खुले में बिकता है सामान, नहीं पड़ती है फूड सेफ्टी विभाग की नजर
अंबेडकरनगर_जिले के गली, मुहल्ले या चौराहे पर खाने-पीने के सामान बेचने वालों की तमाम दुकानें चल रहीं हैं। ठेले पर लगी दुकानों की जमात देखनी हो तो नगर के चौराहों तथा रोडवेज, शहजादपुर, दोस्तपुर चौराहा, पहितीपुर मार्ग, संजय टॉकीज के पास अच्छी खासी भीड़ देखी जा सकती है, जिनकी ओर से नियम और कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
ऐसी दुकानों में खुले में रखकर खाद्य सामग्री बेची जा रही है। इनमें से किसी के पास भी फूड लाइसेंस नहीं है। कौन-क्या बेच रहा है, खाद्य सामग्री की गुणवत्ता क्या है, फूड व सेफ्टी के मानकों का पालन हो रहा है या नहीं, खाने से लोगों की सेहत पर क्या असर पड़ रहा है, इसकी जानकारी तक फूड एंड सेफ्टी विभाग नहीं ले रहा है। विभाग की नजर भी ऐसे दुकानों पर नहीं पड़ती है। जब भी कोई बड़ा मामला सामने आता है, फूड व सेफ्टी विभाग सक्रिय हो उठता है। शहर में चलने वाले ठेले व खोमचे पर खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों का निबंधन का कोई ठोस आंकड़ा विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। खाना आधा कच्चा-पक्का व साफ सुथरा नहीं होने पर परेशानी होती है। इससे पेट दर्द, वोमेटिंग, लूज मोसन, बेचैनी, बुखार समेत कई अन्य तरह की समस्या हो जाती है। सामान्य फूड प्वाइजनिंग में अधिक परेशानी नहीं होती है। यदि यह समस्या गंभीर हो तो जान तक जा सकती है। खाद्य सुरक्षा नियमों के मुताबिक खाद्य सामग्री का कारोबार करने वालों को फूड लाइसेंस लेना अनिवार्य है। बिना निबंधन के संस्थान चलाने पर 25 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है। बड़े खाद्य संस्थान यदि बिना निबंधन के चल रहे हैं, तो 25 हजार जुर्माना के साथ-साथ छह माह कारावास की भी सजा है। स्वास्थ्य खराब होता है या किसी की मौत होती है। इसमें अलग-अलग धारा के अनुसार सजा का प्रावधान है। सरकारी चिकित्सक डा. सुभाष का कहना है कि ठेलों पर बिकने वाले सामानों का खाना व पानी प्रयोग न करें, यह स्वास्थ्य के लिए घातक होता है।
हिन्दीसंवाद के लिए विकाश कुमार निषाद जलालपुर अम्बेडकर नगर
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