रवि पांच वर्ष का बालक था, इसी वर्ष उसका दाखिला विद्यालय में हुआ था। स्कूल में जैसे ही टिफिन की घण्टी बजी सभी बच्चे एक साथ लंच का बॉक्स लिए एक साथ निकले। रवि भी निकला, वह भी टिफिन खोल के लंच करने लगा। उसके बगल से शिक्षक गुजरे अरे राजू तुम टिफिन में क्या लाये हो?
सर , मैं 'बासी रोटी ' और चीनी लाया हूँ। तुम बासी रोटी खाते हो? हाँ, सर! मेरी नई मम्मी कहती है, बासी रोटी खाने से दिमाग तेज होता है, इसलिए मै बासी रोटी खाता हूं। दूसरे दिन भी राजू बासी रोटी ही खा रहा था शिक्षक ने रवि को देखा तो पुनः पूछा ,रवि तुम फिर बासी रोटी लाये हो। रवि,हाँ सर ! मेरा छोटा भाई जब ताजी रोटियाँ खाता है तो मेरा मन भी होता है कि मैं भी ताजी रोटियां खाऊँ।
नई मम्मी कहती है कि रवि बासी रोटियाँ खाते रहो, अपनी मम्मी के पास जाना है न तुमको माँ से मिलना है न तुमको, सर मेरी माँ भगवान जी के पास गई है मेरे लिए खिलौने लाने, ऐसा मेरे पापा कहते हैं मुझसे, जब मै माँ के पास जाने की ज़िद करता हु । अब रवि को उसके विद्यालय में दूसरे बच्चे बासी रोटी, बासी रोटी बोलकर चिढ़ाने लगे थे।
आज उसके शिक्षक ने कहा कि रवि कल अपने पिताजी को बुला लाना मुझे उनसे बातें करनी है। रवि के पिता दूसरे शहर में कार्यरत थे दूसरे दिन वो रवि के स्कूल नहीं जा सके। रवि आज स्कूल नहीं गया था उसकी मम्मी बर्तन धो रही थी रवि को घर में ही देखी तो पूछी कि स्कूल क्यों नहीं गया? रवि रवि बहुत ही मासूमियत से बोला मम्मी स्कूल में सभी बच्चे मुझे बासी रोटी,बासी रोटी बोलकर चिढ़ाते हैं, और पापा को टीचर ने बुलाया था पापा यहा नहीं हैं न तो आज मैं स्कूल नहीं गया।
वह आगे बोलता गया, मम्मी मैं इतने दिनों से बासी रोटी खा रहा हूँ, भगवान जी मुझे लेने क्यों नहीं आये? तुम कहती हो कि बासी रोटी खाने से मुझे मम्मी मिल जाएगी, भगवान जी मुझे लेने आएंगे । पर अभी तक....इतना सुनते ही उसकी नई मम्मी बर्तन धोना छोड़ लपककर उसे गोद उठाई जैसे वही उसकी माँ हो, चूमने लगी इतना चूमने लगी जैसे वर्षों से कोई बिछड़ी हुई माँ अपने बच्चे से मिली हो। उसका ममत्व जाग गया था। वह उसे प्यार करने से खुद को रोक ना सकी ।
आज एक सौतेली माता के हृदय की कालिख धुल गयी थी। बहुत देर तक वह रोती रही, उसे चूमती रही। नयन से बहती गंगा धारा के साथ उसके भीतर बैठी सौतेली माता बह चुकी थी। रवि भी स्तब्ध था। वह रोते हुए माता के आंशू को पोछते हुए कहा,लगता है भगवान ने मेरी माता को भेज दिया है, नई माँ
प्रियंका
द्विवेदी,
प्रयागराज
उत्तर प्रदेश
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