डॉ. अजय कुमार मिश्रा
drajaykrmishra@gmail.com
केंद्र सरकार द्वारा कृषि विधेयक लाने के पश्चात से, विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश में इसका विरोध देखने को मिल रहा है | किसान संगठनों के अलावा एनडीए के अंदर से ही इसका विरोध हो रहा है | केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने अपने पद से त्यागपत्र देकर किसानो को गुमराह करने का आरोप सरकार पर लगाया है | ऐसे में इस बदलाव को संदेह की दृष्टि से देखा जा सकता है पर वास्तव में इस बदलाव में खामियों के साथ कई अच्छाईया भी है जिसकी चर्चा नहीं हो रही है | सरकार द्वारा छोटा परिवर्तन करके इस विधेयक को और भी प्रभावशाली बनाया जा सकता है और उठ रहें विरोध को भी समाप्त किया जा सकता है | सरकार के विरोध का कारण पारित तीन विधेयक है - पहला : कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) दूसरा : मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल) तीसरा : आवश्यक वस्तु संशोधन बिल |
आकड़ो के अनुसार देश में 85 फीसदी किसानो की भूमि 2 एकड़ से भी कम है और ये मुश्किल से अपनी जमीनी जरूरतों को कृषि के माध्यम से पूरा कर पाते है | सरकार ने यह विधेयक सभी वर्गो के किसानो के हितो को ध्यान में रखकर बनाया है | इस विधेयक की महत्वपूर्ण खामियां जिनकी चर्चा जोरो पर है - 1. इस विधेयक से मंडिया ख़त्म हो जाएगी और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा 2. किमतें तय करने का कोई मैकेनिज्म नहीं है | डर है कि इससे निजी कंपनियों को किसानों के शोषण का जरिया मिल जाएगा | किसान मजदूर बन जाएगा | 3. कारोबारी जमाखोरी करेंगे | इससे कीमतों में अस्थिरता आएगी | खाद्य सुरक्षा खत्म हो जाएगी | इससे आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी बढ़ सकती है | यानि की किसान को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है | कुछ समस्याएं अपेक्षित है जो वर्तमान में है ही नहीं |
चारो तरफ हो रहे विरोध का वास्तविक कारण यह है की किसानो से सरकार ने सही समय पर संवाद किये बिना ही इस विधेयक को पास कर दिया | जिसका लाभ उठाते हुए विपक्ष और कुछ संगठन अपनी राजनैतिक और व्यक्तिगत हित सिद्ध करने में लगे हुए है, जबकि जमीनी हकीकत यह है की किसानो को इस विधेयक की मूल बातें और वास्तविकता अभी भी ज्ञात नहीं है | मूल रूप से इस विधेयक से नुकसान बिचौलियों को हो रहा है जो किसानों से बड़ा हिस्सा प्राप्त करते थे | राज्य सरकारों को भी बड़ा नुकसान है, अब उनके द्वारा भी इस पर टैक्स नहीं लगाया जायेगा | किसानों के मन में इस बात को भी डाल दिया गया है की अब उनकी सब्सिडी चली जाएगी / मंडिया बंद कर दी जाएगी, जबकि सरकार ने यह स्पष्ट किया है की ऐसा नहीं होगा |
किसानो को इस विधयेक से फायदों को देखा जाये तो अब किसान अपने फसल को मंडी के बाहर भी बेच सकता है यानि की फसल बेचने के लिए पहले से ज्यादा अवसर किसानो को मिलेगा | कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग (अनुबंध कृषि) को बढ़ावा मिलेगा जिससे छोटे किसानो की आय में वृद्धि होगी | नए नियमों में किसानों को देय भुगतान राशि, डिलीवरी रसीद, उसी दिन देने का प्रावधान है जिससे पारदर्शिता आयेगी | किसान व्यापारी से मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में स्वतंत्र होगे जबकि मंडी में भी फसल विक्रय का विकल्प किसानो के पास रहेगा | केंद्र सरकार मूल्य जानकारी की प्रणाली घोषित करेगा और एक बोर्ड की स्थापना भी करेगा जिससे किसी भी विवाद को त्वरित रूपसे निपटाया जा सके इससे किसानों का हित सुरक्षित होगा | इस विधेयक से कई शुल्को में कमी आएगी जिसका सीधा भार किसानो पर पड़ता था | कृषि क्षेत्र में इससे निवेश बढ़ेगा एक उपभोक्ता भी बिना किसी टैक्स के किसानो से सीधे उत्पाद खरीद पायेगा | इससे किसानो को न केवल अधिक मूल्य प्राप्त होगा बल्कि उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर वस्तुएं प्राप्त होगी | निजी क्षेत्र की भागीदारी होने से स्वस्थ प्रतियोगिता का जन्म होगा जिसका सीधा लाभ किसानो को प्राप्त होगा इस क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी, पूंजी की उपलब्धता, और मॉडर्न खेती को बढ़ावा मिलेगा | अनुबंधित किसानो को बेहतर बीज की आपूर्ति, तकनीकी सहायता, फसल ऋण और फसल बीमा की उपलब्धता सरकार द्वारा रहेगी | थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी कम्पनियाँ, निर्यातक, उपभोक्ता सीधे किसान से जुड़ सकते है | यानि की किसानो को इस विधेयक के आ जाने से कई लाभ है |
केंद्र सरकार ने किसानो को आश्वासन दिया है की मंडिया पहले की तरह चलती रहेगी, किसानों को सब्सिडी मिलती रहेगी, नए विधेयक से किसानो के हितो पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा, निजी क्षेत्रो के आने से अवसर की उपलब्धता बढ़ेगी, किसानों की आय में कई गुना वृद्धि होगी | परन्तु हाल के दिनों में, केंद्र सरकार द्वारा कई क्षेत्रो को निजीकरण की राह पर ले जाने की वजह से कुछ लोगो में संदेह होना वाजिब है | यदि आप सरकार की कार्य प्रणाली को बारीकी से देखेगे तो आप महसूस करेगे की अमिरीकी मॉडल सरकार को अधिक पसंद है और उसी राह पर वह बढ़ रही है | आप केंद्र सरकार का विरोध कर सकते है, पर एक जमीनी सच्चाई यह भी है की विगत सात दशकों से अधिक की खामियों को पूरा करने का प्रयास सरकार द्वारा हो रहा है जो निजी क्षेत्र की भागीदारी के बिना शायद संभव नहीं है | इस मुद्दे पर जितनी अहम भूमिका केंद्र सरकार की है उतनी ही अहम् भूमिका राज्य सरकार की भी है | किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकारें भी बड़ा निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है ऐसे में सिर्फ विरोध करने से ही समस्या का समाधान नहीं हो सकता | केंद्र सरकार फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनिवार्यता नियमों को अपनाकर कर के किसानों को अपने पक्ष में कर सकती है जो सभी फसलों के क्रय-विक्रय करने वालो पर सामान रूप से लागु हो | जो मंडी के अंदर और बाहर फसल विक्रय पर सामान रूप से लागु हो |
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Vastvik jankari dene ke liye dhanywad
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