धमतरी, जेएनएन। जिले के दुगली गांव के धोबाकच्छार में दबंगों ने 20 आदिवासी व गरीब परिवारों से जमीन खाली कराने के लिए उनकी झोपड़ियों में आग लगा दी। धान के खेतों में तैयार फसल को मवेशियों से चरवा दिया। कलेक्ट्रेट में दो दिन धरना और ज्ञापन सौंपने के बाद कार्रवाई नहीं होने पर जब आदिवासियों ने सीएम आवास तक पैदल मार्च की चेतावनी दी तो 23 अक्टूबर की शाम न्याय का आश्वासन देते हुए सभी को वाहन से गांव भिजवा दिया गया। यद्यपि 13 अक्टूबर के घटनाक्रम के जिम्मेदारों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
पीड़ित परिवारों के सदस्य हरीश कुमार परते, रमोला बाई चक्रधारी, प्रेमबाई यादव, राधिका सोनवानी, बीरबल सोनकर, सुख बती परते, चमेली बाई, चंदन कोर्राम, गीता बाई, प्रताप सिंह आदि ने बताया कि 13 अक्टूबर को वन समिति दुगली व दीनकरपुर समिति से जुड़े कुछ सदस्य मौके पर पहुंचे और साथ में आए लोगों के साथ झोपड़ों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। भय के कारण सभी मौके से भाग गए और रिश्तेदारों के यहां रहे। फिर पैदल मार्च करते हुए 19 अक्टूबर को कलेक्टोरेट पहुंचे और ज्ञापन सौंपकर वन समिति सदस्यों पर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही काबिज जमीन का वन अधिकार पट्टा दिलाने के लिए गुहार लगाई।
23 अक्टूबर को मुख्यमंत्री निवास तक पैदल मार्च की चेतावनी देने पर ही प्रशासन हरकत में आया। पीड़ित परिवार के सदस्यों के अनुसार वे सभी 1993-94 से जमीन पर काबिज हैं। इधर डीएफओ धमतरी अभिताभ बाजपेयी ने कहा कि पीड़ितों ने थाने में शिकायत की है। जांच में दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस कानूनी कार्रवाई करेगी।
शिकायत झूठी, खुद जलाए झोपड़े
दूसरी तरफ वन प्रबंधन समिति दुगली के अध्यक्ष शंकर नेताम का कहना है कि ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर इन अवैध कब्जाधारियों को वनभूमि से हटाया गया है। झोपड़ी जलाने का आरोप निराधार है। खुद ही अपने झोपड़े जलाकर फोटो खींचकर शिकायत की है। 27 अक्टूबर को जांच टीम आ रही है, उसके समक्ष दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
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