पिछले कई दिनों से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार की नीतियों और खामियों को लेकर बेबाक राय रख रहे है | अब उन्होंने तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण पर अपनी चिंता व्यक्त की है | लखनऊ जिले में सबसे अधिक सक्रिय कोरोना केस हैं, लेकिन अस्पतालों में बेड सीमित है एसजीपीजीआई, केजीएमयू और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पास काफी बेड हैं, पर कोरोना मरीजों के लिए चंद बेड ही आरक्षित किए गए हैं इन तीनों प्रमुख चिकित्सा केंद्रों की बेड क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो रहा है। राजधानी में सबसे अधिक भार निजी मेडिकल कॉलेजों पर डाल दिया गया है सरकार कोरोना संक्रमण को रोकने में नीति बनाने में असफल रही है | अखिलेश यादव ने यह भी कहा की कई अस्पतालों में बेड खाली है फिर भी लोगो को भर्ती नही किया जा रहा है | 

अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में 1.36 लाख से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज हैं इनमें 2230 की मौत भी हो चुकी है। दुनिया में केवल 22 देशों में उत्तर प्रदेश से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज हैं कोविड-19 की चपेट में मंत्री, विधायक और अधिकारी भी रहे हैं। राजधानी में 62 वर्षीय महिला कैबिनेट मंत्री से लेकर एक वर्ष की मासूम बच्ची तक की जान जा चुकी है। यदि अधिकारी मुख्यमंत्री के निर्देश का पालन करते और पीजीआई, केजीएमयू लोहिया संस्थान में क्षमता के अनुरूप बेड आरक्षित करते तो कोरोना संक्रमण की तस्वीर कुछ और होती। सरकार ने निजी अस्पतालों निजी मेडिकल कालेजों पर मरीजों की भर्ती का दबाव बढ़ा दिया है

लखनऊ के अस्पताल अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं, जबकि दिल्ली, मुंबई और चेन्नई सहित सभी महानगरों के निजी चिकित्सालय वैश्विक लड़ाई में सरकार के साथ खड़े हैं यह स्थिति इसलिए है क्योंकि भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं पर कभी ध्यान नहीं दिया सपा सरकार में जितने मेडिकल कॉलेज बने, एमबीबीएस की सीटों में वृद्धि हुई भाजपा ने उसके आगे कुछ कार्य नहीं किया 108 और 102 एंबुलेंस सेवा बर्बाद कर दी गयी है आपको बता दे की राज्य सरकार ने कई निजी अस्पतालों को कोरोना का इलाज करने की अनुमति आज भी प्रदान की है | 500 से कम कोरोना केस आज लखनऊ में मिले है |

 


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