कोरोना कोई समाचार या कहानी नहीं जो समय के साथ धुंधली पड़ जाए, समय के साथ इसका स्वरूप और भी विकराल होता जा रहा हैं और लोगों के मस्तिष्क में इसकी छवि धूमिल हो रही हैं, हमारे देश के लोग इसको बाकी बीमारियों की तरह ही लेरहे हैं और जरूरी दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रहे |
डब्ल्यूएचओ के अनुसार कोरोनावायरस हवा में 8 घंटे तक जीवित रह सकता है, ऐसे में मास्क का उपयोग करना अति आवश्यक है घर में पहनने वाले मास्क और बाहर जाने में पहनने वाले मास्क में कुछ अंतर हो सकता हैं | बाहर जाते समय लोग ट्रिपल लेयर मास्क का प्रयोग कर सकते हैं और घर में सिंगल लेयर मास्क का उपयोग कर सकते हैं, हर समय मास्क लगाए रहने से भी फेफड़ों पर उसका दुष्प्रभाव पड़ने की संभावना हैं l अतः मास्क का उपयोग बहुत ही सोच समझकर किया जाना चाहिए |
मैं देश के एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर जब घर से बाहर निकलता हूं तो मेरी कोशिश यही रहती है कि जरूरी काम से ही बाहर निकलो और कार्य समाप्त होते ही घर को वापस आ जाएं बाहर ज्यादा समय बिताना अपनी जान के साथ खेलना ही होगा, बाहर निकलते ही मुझे मूर्खों की कुछ ऐसी टोलियां दिखाईदेती है जो कोरोनावायरस को डेंगू समझती है और सोचते है कि जब मच्छर काटेगा तभी बीमारी लगेगी औरऐसे तमाम लोग आपको सड़कों, बाजारों पर और गलियों में दिखाई दे जाएंगे,जो दिशा निर्देशों को एक कान से भी नहीं सुनना चाहते |
ऐसे महानुभाव से मेरी यह प्रार्थना हैं कि बंधु कोरोनावायरस कोई रोचक कहानी नहीं है जो समय के साथ धुंधली पड़ रही है बल्कि यह एक वैश्विक महामारी है जो मनुष्य के वैज्ञानिक अविष्कार का एक कटु सत्य है औ रइसे मैं "ट्रायल ऑन ह्यूमन" भी कहूंगा, जो एक युद्ध की स्थिति जैसा है बस हथियार कुछ अलगहैं l विश्व में जो देश तेजी से आगे बढ़ रहे थे खासकर एशियामें भारत उनको आर्थिक तौर पर एक गंभीर चोट पहुंचाने की साजिश हैं | देश के हर एक नागरिक का कर्तव्य हैं कि इस युद्ध में देश के साथ खड़े रहे और ज्यादा से ज्यादा कोरोनावायरस सेसंबंधित दिशा निर्देशोंका पालन करें ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका हर्जाना ना चुकाना पड़े और देश तेजी से पटरी पर आ जाए |
लेखक-
अमृताश मिश्रा
असिस्टेंट प्रोफेसर
इन्वर्टिस विश्वविद्यालय
बरेली, उत्तरप्रदेश
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