*क्षेत्र कर्नलगंज में प्रमुख चौराहों, सड़कों के किनारे की दुकानों और ग्रामीण बाजारों में साप्ताहिक बंदी बेअसर।  जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक।।*

( बीते सोमवार को निर्धारित साप्ताहिक बंदी के दिन क्षेत्र कर्नलगंज के मुख्य चौराहों, प्रमुख मार्गों के किनारे स्थित अधिकांश दुकानें रही खुली।बेधड़क होता रहा कारोबार। बिना मास्क, सेनेटाइजर के दुकानों पर होती है काफी भीड़-भाड़।।)
*जिला प्रशासन, जिम्मेदार आला अधिकारियों की मेहरबानी एंव अनदेखी के चलते मूकदर्शक बने रहने से साप्ताहिक बंदी का क्षेत्र कर्नलगंज में प्रमुख चौराहों, सड़कों के किनारे की दुकानों और ग्रामीण बाजारों में कोई असर नहीं दिख रहा है व बंदी बेअसर साबित हो रही है।*

गोंडा/कर्नलगंज ।। उत्तरप्रदेश शासन के निर्देशों व विभागीय नियम कानून को ताक पर रखकर अधिक से अधिक धन इकट्ठा करने के लालच में दुकानदारों द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों की उदासीनता अथवा जानबूझकर अनदेखी करने से नियमों का उल्लघंन दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वहीं प्रशासन बेपरवाह बना हुआ है। जिससे दुकानदार काफी निरंकुश बेखौफ दिखाई पड़ते हैं।सुबह  निर्धारित समयावधि से पूर्व व रात्रि में समयावधि बीतने के बाद भी दुकाने बंद करना जहां दुकानदार मुनासिब नहीं समझते हैं वहीं साप्ताहिक बंदी का नियम कागजों पर ही सिमट कर रह गया है जो सभी दुकानों पर पूर्ण रूप से लागू नहीं हो रहा है।संबंधित अधिकारियों से साप्ताहिक बंदी के संबंध में पूछे जाने पर गोलमोल जवाब देते हुए शीघ्र औचक निरीक्षण कर छापेमारी करने को कहकर अपने दायित्वों का निर्वहन सुचारू रूप से नहीं किया जा रहा है। कर्नलगंज क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित प्रमुख चौराहों, सड़कों के किनारे,कस्बे व ग्रामीण क्षेत्रों समेत मुख्यालय की काफी संख्या में दुकानें खुली,अधखुली रहती हैं। छोटे व्यापारी से लेकर बड़े व्यापारी द्वारा धड़ल्ले से साप्ताहिक बंदी की चुनौती देते हुए खुलेआम बेधड़क दुकानें खुली रखी जाती हैं या शटर गिराकर पिछले खिड़की से जमकर खरीद फरोख्त करते हुए अन्य दिनों में प्रतिदिन ज्यादातर दुकानें देर रात तक खुली रहती हैं।जबकि शासन प्रशासन के निर्देशानुसार रात्रि निर्धारित समय पर हर हाल में दुकान बंद कर देनी चाहिए। इसी प्रकार से सप्ताह में एक दिन दुकाने बंद किए जाने का भी निर्देश है इस बंदी के दिन श्रम विभाग के नियम,कानून के तहत उसके अनुपालन में दुकानदारों, दुकानों, प्रतिष्ठानों पर कार्य करने वाले श्रमिकों को अवकाश,आराम करने एंव अन्य आवश्यक कार्य निपटाने की सुविधायें मुहैया कराने की व्यवस्था निर्धारित है।जिसका श्रम विभाग, जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जानबूझकर उल्लंघन कर अनुपालन सुचारू रूप से ना किये जाने से साप्ताहिक बंदी का असर भी इन बाजारों में बेअसर साबित हो रहा है। देखा जाए तो बाजार में बड़े व्यापारियों की भी दुकानें/खिड़की अधखुली रहने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की बाजार दुकानें भी अधिकतर प्राय: बन्दी और शासन के निर्देशों को धता बताते हुए खुली रखकर खरीद बिक्री जमकर की जाती है। हास्यप्रद है कि कितने लोगों को साप्ताहिक बंदी को लेकर पता भी नहीं है कि साप्ताहिक बंदी भी की जाती है।बंदी के दिनों में भी दुकानें खोलकर व्यापारी, दुकानदार प्रशासन को ठेंगा दिखा रहे हैं। श्रम विभाग भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। जबकि साप्ताहिक बंदी पर दुकानें खुली रहने पर अर्थदंड किए जाने की भी व्यवस्था है। मगर किसी भी दुकानदार के विरुद्ध महकमे द्वारा ऐसी कोई नियमित कार्रवाई नहीं किया जाता है।
इस संबंध में पूर्व में सोमवार बंदी को लेकर स्थानीय एंंव जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों से जब बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि जल्द ही कार्रवाई होगी। साप्ताहिक बंदी व देर रात्रि दुकानें खुलने के बाबत अधिकारियों ने कहा कि अनुपालन कराया जाएगा।छापा मारकर नियमों के उल्लंघन करने वाले व्यवसाईयों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। जिसका पालन हर किसी को करना आवश्यक है।परन्तु जिला प्रशासन, स्थानीय अधिकारियों द्वारा कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई और जिम्मेदार आला अधिकारी, कर्मचारी बेखबर होकर मूकदर्शक बने हुए हैं। जिससे शासन के निर्देशों व विभागीय नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है और साप्ताहिक बंदी के निर्देशों का गंभीरता से अनुपालन नहीं हो रहा है जिसकी वास्तविकता उच्चाधिकारियों द्वारा औचक निरीक्षण से भी देखी जा सकती है।।

अरविंद पाण्डेय 
गोण्डा 

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