प्रेम का संदेश
विधा : गीत
प्रेम का एक संदेश,
भेज रहे है तुमको
लगाकर दिलसे इसको तुम
रख लेना अपने आस में,
फिर जो कभी याद आए मेरी,
आवाज़ देना अपने ह्रदय से ,
भागी चली आऊंगी तुम्हारे पास,
जागृत होंगे ह्रदय के जज्बात।
बहुत गहरी होती है,
प्रेम की दोस्ती।
जिसमें दिल और दिमाग
उलझे रहते है हर दम।
बनाने का वो सोचते है,
एक आशियाना,
जिसमे खुशियां और अच्छे
पलों का भरा ही खज़ाना
देखते जब आईना में
तुम बड़े प्यार से ,
खुद देख लेते हो मौषम ये
बहार के.....
कभी जो फूलों में देखोगें
फिर तुम्हें याद मेरी आएगी
जरूर खुशियों की सौगात न
सही आँखे प्रेम को दर्शाएगी
फिर मैं खुद मिलने आऊंगी तुम्हारे ख्वाबो के घरौंदे में।
ये तुम्हारी नजरो की
इनायत ही तो है।
जो तुमने हमे चाहा
इस कदर से।
न देखते तुम मुझको,
कुछ उस तरह से।
और न झांकते मेरे
दिल के अंदर तुम।
तो कैसे मिलते हम तुम
इस संसार की भीड़ में।।
मिलते कभी किसी जहाँ में
प्रेम के फिर तार,
सपनों के सुंदर स्वरूप को
मिलाने के लिए बेक़रार।
प्रियंका द्विवेदी, मंझनपुर कौशाम्बी
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