शाहीन बाग़: विरोध प्रदर्शन के अधिकार की याचिका पर SC का फैसला सुरक्षित
दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सड़क पर धरना देने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. सुप्रीम कोर्ट विवाद को देखते हुए विरोध प्रदर्शन के अधिकार पर फैसला सुनाएगा.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि लोगों के आने-जाने के अधिकार के साथ विरोध के अधिकार को संतुलित होना चाहिए. जस्टिस एस के कौल ने कहा कि विरोध करने का अधिकार संपूर्ण नहीं है, लेकिन फिर भी एक अधिकार है. उन्होंने कहा, एक सार्वभौमिक नीति नहीं हो सकती क्योंकि हर बार स्थितियां और तथ्य अलग-अलग होते हैं बता दें, सुप्रीम कोर्ट में सात महीने बाद शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन धरना की वैधता पर दोबारा सुनवाई हुई. जस्टिस संजय किशन कौल की अगुआई वाली पीठ ने इस मामले में सुनवाई की. इससे पहले फ़रवरी महीने में पिछली सुनवाई हुई थी. बाद में मामला को सूचीबद्ध किया गया था. याचिका में कहा गया है कि आपदा और सामाजिक स्वास्थ्य पर खतरे के बावजूद सार्वजनिक स्थलों पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन को लेकर कोर्ट गाइडलाइन जारी करे.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अधिकारों की रक्षा के लिए विरोध और आवाज उठाने के खिलाफ नहीं हैं. जस्टिस कौल ने कहा कि जनता को समस्या हो सकती है लेकिन मुद्दा जनजीवन को ठप करने की समस्या से भी जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान कहा कि प्रदर्शनकारियों को एक उचित समाधान के लिए राजी करें.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि हमारी चिंता सीमित है, अगर हर कोई सड़क पर उतरने लगेगा तो क्या होगा? लोकतंत्र तो हर किसी के लिए है, आप प्रदर्शन करें. दिल्ली में हमारी चिंता ट्रैफिक को लेकर है. अगर आपकी मांग भी जायज है तो आप रास्ता कैसे बंद कर सकते हैं!
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