क्षेत्र के कसधना गंगापुर रामलीला समिति के मंच पर शुक्रवार की शाम को अंगद - रावण संवाद का मंचन किया गया। रामादल के दूत के रूप में अंगद रावण के दरबार मे पहुंचते हैं। भरे दरबार में अंगद ने रावण को सीता को सम्मानपूर्वक वापस श्रीराम को लौटाने व राम से क्षमा मांगने की सलाह दी। अन्यथा लंका नगरी के विनाश की चेतावनी दी। गुस्से में दशानन राक्षसों से बानर को सबक सिखाने के लिए कहता है। तब अंगद ने अपना एक पैर आगे करते हुए कहा कि कोई भी राक्षस उनका पैर हिला दे तो वह सीता को हारकर लंका से चले जाएंगे। एक - एक कर सभी अंगद का पैर उठाने के लिए दम लगाते हैं। फिर भी अंगद का पैर कोई टस से मस नहीं कर सका। इस पर रावण स्वयं ही अंगद का पैर उठाने के लिए आगे बढ़ा। तब अंगद ने राम के शरण मे जाने की सलाह दी। समिति के अध्यक्ष अंजनी पाण्डेय, प्रधान प्रतिनिधि दीपक पाण्डेय ने अतिथियों,दर्शकों के प्रति आभार प्रकट किया। वाद्ययंत्रों की धुनों पर ब्यास प्रमोद दूबे ने स्वर लहरियों से समां बांध रहे थे। मधुसूदन दुबे, विनोद दुबे, जयाकांत पांडेय, अनूप, अभय शंकर, गणेश, बबलू, हर्ष, कमला, संजय, विकास, सत्यम आदि व्यवस्था संचालन में लगे रहे।लक्ष्मण शक्ति का मंचन देख श्रोता हुए भाव विभोर: हलिया। कोटा शिव प्रताप सिंह के रामलीला कमेटी मंड़वा धनावल के कलाकारों ने शुक्रवार की रात को लक्ष्मण शक्ति की रामलीला का भावपूर्ण मंचन किया। लंका दहन के बाद हनुमान राम दरबार में पहुंचते हैं। इसके बाद शेषावतार लक्ष्मण युद्ध के लिए जाते हैं, मेघनाथ व शेषावतार लक्ष्मण में घमासान युद्ध होता है। मायावी मेघनाथ बार-बार मायावी शक्तियों का प्रयोग करता है। युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी को मूर्छित कर देता है । हनुमानजी लक्ष्मण को युद्ध के मैदान से राम दरबार में ले जाते हैं। लक्ष्मण जी को मूर्छित देख भगवान राम दुखी होकर विलाप करने लगे। सुषेन वैद्य ने बतायाकि संजीवनी बूटी लाने पर ही लक्ष्मण के प्राण बच सकते हैं। हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए द्रोणागिरी पर्वत पर जाते हैं। जहां पर बूटी को न पहचान पाने पर पर्वत ही उखाड़ लाये। इस प्रकार संजीवनी बूटी पिलाते ही लक्ष्मण की मूर्छा टूटी। इससे रामदल में खुशी की लहर दौड़ गई।

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