यूँ आँखों की सौगात ये है
हमदम तेरा साथ भी है
ज़िन्दगी जैसे खास भी है,
उम्मीदों की आस भी है
यूँ भीगी भीगी सी ,बरसात भी है
हमदम तेरा साथ भी है.......
यूँ विरह की सौगत भी है
मायूसी की रात भी है
अब क्या नजारों में रखा है ,
तेरा चेहरा काफी है ..
तुझसे ही खुश रहता है दिल,
तुझसे ही नराज भी है ।
अब भी तू मुझमे है ,
जैसे साहिल दरिया का,
ग़मो के मारे हम दोनों
अधूरे से जज्बात भी हैं।
अब ये मोह्हबत कम न होगी
मरते दम तक खत्म न होगी।
सिर्फ लबो तक आते ही नही
दिल के ये जजब्बत भी है।
दिल का रिश्ता जो फिर टूटा
खुशियों का साया फिर जो छूटा
सिमट अकेले रातो को
अनकही सी बात भी है
प्रियंका द्विवेदी
मंझनपुर, कौशांबी
उत्तर प्रदेश
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