*कई दिनों से विभिन्न मांगों को लेकर अधिवक्ताओं की हड़ताल जारी रहने से तहसील मे कार्य ठप्प,लाखों रूपयों के राजस्व को भारी नुकसान।* (अधिवक्ताओं की हड़ताल अब उग्र होकर अनशन मे तब्दील)
कर्नलगंज(गोण्डा) । स्थानीय तहसील प्रशासन कर्नलगंज के मनमानीपूर्ण भ्रष्ट कार्यप्रणाली से बेहद नाराज़ अधिवक्ताओं की विगत एक सप्ताह से चल रही हड़ताल अब उग्र होकर अनशन में तब्दील हो गयी है। गुरुवार को अपनी मांगों को लेकर आंदोलित अधिवक्ता आक्रोशित होकर अनशन पर बैठ गये और तहसील प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी किये।मालूम हो कि बीते एक सप्ताह से तहसील में चल रही तालाबन्दी व हड़ताल का सीधा असर जहाँ एक तरफ सीधे आमजनमानस पर पड़ रहा है वहीं दूसरी तरफ सरकारी राजस्व को लाखों रूपयों का नुक़सान हो रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार करीब पांच सौ से भी अधिक रजिस्ट्री लम्बित है जिसका राजस्व सीधे सरकार के खाते में जाना था और सरकार की आय होनी थी।वहीं दूसरी ओर अनेकों वादकारियों के मुकदमे की पैरवी प्रभावित हो रही है तो तमाम लोगों के जाति,आय तथा निवास प्रमाण पत्रों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।अधिवक्ता संघ तहसील प्रशासन की कार्यशैली से काफी छुब्ध होकर कई दिनों से आंदोलनरत हैं जो बहुत आक्रोशित हैं। अधिकारियों और अधिवक्ताओं के बीच सकारात्मक वार्ता न हो पाने से कड़े संघर्ष के चलते समाधान का रास्ता लगातार कठिन व दुष्कर होता जा रहा है। यदि शीघ्र अधिवक्ताओं व अधिकारियों के मध्य निर्णायक वार्ता ना हुई और कोई सकारात्मक हल ना निकला तो आमजनमानस के साथ ही सरकार का काफी नुकसान होना निश्चित लग रहा है। उक्त संबंध में अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संजय मिश्र व मंत्री सूर्यकान्त तिवारी उर्फ वेद तिवारी ने तहसील में दलालों के माध्यम से धन उगाही,अधिवक्ताओं से दुर्व्यवहार, पत्रावलियों का समय से निस्तारण न करने,लंबित रखने और तहसील के प्रत्येक पटल पर व्याप्त भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुये तहसील प्रशासन के खिलाफ प्रांगण मे कर्मिक अनशन को प्रारम्भ कर दिया। इस दौरान अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण सिंह, श्यामधर शुक्ला, सुभाष तिवारी, रामसुरेश तिवारी, अरूण मिश्र,त्रिलोकी नाथ तिवारी, प्रतापबली सिंह,नौशाद खां,धर्मेन्द्र मिश्र, बाबादीन मिश्र,स्वामीनाथ कनौजिया,रामबाबू पांडेय,सचिन सिंह,दिनेश गोस्वामी,अवधराज गोस्वामी, संदीप बाजपेई ,रमेशचंद्र सहित सैकड़ो अधिवक्ताओं ने एक स्वर में अधिकारियों की भ्रष्ट तानाशाही पूर्ण कार्यशैली के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद की। उपरोक्त प्रकरण में स्थानीय अधिकारियों से सम्पर्क न हो पाने के कारण उनका पक्ष नहीं जाना जा सका।। वहीं बार और बेंच के मध्य विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है।
अरविन्द कुमार पाण्डेय
गोण्डा
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