इंस्पेक्टर निसार अहमद से  गालीबाज  कोतवाल मारपीट को आमादा हो गए। इन्होंने इंस्पेक्टर निसार अहमद की कॉलर पकड़ ली। और दोनों के बीच मारपीट की नौबत आ गई। दोनों में  काफी बाता कहानी हुई। फिर कोतवाल डीके श्रीवास्तव की पत्नी ने बीच ब्राव किया। अपने एसआई व सिपाहियों को भी गाली देना इनका पेस था। नानपारा में इनके 4 माह के कार्यकाल के दौरान तीन दरोगा भी निलंबित हो चुके है।


राजकुमार यादव 
बहराइच 

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