अम्बेडकर नगर
विद्युत आपूर्ति और गड़बड़ी को सुधारने का दारोमदार संविदा कुशल व अकुशल श्रमिकों पर है। सामान्यत: इन्हें लाइनमैन कहा जाता है। बिजली ठीक करते समय इनके साथ बार-बार अनहोनी की घटनाएं होती हैं लेकिन विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। तभी इसकी पुनरावृत्ति होती रहती हैं
अक्सर सुनने को मिलता है कि खंभे में चढ़ा संविदा लाइनमैन अचानक करंट आने से नीचे आ गिर गया। गिरने से वह गंभीर रूप झुलस जाता है
या फिर वह अपंग हो जाता है। बात यही नहीं समाप्त होती कभी-कभी संविदा लाइनमैन की गंभीर रूप से झुलसने से मौत भी हो जाती है। अब तक एक दर्जन संविदा लाइनमैन दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं। इनमें कई तो कार्य करने लायक ही नहीं रहे। यह सब घटनाएं मोबाइल से शट डाउन देने की प्रक्रिया के चलते हो रही हैं। दुर्घटना के बाद पता चलता है कि शट डाउन किसी और स्थान के लिए था लेकिन दे दिया दूसरे स्थान का। अनहोनी होने पर आनन फाइन में किसी पर जिम्मेदारी डालकर कर्तव्य की इतिश्री समझ ली जाती है। कुछ दिनों में बात आई गई हो जाती है। दुर्घटना का शिकार होने पर विभाग भी कर्मचारी के परिवार की अधिक मदद नही कर पाता क्योकि इनकी नियुक्ति सीधे विभाग से नही है बल्कि ठेकेदार के माध्यम से इनको विभाग मानदेय देता है।
स्थाई कर्मचारियों की तुलना में संविदा पर रखे गए कर्मचारियों से चार गुना अधिक काम लेकर चौथाई वेतन देना और इस बात का दावा करना कि इतने लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। शोषण की यह त्रासदी बहुत भयावह है। अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढाना तो दूर का सपना है, संविदाकर्मी दो वक्त का भोजन भी ठीक से न कर सकें इतनी ही उनकी तनख्वाह है।
इसी प्रकार का मामला अकबरपुर में देखने को मिला अवर अभियंता रमेश मौर्य द्वारा संविदा लाइनमैन से घास साफ करवाया जा रहा है जबकि सफाई के लिए पीटीएस कर्मचारी नियुक्त है। बिजली विभाग में संविदा कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है। यह कर्मचारियों की मजबूरी बन जाती है की अधिकारियों के अंदर रहकर उनको कार्य करना है अगर उनके द्वारा कही बात की अवहेलना उनके द्वारा की जाएगी तो उनको वहां से हटा दिया जाएगा।
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