पहले पुलिस के खिलाफ एक कविता सुनो। फिर असली कहानी सुनाऊंगा। ये कविता और कहानी सुनकर, पूरे भारत की जनता दंग रह जायेगी।

कविता: 
- सुनो भारतवासियों, 
- कहानी असल नामर्दांगी की।
- मार न पाए गुनाहों को, 
- तो हद पार की दरिंदगी की।

- पुलिस वालों ने मारा तीतर, 
- चुपके से, अंदर-अंदर भीतर।
- और फिर साहब जी आके समझाए जनता को, 
- करके सलाम भारत के नामर्द वीर सिपाही को।

- गुनहगार मारा या पैदा किया, ये है मेरी हैरानगी।
- इसको पुलिस की वीरता बोलूं, या फिर नामर्दांगी।

- कोई ये तो समझाए हम निर्दोष मासूम जनता को,
- वर्दी-बंदूक के दम पर, तुम कब तक पिसोगे हमको?

- जीने नही देते जनता को,
- ये करते है पैदा गुनहगार।
- फिर अकड़े टीवी-कैमरे पर, 
- बोलें, छोड़ेंगे नही इस बार।

इसलिए कहता हूँ छाती-ठोक कर, भारत के पुलिस वालों, तुम्हारी ऐसी की तैसी। ये विकास दुबे, जिसके एनकाउंटर पर बिहार का DGP गुप्तेश्वर पांडेय, कैमरे पर इतना उछल रहा है, उसको ही मेरी ये कविता समर्पित करता हूँ। 

अब असल कहानी भी सुनो:

पुलिस वाले वर्दी, बन्दूक, पावर और थानों को अपने बाप की जागीर समझकर कार्य करते है। नेताओं के तलवे चाट कर उनकी चापलूसी करते है। और उनके ऐसे रवैये से जब विकास दुबे जैसे लोग पैदा होते है, तब एनकाउंटर करके, नामर्दों की तरह स्वयं की पीठ थपथपाते है। 

मैंने जो इस कंटेंट में लिखा है, उसके बदले में, ये है सबूत: 

1) ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी और रिपब्लिक न्यूज़ के अर्णब गोस्वामी पर ज़बरदस्ती FIR करते है, और विकास दुबे जैसे गुनाहगार की मदद कर, उनको शिखर पर पहुंचाते हैं। फिर एनकाउंटर करके नामर्दांगी दिखाते है। और अपनी नामर्दांगी को बेशर्मी से वीरता का नाम देते हैं।

2) हम जैसे आम आदमी की ना तो FIR दर्ज करते है, न सुनवाई करते है। कई बार शिकायत करने के बावजूद, केंद्रीय गृह मंत्रालय के 3-4 आदेश के बावजूद, PMO से आदेश आने के बावजूद; आज के दिन तक, मेरे इलाके की पुलिस ने कभी मेरी किसी भी शिकायत पर, एक भी FIR नहीं दर्ज की। काफी महीने गुज़र गए, लेकिन आज भी सारे पत्र और संवाद, सबूत के तौर पर मैंने संभाल कर रखे है। और विपक्षी नेताओं के आदेश पर, पहुंच गए सुधीर चौधरी और अर्णब गोस्वामी को पकड़ने। फटाफट FIR दर्ज कर ली उनके खिलाफ, जोकी निर्दोष थे। क्या गुनाह था सुधीर और अर्णब का? यही, की उन्होंने अपने न्यूज़ चैनलों पर सच बोला। इस गुनाह के लिए FIR दर्ज की? क्या बोलने की आज़ादी नही जानता और मीडिया को?

आखिरी बात: इस पूरे घटनाक्रम में, एक बात मैं साफ कर देता हूँ। ना ही किसी भाजपा मंत्री, ना प्रधानमंत्री, ना गृहमंत्री - इनको हम दोष नही दे सकते। इन्होंने पूरी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाई है। इनके विभाग के अफसरों की भी गलती नही है। असल बात ये है, की आजकल सभी सरकारी कर्मचारी (खास करके पुलिस) मनमानी करते है, पावर और पोजीशन का दुरुपयोग करते है। और जब मंत्री एवं उनके विभाग के लोग आदेश देते है, तो वो बेशर्म सरकारी कर्मचारी, उन आदेशों का पालन तक नही करते। मेरे पास पुख्ता सबूत है इसके। इतनी गर्मी चढ़ गई है इन पुलिस वालों को। और फिर गुप्तेश्वर पांडेय जैसे बिहारी IPS अफसर, आ जाते है कैमरे पर हीरोगिरी और पुलिसगिरी दिखाने। ये है इनकी असलियत। अरे जा साले पुलिस वाले, नहीं बजेगी तुम्हारे एनकाउंटर पर कोइ ताली। नही करता सलाम तुम्हारी इस नामर्दांगी को। बेवकूफ मीडियावालों की तरह, मैं नही बजाऊंगा ताली तुम पुलिस वालों के लिए। क्या कर लोगे? मेरा भी एनकाउंटर करोगे? इंतज़ार किस बात का है नामर्दों? आइये, पधारिये। ADDRESS चाहिए मेरा? मैं विकास दुबे की तरह, ना तो छुपने वाला हूँ, ना भागनेवाला हूँ। एक रास्ता है जो तुम सब नामर्द पुलिस वाले कर सकते है - विकास दुबे की तरह सारे देश की जनता का भी एनकाउंटर कर दो। और विकास दुबे जैसे और भी गुनहगार पैदा करो। और मंत्रालय के आदेश का पालन भी मत करो। बस तुम साले पुलिस वालों की इतनी ही औकात है। यही कर सकते हो तुम। शायद इसलिए भगवान को अपनी कोरोना-सेना पृथ्वीलोक पर भेजनी पड़ी। ताकी तुम्हारे जैसे सारे पापीयों, दुष्टओं, अत्याचारियों और अधर्मी का अंत हो सके।

धन्यवाद भगवान जी, अब जाकर मेरी भड़ास निकली। बहुत दिनों से मौका ढूंढ रहा था अपनी भड़ास निकालने का। अब अच्छा महसूस हो रहा है।

    Kalpesh Sharma
    shrishanidev@gmail.com 
    pvtint@gmail.com

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने