एक कप चाय
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चले आओ सुबह कितनी ,
ख़ुशहाल है।
सभी को सभी का दिल से इंतजार हैं।
एक चाय का प्याला ,,
संग संग घण्टों बातों का सुमार है
तेरे अनमोल लम्हे,
साथ चाय पीने का इंतजार है।
खिले हुए फूलो ,और
ओस की बूंदों सा पावन,
चाँद सा मुखड़ा तेरा।
गम्भीर भाव में ,
मुझे यूँ देखना तेरा।
खिली खिली फुलवारी,
में मौजूदगी तेरी।
गर्म चाय के प्याले ,
पास तेरे होने का एहसास मेरा।
जब गर्म भाप उड़कर
चेहरे को तेरे छू जाती।
तब गर्म चाय चुस्की ,
मन में सुकून के भाव जगाती।
वो इलायची,अदरक ,तुलसी मिलकर चाय का स्वाद बढ़ाती
तेरा यूँ एक टुक देखना,
नजरों की तपिश बढ़ाती
हर घूंट में जिंदगीजैसे
उमंगों से भर जाती
मानो सुबह की ताज़गी
मुझमे उत्साह जगाती।
फिर मीठी सी मुस्कान,
मानो मुझ में समाती।
चाय के साथ तेरे
सानिध्य का एहसास
मानो खुशियों की
बौछाऱे लाती।
ताजे से मौषम के साथ,
सुबह का आलम सजाती।
दुगुनी कर देता वो तेरे संग, बिताए पलों का एहसास।
भानु की लालिमा, नीला गगन, शीतल समीर कलियों की महक
वो मनमोहक एहसास ,
वो चाय का साथ ।
बहुत अद्भुद बन जाता ,
हर पल सुबह का तेरे संग।
तेरे होने का एहसास ,
जगा देता मुझे जलतरंग।
वो अधरों पर,
खिलती मुस्कान की बेबाक उमंग।
जी लेती उन पलों को,
बन तुझ सागर की बूंद का अंग।
वो साथ बिताए लम्हो की,
अनमोल धरोहर।
ऊर्जावान बना देती दिन को,
तेरे संग चाय की लत।
गर्म चाय की भाप से ,
कोमल अल्फ़ाज़ की महक
बढ़ती जाती नित्य
चाय के प्याले की ललक।
तेरे संग साथ बिताए
अनमोल लम्हो में
और चाय की कसक
सब मिलकर बनाते
खूबसूरत सी अलक,
जगाकर घानी सपने को
कैसे मिलते हम तुम।
प्रियंका द्विवेदी
मंझनपुर कौशाम्बी
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