अनेक राष्ट्रीय एवं विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा प्रदेश में
45,000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित
     30 अक्टूबर  2020 लखनऊ।
      उत्तर प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री आलोक टण्डन ने आज लोक भवन में पत्र-प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार नए रोजगार के अवसरों के सृजन एवं राज्य के निवासियों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए राज्य में औद्योगीकरण-जनित विकास हेतु महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा हाल ही में घोषित बिजनेस रिफाॅर्म ऐक्शन प्लान रैंकिंग में उत्तर प्रदेश की ईज आॅफ डूइंग बिजनेस में हुई उल्लेखनीय प्रगति इसका स्पष्ट प्रमाण है। उत्तर प्रदेश ने पिछले 3 वर्षों में 12 स्थानों की अभूतपूर्व प्रगति करते हुए द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।
      श्री टण्डन ने कहा कि राज्य में औद्योगिकरण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में रिकॉर्ड 186 सुधारों को लागू किया गया है। इसमें श्रम विनियमन, निरीक्षण नियम, भूमि आवंटन, संपत्ति पंजीकरण, पर्यावरण स्वीकृति तथा करों का भुगतान आदि प्रमुख है। उन्होंने कहा कि राज्य में निवेशकों पर विनियामक भार को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नवीनीकरण, निरीक्षण, रजिस्टर व रिकॉर्ड तथा रिटर्न फाइल करने के संदर्भ में लाइसेंसों एवं अनापत्ति प्रमाण पत्रों को चिन्हित करने की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई है। इस संबंध में 15 विभागों में अब तक 80 ऐसे प्रक्रियात्मक अनुपालनों को चिन्हित किया गया है, जिनमें से 52 प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं का सरलीकरण किया भी जा चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रमुख सुधारों में से एक, भारत के सबसे बड़े डिजिटल सिंगल विण्डो पोर्टल ‘निवेश मित्र’ का कार्यान्वयन है, जिसके माध्यम से उद्यमियों को लगभग 166 सेवाएं प्रदान की जाती हैं। उद्यमियों के आवेदनों के 93 प्रतिशत् की औसत निस्तारण दर के साथ निवेश मित्र पोर्टल पर प्राप्त 98 प्रतिशत् शिकायतों का निस्तारण सफलतापूर्वक किया गया है।
 
      अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त ने कोविड-19 के उपरान्त प्रारम्भ की गई निवेश परियोजनाएं की जानकारी देते हुए कहा कि विगत 6 माह में उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास प्राधिकरणों ने निवेश परियोजनाओं के लिए लगभग 426 एकड़ (326 भूखण्ड) आवंटित किए हैं, जिसमें लगभग 6,700 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है और लगभग 1,35,362 रोजगार के अवसरों के सृजन की सम्भावना है। इसमें प्रमुख रूप से हीरानंदानी ग्रुप, सूर्या ग्लोबल, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एमजी कैप्सूल्स, केशो पैकेजिंग, माउंटेन व्यू टेक्नॉलॉजी इत्यादि निवेशक सम्मिलित हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी आने बाद 40 से अधिक निवेश आशयों को आकर्षित करने में सफलता मिली है, जिसमें लगभग 10 देशों, जैसे- जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस), यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जर्मनी, दक्षिण कोरिया आदि की कंपनियों के लगभग 45,000 करोड़ रुपये के निवेश-प्रस्ताव सम्मिलित हैं। उन्होंने कहा कि इसमें से हीरानंदानी ग्रुप द्वारा डाटा सेंटर में 750 करोड़ रुपये, ब्रिटानिया इण्डस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा एकीकृत खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने में 300 करोड़ रुपये, एसोसिएटेड ब्रिटिश फूड पीएलसी (एबी मौरी) (यूके) द्वारा खमीर मैन्यूफैक्चरिंग में 750 करोड़, डिक्सन टेक्नोलॉजीज द्वारा कन्ज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 200 करोड़, वॉन वेलिक्स (जर्मनी) द्वारा फुटवियर निर्माण में 300 करोड़ तथा सूर्या ग्लोबल फ्लेक्सी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पीओपीपी, बीओपीईटी, मेटालाइज्ड फिल्म्स प्रोडक्शन प्लांट में  953 करोड़ रुपये का निवेश परियोजनाएं सक्रिय क्रियान्वयन के अधीन है। इसके अतिरिक्त मैक सॉफ्टवेयर (यूएस) द्वारा सॉफ्टवेयर विकास में रु. 200 करोड़, एकैग्रेटा इंक (कनाडा) द्वारा अनाज अवसंरचना उपकरणों में  746 करोड़, एडिसन मोटर्स (दक्षिण कोरिया) द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों में 750 करोड़ तथा याजाकी (जापान) द्वारा वायरिंग हारनेस तथा कम्पोनेंट्स के क्षेत्र में 2,000 करोड़ का निवेश की सहमति प्राप्त हो चुकी है। उद्यम स्थापना के संबंध में इन कंपनियों से लगातार बात-चीत चल रही है।
 
