देश के हर गली कूचे में स्वच्छता की अलख जगा रही हैं पैड वुमन आई आर एस अमन प्रीत
2 अक्टूबर यानि भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती। सारा देश गांधी जयंती को स्वच्छता दिवस के रूप में मनाता है ।प्रधानमंत्री मोदी भी स्वच्छता के इतने बड़े फैन है कि एक बार तो उन्होंने खुद समुद्र किनारे से कचरा इक्कठा किया था। पिछले कुछ सालों से प्रधानमंत्री ने स्वच्छता के लिए कई अभियान चलाए जिनमें काफी अभियान सफल भी हुए हैं। सबसे मशहूर अभियान रहा स्वच्छ भारत,जिसका नारा बच्चे बच्चे की जुबान पर है ।नारे के पीछे का मतलब एकदम साफ़ था, यानि कि अगर हम अपने आसपास के इलाके या जगह को साफ सुथरा रखेंगे तो हमारा स्वास्थ्य भी उतना ही बढ़िया होगा। क्योंकि सफ़ाई का सीधा ताल्लुक स्वास्थ्य से होता है और स्वस्थ लोग ही स्वस्थ देश का निर्माण करते हैं। इसलिए स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का नारा एकदम सटीक बैठता है। स्वच्छता को किसी भी सूरत में नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता, क्योंकि स्वच्छता तो जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। बाहरी सुंदरता ही स्वच्छता का असली मतलब नहीं है बल्कि सही मायनों में तो आंतरिक शुद्धि ही स्वच्छता है। जिस जगह को देखकर आपका मन खुशी से भरे वही स्वच्छता का सबसे उम्दा उदाहरण है।
पिछले कई वर्षों में भारत देश में स्वच्छता को लेकर बड़े बदलाव देखने को मिले, हर घर में शौचालय होने की बात करना इनमें से सबसे बड़ा जीता जागता नमूना है। पहले देश के गांव देहात में लोग खुले में शौच करने को प्राथमिकता देते थे, क्योंकि इस समय उन्हें कोई जागरूक करने वाला नहीं था या फिर ये कहिए कि जागरूकता की कमी चलते सब होता रहा। लेकिन उसके बाद तो जैसे चमत्कार ही हो गया अब अगर भारत के गांव देहात में जाकर देखा जाए तो अधिकांश घरों में शौचालय मौजूद है। ऐसे में इसका श्रेय सरकार के साथ साथ उन सभी सामाजिक संगठनों को भी जाता है जिनकी दिन रात मेहनत ने ऐसा करिश्मा कर दिखाया। इंसान को सबसे ज्यादा जरूरत अपना शरीर स्वच्छ रखने की होती है। क्योंकि अधिकांश बीमारियां अस्वच्छता के चलते होती हैं। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, फ्लू आदि ऐसी अनेकों बीमारियां गंदगी के कारण ही होती है। इंसानों की श्रेणी में औरत को भगवान से भी ऊपर रखा गया है। उस औरत को भी स्वच्छता की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। क्योंकि एक औरत ही है जिसे हर महीने मासिक धर्म की समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसे में स्वच्छता का और भी ज्यादा ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है। क्योंकि मासिक धर्म के दौरान रक्त स्राव की रोकथाम करने के लिए अगर अछी और साफ़ चीज़ का इस्तेमाल नहीं होगा तो कई बीमारियों के होने का खतरा बन जाता है ।
ऐसे में शरीर के अंगो की सफाई अत्यंत आवश्यक है। नहीं तो कैंसर जैसी घातक बीमारी होने तक की सम्भावना हो सकती है। इसलिए उस समय सैनिटरी पैड्स , मेन्स्ट्रूअल कप , टैम्पोन साफ़ कपड़े का इस्तेमाल करना उचित और आवश्यक दोनों हैं। भारत के कई ऐसे कोने है जहां महिलाओं को इन चीज़ों का इस्तेमाल करना भी नसीब नहीं हो पाता। लेकिन पैड मन के नाम से मशहूर अभिनेता अक्षय कुमार हो या पैड वुमन के नाम से मशहूर दिल्ली में कार्यरत आयकर विभाग की जॉइंट कमिश्नर अमन प्रीत इनके कामों की वजह से लोगों में सैनिटरी पैड्स के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता बढ़ी है।
अमन प्रीत देश के 17 राज्यों में 13 लाख से भी ज्यादा निशुल्क सैनिटरी पैड्स का वितरण कर चुकी है। उनकी कहानी कोरोना महामारी से शुरू हुई जो अबतक लाखों महिलाओं को फायदा पहुंचा रही है। सोचने वाली बात है जिस देश में महिलाओं को जगत जननी जैसे अलंकारों से नवाज़ा जाता है उस देश में महिलाओं की स्वच्छता को नज़रंदाज़ भी किया जाता रहा है। लेकिन समय बदल रहा है लोग बदल रहे हैं क्योंकि अक्षय कुमार हो या अमन प्रीत इन जैसे लोग आगे आकर जनता में जागरूकता की मशाल जला रहे हैं। और वो दिन दूर नहीं जब भारत विश्व के सबसे स्वस्थ, सबसे स्वच्छ देशों में शुमार होगा, और असल मायने में वहीं महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know