ग़म से रिश्ता मेरा पुराना है
संग आँसुओ का अफ़साना है
साथ साथ चलता यूं मेरे ,
जैसे उम्र भर साथ निभाना है।।

समस्याओं की चादर भी ऐसी,
 जिसको नित ओढ़ना बिछाना है
जाति उसकी गर तकलीफों की
संघर्षो से जीतता मेरा घराना है।।

परेशानियां घेर न ले मुझको,
खुद को काबिल अभी बनाना है,
उत्साह भर के रखो सभी ह्रदय में 
दीपक अगर खुशियों का जलाना है।
प्रेम में दिखाई दे जिन्हें ईश्वर
उनकी रहमत पर टिका जमाना है
 उम्र भर वफ़ा करो सबसे ,
ईश्वर के पास लौट के जाना है।।

मुस्कराती आँखों से देखा जमाने के ग़म को ,
भूल अपना ,उनकी तकलीफों को दूर भगाना है
इस लिए भी के ,ईश्वर को मुह दिखाना है।।

प्रियंका द्विवेदी
मंझनपुर कौशाम्बी

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