देश की वास्तविक समस्या क्या है ? गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाए, सुरक्षा आभाव, बिजली, पानी, सड़क, अपराध, घूसखोरी, जमाखोरी, महिला अपराध, रूढ़वादिता, धर्मवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद, दहेज़ प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार, नशाखोरी, प्रदुषण, सरकारी कामकाज, जहरीली हवा, दूषित पानी, ध्वनी प्रदूषण शहरीकरण, मोब-लिंचिंग, फेक न्यूज़, किसान आत्म हत्या, कृषि समस्याए, अर्थव्यवस्था, औसत आय में कमी, यातायात सुविधाओं का आभाव, सार्वजनिक क्षेत्रो का निजीकरण, सेवा समाप्ति या कुछ और ? पर देश की प्रमुख समस्यायों की तह में जाकर उनके होने के कारणों का विवेचना करने पर सभी समस्याओं का मूल कारण "बढ़ती जनसँख्या" ही मिलेगा | सात दशकों से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बावजूद भी इस समस्या पर अब तक आवश्यक उचित कार्यवाही नहीं की गयी | प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के लाल किला से अपने भाषण में इस विषय को महत्व देना आशा की नई किरण के सामान है क्योंकि अधिकांश विषयों में प्रधानमंत्री जी ने जब भी लाल किला से बोला है तो उस पर कार्यवाही भी की है |
आकड़ों के आधार पर भारत की जनसँख्या विश्व में दूसरे स्थान पर है, पहले स्थान पर चीन है | जबकि सच्चाई यह है की हमारी जन संख्या चीन से भी अधिक हो चुकी है | वैश्विक कुल आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा भारत का है जबकि, वैश्विक स्तर का भारत में मात्र 4 प्रतिशत पानी पीने योग्य है | बेरोजगारी दर 9 प्रतिशत के करीब है | विश्व में, जनसँख्या घनत्व (407.7/km2) में हमारा स्थान 33 वां है | प्रजनन दर में 103वां स्थान है | प्रवासी के रूप में काम करने में पहला स्थान है | अपेक्षित जीवन में हमारा स्थान 130वां स्थान है | शिशु मृत्युदर में 116वां स्थान है | सिगरेट की खपत में 12वां स्थान है | शराब की खपत में 76वां स्थान है | भुखमरी में 102वां स्थान है | आत्म हत्या में 19वां स्थान है | स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च में 141वां स्थान है | ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स में 115 वां स्थान है | साक्षरता में 168वां स्थान है | वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में 140वां स्थान है | ह्युमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 129वां स्थान है |
सामाजिक प्रोग्रेस इंडेक्स में 53वां स्थान है | होमलेस पापुलेशन में 8वां स्थान है | बन्दुक के स्वामित्व के मामले में दूसरा स्थान है | लिंग असमानता सूचकांक में 76वां स्थान है | जानबुझकर हत्या करने के मामले में दूसरा स्थान है | वैश्विक गुलामी सूचकांक में चौथा स्थान है | जीडीपी ग्रोथ रेट में 9वां स्थान है | प्रति व्यक्ति जीडीपी में 122वां स्थान है | आयत में 11वां, निर्यात में 18वां स्थान है | विदेशी निवेश प्राप्त करने में 19वां स्थान है | अरबपतियों की संख्या में तीसरा स्थान है | न्यूनतम मजदूरी में 64वां स्थान है | रोजगार दर में 42वां स्थान है | क्वालिटी ऑफ़ लाइफ में 43वां स्थान है | वैश्विक नवाचार में 52वां स्थान है | इन्टरनेट प्रयोग में 141वां स्थान है | पुरुषो के फुटबॉल के खेल में 104वां स्थान है | ओलम्पिक गोल्ड मेडल में 48वां स्थान है | फिल्म निर्माण में पहला स्थान है | भ्रष्टाचार में 78वां स्थान है | डेमोक्रेसी इंडेक्स में 42वां स्थान है | नोबेल पुरस्कार में 24वां स्थान है | हवा की गुणवत्ता में 84वां स्थान है | वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक में 14वां स्थान है |
आकड़ो की आपसी विषमता यहाँ तक की जमीनी आवश्यकताओं की पूर्ति में आज भी संघर्षरत एवं सामाजिक, आर्थिक मुद्दों पर पिछड़ेपन की मुख्य वजह जनसँख्या विस्फोट का होना है | किसी भी देश के लिए जनसँख्या का महत्व तभी है जबकि उनके लिए जमीनी आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध हो और उन्हें सही मार्ग में प्रेर्रित कर उत्पादक कार्य करवाया जा सके जिससे देश के विकास के साथ-साथ उनकी स्वयं की जीवनशैली भी बेहतर हो सकें | परन्तु भारत में इसका व्यापक आभाव दिख रहा है | एक बड़ी आबादी औसत दर्जे से निचे का जीवन यापन कर रही है | कई कारणों में से एक कारण अधिक जनसँख्या भी है जिसके लिए सरकार निजी क्षेत्र को मुख्य भूमिका में लाने के लिए मजबूरन कार्य कर रही है | पड़ोसी देश चीन से भी हमने सबक नहीं लिया जब चीन ने जनसँख्या नियन्त्रण के लिए कठोर कानून बनाये यहाँ तक की तीसरे बच्चे के पैदा होने पर सरकार उस बच्चे की परवरिश करती थी बिना माता पिता को बताये, कई कटौतिया और कठोर दंड देकर चीन ने अपने आप को जनसँख्या के मामले में बेहतर किया है | विश्व की कुल जनसँख्या का हम 18 प्रतिशत है, संख्या में दुसरे स्थान पर और जीवन जीने के लिए जरुरी संसाधन इस अनुपात से नाममात्र के | देश के विकास में कई बाधाओं से बड़ी बाधा जनसँख्या वृद्धि रही है जिसको नियंत्रित किया जाना अत्यंत जरुरी है |
भारतीय संविधान की लगभग 20 प्रतिशत मूल बातें आज भी देश में लागू नहीं की गयी है | लगभग 125 बार हुए संसोधनो में 80 बार संशोधन जनता की मांग पर हुए है | यहाँ तक की कई बड़े न्यायालयी निर्णय भी जनता की मांग पर बदले गए | परन्तु दुर्भाग्य यह है की जनता द्वारा कभी भी जनसँख्या नियन्त्रण कानून की बात किसी भी मंच पर नहीं की जाती है | कुछ संगठनों और माननीय अधिवक्ताओं की मुहीम इस विषय पर चल रही है जिसे आम जनता के सहयोग की जरूरत है | सरकार भी इस बात को महसूस कर रही है तभी तो देश के आदरणीय प्रधान मंत्री जी ने लाल किला से जनसँख्या की बात को सामने ले आये है | विभिन्न संगठनों, आम जनता के आलावा राज्य सरकारें भी वोट बैंक की राजनीति से उपर उठकर केंद्र सरकार को जनसँख्या नियंत्रण बिल लाने के सहयोग कर सकती है | क्योंकि जिस तरह से जनसँख्या बढ़ रही है उसके लिए कठोर कानून की अत्यंत आवश्यकता है और इस में यदि बिलम्ब होता है तो आगामी कुछ वर्षो में भयंकर बेरोजगारी के साथ-साथ जगह-जगह अपराध में वृद्धि देखने को मिलेगी जिसे नियंत्रित करना सरकार के बूते की बात नहीं हो पायेगी | जनता को जागरूक कर मीडिया इस विषय में ऐतिहासिक भूमिका अदा कर सकती है |
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डॉ. अजय कुमार मिश्रा
drajaykrmishra@gmail.com
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