कोरोना वायरस की वजह से गंभीर रूप से बीमार मरीजी को तत्काल सुविधाओं की जरूरत होती है पर कई मामलो में लापरवाही सामने आनी शुरू हो गयी है शहर के एक व्यक्ति ने बताया की उनकी सांस फूलने लगी ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा कंट्रोल रूम में सूचना दी गई उन्हें आईसीयू की जरूरत  थी, लेकिन सभी अस्पताल में बेड फुल थे काफी प्रयास के बाद दूसरे दिन अस्पताल में बेड मिल पाया ऐसी कई घटनाये अब प्रकाश में आने लगी है विभिन्न मीडिया खबरों के अनुशार अधिकांश लोग घर में आइसोलेशन में है वजह सरकारी सुविधावों में खामियां बताया जा रहा है | लापरवाही की वजह से कुछ लोगो की जाने भी जा चुकी है |

 

 

लखनऊ के सभी अस्पतालों की आईसीएयू फुल हो गई हैं गंभीर मरीजों के लिए सभी अस्पतालों को मिलाकर सिर्फ 851 बेड हैं इसमें आईसीयू वेंटिलेटर की संख्या 282 है और हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) 569 हैं मरीजों की संख्या इससे दोगुनी है दो दिन से विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीज आईसीयू में बेड खाली होने का इंतजार कर रहे हैं किसी को 10 तो किसी को 15 घंटे बाद भी आईसीयू में जगह नहीं मिल पा रही है इसके चलते मौत का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा है

 

 

सबसे ज्यादा आफत पहले से बीमार मरीजों की है। इसमें 60 पार वालों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। सूत्रों का कहना है कि शनिवार सुबह आठ बजे के बाद से हालत बेहद खराब हो गए हैं। लेवल वन से थ्री तक के अस्पतालों को मिलाकर 569 एचडीयू और 282 आईसीयू वेंटिलेटर का इंतजाम किया गया है, लेकिन मरीजों की संख्या के सामने ये बेड कम हैं।

 

शनिवार दोपहर से रविवार शाम तक अस्पतालों में वेंटिलेटर खाली नहीं हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि लेवल वन में भर्ती 20 से अधिक मरीज कंट्रोल रूम में फोन कर रहे हैं। इन्हें आईसीयू की जरूरत है, लेकिन अस्पतालों में बेड फुल हैं। दरअसल जिन मरीजों को कई तरह की बीमारियां होती हैं और ऑक्सीजन लेवल गिर रहा होता है उन्हें एचडीयू में रखा जाता है। रिकवरी बढ़ने पर सामान्य वार्ड में शिफ्ट करते हैं। यदि हालात ज्यादा खराब हुए तो आईसीयू में शिफ्ट करते हैं। 

 

लोहिया संस्थान के शहीद पथ किनारे स्थित मातृ शिशु रेफरल हॉस्पिटल को 200 बेड का कोविड हॉस्पिटल बनाने का ऐलान मार्च में किया गया, लेकिन अभी तक यहां सिर्फ 133 बेड हैं। इसमें सामान्य बेड 83, एचडीयू 30 और आईसीयू- वेंटिलेटर के 20 बेड हैं। इसी तरह केजीएमयू में लिंब सेंटर को कोविड हॉस्पिटल बनाने का दावा किया गया, लेकिन इसे शुरू होने में तीन माह का समय निकल गया।

 प्रदेश की राजधानी का यह हाल है तो, अन्य जिलो की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है |


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