      श्री टण्डन ने कोविड-19 के उपरान्त घोषित नवीन नीतियां का जिक्र करते हुए कहा कि औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के शुभारंभ एवं 20 क्षेत्र-विशिष्ट पूरक नीतियों के साथ राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए नीति-संचालित शासन तंत्र ने उद्यमिता, नवाचार और मेक-इन-यूपी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।   राज्य सरकार ने कोविड-19 कालखण्ड के उपरान्त ‘पिछड़े क्षेत्रों के लिए त्वरित निवेश प्रोत्साहन नीति-2020’ घोषित की है। इस ऐतिहासिक नीति के अन्तर्गत नीति की अधिसूचना की तिथि से 6 माह की अवधि में आवेदन किए जा सकते हैं, इसके अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के पूर्वांचल, मध्यांचल और बुंदेलखण्ड क्षेत्रों में नई औद्योगिक इकाइयों को फास्ट ट्रैक मोड में आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण इन्हीं क्षेत्रों में अधिकतर प्रवासी मजदूरों व कामगारों की वापसी हुई है। इसी प्रकार राज्य भर में ईएसडीएम (इलेक्ट्राॅनिक्स सिस्टम डिजाइन एण्ड मैन्यूफैक्चरिंग) योजना और कम्पोेनेंट निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए नई इलेक्ट्रॉनिक्स नीति घोषित की है। गैर-आईटी आधारित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने के लिए एक नई स्टार्टअप नीति-2020 बनाई गई है। इसी श्रृंखला में डाटा सेंटर नीति भी शीघ्र ही घोषित की जाएगी।
 
      अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त ने कहा कि कोविड-19 के बाद व्यापक स्तर पर नीतिगत् सुधार भी किये गये हैं।    बुंदेलखण्ड और पूर्वांचल में निजी औद्योगिक की पात्रता सीमा 100 एकड़ से घटा कर 20 एकड़ कर दी गई है। निजी औद्योगिक पार्कों के लिए पश्चिमांचल एवं मध्यांचल में 150 एकड़ से घटा कर 30 एकड़ और लॉजिस्टिक्स पार्कों के लिए पूरे प्रदेश में 50 एकड़ से घटा कर 25 एकड़ भूमि की आवश्यकता का प्राविधान किया गया है।  इसके अतिरिक्त लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को ‘उद्योग का दर्जा’ प्रदान किया गया है। जोनिंग नियमों में संशोधन किया गया है, जिससे लाॅजिस्टिक्स इकाइयों को औद्योगिक भू-उपयोग का लाभ मिल सके।ऐसी लाॅजिस्टिक्स इकाइयों को औद्योगिक दरों पर औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की भूमि के आवंटन की अनुमति भी प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद राज्य सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बड़ी राहत देते हुए मण्डी परिसर के बाहर लेनदेन पर मण्डी शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है।
 
      श्री टण्डन ने कहा कि कोविड-19 के उपरान्त भूमि आवंटन प्रक्रिया में भी सुधार किया गया है। सिंगल विण्डो पोर्टल-निवेश मित्र के माध्यम से सभी प्रमुख औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में भूमि का ऑनलाइन आवंटन तथा वास्तविक समय में अपडेशन हेतु भारत सरकार के औद्योगिक सूचना प्रणाली (आईआईएस) पोर्टल के साथ औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) का एकीकरण कराया गया। एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप में मिश्रित भूमि उपयोग हेतु जोनिंग नियमों में संशोधन की अनुमति दी गई है। औद्योगिक भूमि के लिए एफएआर को बढ़ाकर 3.5 कर दिया गया है (2.5 अनुमन्य ़1 क्रय योग्य एफएआर)। उद्योगों को उनकी सरप्लस भूमि को सब-डिवाइड करने की अनुमति दी गई है।    भूमि को अवरुद्ध करने को हतोत्साहित करने के लिए 5 वर्षों के भीतर भूमि का उपयोग करने में विफल होने पर भूमि आवंटन के निरस्तीकरण के लिए उ.प्र. औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 में संशोधन भी किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही 45 दिनों के भीतर भूमि को गैर-कृषि घोषित करने के लिए आवेदन के निस्तारण के आदेश को अधिसूचित किया गया है। औद्योगिक भूमि की सुलभ उपलब्धता के लिए लैण्ड पूलिंग नीति अधिसूचित की गई है। सीलिंग सीमा से अधिक कृषि भूमि की खरीद में आसानी के लिए राजस्व संहिता में संशोधन किया गया है और इसके अनुमोदन का अधिकार जिला-स्तर के अधिकारियों को प्रदान कर दिया गया है। इसके साथ ही सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को मेगा और इससे उच्च श्रेणी के उद्योगों को आवेदन की तिथि से 15 दिनों के भीतर भूमि प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया है।
 
      अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास श्री आलोक कुमार ने कोविड-19 के उपरान्त भूमि बैंक सृजन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश में पहले से ही 20,000 एकड़ औद्योगिक भूमि बैंक उपलब्ध है। इसके अतिरक्ति वित्तीय वर्ष 2021 में लगभग 5,000 एकड़ के भूमि बैंक के विकास का लक्ष्य निर्धारित करते हुए अगस्त-सितंबर, 2020 में मात्र 2 माह की अवधि में विभिन्न औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के माध्यम से लक्ष्य का 13.67 प्रतिशत् प्राप्त कर लिया है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास के लिए एक्सप्रेसवेज के किनारे लगभग 22,000 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है। इस भूमि में से विभिन्न विकास मॉडलों के माध्यम से औद्योगिक पार्कों की स्थापना के लिए फिरोजाबाद, आगरा, उन्नाव, चित्रकूट, मैनपुरी और बाराबंकी जिलों में छः उच्च संभावना वाले स्थानों की पहचान की गई है।
      श्री आलोक कुमार ने कहा कि कोविड-19 के आने के बाद लगभग 8,500 करोड़ रुपये के निवेश वाली 7 परियोजनाओं में वाणिज्यिक संचालन प्रारम्भ हो गया है, जबकि लगभग 6,400 करोड़ रुपये के निवेश की 19 परियोजनाएं सक्रिय कार्यान्वयन के अधीन हैं। इस प्रकार प्राप्त निवेश आशयों में से अब तक लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश, अर्थात् लगभग 43 प्रतिशत् निवेश कार्यान्वयन के सक्रिय चरणों के अधीन है। उन्होंने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाले 200 से अधिक निवेश प्रस्तावों वाले विभागों को विभाग के प्रमुख की अध्यक्षता में एक परियोजना अनुश्रवण इकाई (पीएमयू) और अन्य विभागों को एक सेल के सृजन का निर्देश दिया गया है। प्रत्येक नोडल विभाग को निवेशकों की सहायता करने के लिए एक समर्पित नोडल अधिकारी की नियुक्ति के भी निर्देश दिए गए है। उन्होंने कहा कि 500 करोड़ रुपये तक के निवेश प्रस्तावों की सहायता के लिए मण्डल स्तर पर नोडल अधिकारियों को नामित किया गया है। इसके साथ ही 2,000 करोड़ रुपये तक के एमओयू के लिए विशेष सचि/निदेशक रैंक के अधिकारियों को नामित किया गया है और 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव की सुविधा के लिए विभाग के प्रमुख या सचिव स्तर के अधिकारी को उत्तरदायी बनाया गया है।
     
      अपर मुख्य सचिव ने कहा कि एमओयूज के अनुश्रवण के लिए एक डिजिटल ट्रैकिंग तंत्र विकसित किया है। ऑनलाइन एमओयू ट्रैकिंग पोर्टल पर निवेशकों, नोडल विभागों और नोडल अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इसके अतिरिक्त ऑनलाइन एमओयू ट्रैकिंग पोर्टल के माध्यम से निवेश परियोजनाओं की प्रगति की मासिक समीक्षा भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि महामारी आने के बाद नवीन सेक्टरों को भी खासतौर से फोकस किया गया है और नए प्रकार के उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि  बल्क ड्रग तथा मेडिकल डिवाइस मैन्यूफैक्चरिंग के लिए समर्पित औद्योगिक पार्कों के विकास के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है।
      श्री आलोक कुमार ने कहा कि लॉजिस्टिक्स, डिफेंस, डेटा सेंटर आदि सेक्टरों का भविष्य भी उज्ज्वल है। राज्य सरकार नए बाजार के रुझानों के अनुसार नए अवसरों का लाभ उठाने हेतु कार्यवाही कर रही है। ग्रेटर नोएडा में 5,000 हेक्टेयर में विकसित किया जाने वाला जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तरी भारत के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक होगा। हवाई अड्डे के साथ एमआरओ/कार्गो कॉम्प्लेक्स और एयरोट्रोपोलिस जैसी परियोजनाओं के विकास की अच्छी संभावना है। इसके अतिरिक्त एमएसएमई पार्क, इलेक्ट्रॉनिक्स पार्क, परिधान पार्क, हस्तशिल्प पार्क और खिलौना पार्क भी इस क्षेत्र में प्रस्तावित हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रस्तावित जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगभग 6 किमी दूर 1,000 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में हाल ही में एक फिल्म सिटी की घोषणा की है। इन योजनाओं के फलीभूत होने से 40,000 करोड़ रुपये के निवेश और लगभग 2.5 से 3 लाख रोजगारों के सृजन की सम्भावना है।
      अपर मुख्य सचिव ने कहा कि कोविड-19 के दौरान औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत् सुधार पर भी विशेष बल दिया गया है। निवेशकों की सुविधा एवं सहायता के
लिए एक समर्पित एजेंसी- ‘इन्वेस्ट यूपी’ की स्थापना की गई है। देश में समान प्रकृति के संगठनों के विपरीत, जो या तो निवेश प्रोत्साहन या निवेश सुविधा प्रदान करते हैं, इन्वेस्ट यूपी निवेशकों को पूर्ण निवेश जीवन-चक्र की अवधि में सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न नए स्वदेशी व विदेशी निवेश प्रस्तावों की सुविधा के लिए राज्य सरकार ने ‘इन्वेस्ट यूपी’ में एक समर्पित हेल्पडेस्क स्थापित की गई है।

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