अर्थव्यवस्था को है आपके योगदान की जरूरत !
कोरोना महामारी से दुनियाँ भर के देश प्रभावित हुए है | सभी देश कोरोना के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए तेजी से कार्य कर रहे है | कई देशों ने अर्थव्यवस्था की जरूरत के ऊपर उठकर लोगों के हितों को प्राथमिकता दी है उन देशों मे से भारत एक है | इस समय मे देश को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है | देश मे संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और अब हम चौथे स्थान पर आ गए है | हमसे ऊपर रूस, ब्राजील और यूनाइटेड स्टेट्स देश है | संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के पीछे देश मे कई कारण रहें है जिनमे मजदूरों का पलायन प्रमुख रहा है | पर अभी भी चिंता का विषय यह है की हम टेस्टिंग कम कर रहें है जबकि अन्य देश तेजी से टेस्टिंग मे लगे है | महामारी का स्वरूप क्या होगा अभी कुछ कहा नहीं जा सकता पर उसका नकारात्मक प्रभाव लोगों के मन मे बैठ गया है जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान उठान पड़ रहा है | अब हम सभी को इस बात को समझने की जरूरत है की देश मे जो भी घटना होती है उससे उत्पन्न परिस्थिति से सभी जरूर प्रभावित होते है | प्रत्यक्ष रूप से ना सही तो अप्रत्यक्ष रूप से ही प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है | ऐसे मे यह जरूरी है की सभी को महामरी से लड़ने के साथ-साथ अपने कार्यों को तेजी से करके, नये तरीकों के बारे मे भी सोचने की, अन्यथा की स्थिति मे दोहरी मार से हम सब उबर नहीं पायेगे |
इस महामारी की वजह से देश मे तेजी से बेरोजगारी बढ़ी है, राज्य और केंद्र सरकार की आय मे तेजी से कमी आयी है, वस्तुओं और सेवाओ की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई है, पर्यटन और हास्पिटैलिटी क्षेत्र ढहने की कगार पर है, देश मे ईंधन की खपत मे तेजी से कमी आयी है, उपभोक्ताओं की गतिविधियों मे बड़ा परिवर्तन हुआ है | इन सबका प्रभाव आम आदमी पर धीरे-धीरे पड़ना शुरू हो गया है | स्वरोजगार का बुरा हाल है | संगठित क्षेत्रों मे कार्यरत लोगों की 14 से 40 प्रतिशत तक वेतन मे कटौती की गयी है | इस महामारी के नकारात्मक प्रभाव से कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है |
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) ने 26 मई को यह सार्वजनिक किया है की भारत की वर्तमान आर्थिक मंदी, आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक मंदी होगी | भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने एक शोध के आधार पर यह अनुमानित किया है की वित्तीय वर्ष 2021 के पहले तिमाही मे जीडीपी मे 40% तक की कमी होगी | कोरोना वायरस की वजह से मात्र एक माह मे (15 मार्च से 19 अप्रैल) बेरोजगारी दर 6.7 पप्रतिशत से बढ़कर 26 प्रतिशत तक पहुच गयी है | लॉक-डाउन की अवधि मे लगभग 14 करोड़ लोगों की नौकरियां गयी है | देश भर मे 45% से अधिक परिवारों ने पिछले वर्ष की तुलना मे 45% से अधिक आय मे गिरावट दर्ज की है | भारतीय अर्थव्यवस्था को पहले 21 दिनों के लॉक-डाउन अवधि के दौरान रुपया 32,000 करोड़ प्रतिदिन नुकसान हुआ है | भारत की प्रमुख कम्पनियों लार्सेन एण्ड टर्बो, भारत फोर्ज, अल्ट्रा टेक सिमेन्ट, ग्रसिम इंडस्ट्री, बजाज ग्रुप, रिलायंस, आदित्य बिरला ग्रुप, सहारा ग्रुप, भेल, टाटा मोटर्स आदि ने अपने कार्य को न केवल कुछ अवधि के लिए रोक दिया बल्कि अपने ऑपरेशन को कम कर दिया | युवा स्टार्ट-अप को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है |
ट्रांसपोर्ट कम्पनियों के रेविन्यू मे 95 प्रतिशत तक की गिरावट आयी | पर्यटन उद्योग को मार्च अप्रैल माह मे अकेले रुपया 15000 करोड़ का नुकसान हुआ है | लाइव ईवेंट इंडस्ट्री को रुपया 3000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है | पूर्व मुख्य वित्तीय सलाहकार (सी.ई.ए.) श्री अरबिन्द सुब्रमन्यन के अनुसार भारत को 10 ट्रिलिऑन (यूएस $140 बिलियन) प्रोत्साहन राशि की जरूरत होगी ताकि अर्थव्ययस्था को बचाया जा सके | मूडीज (Moody’s Investor Services) ने वित्तीय वर्ष 2020-21 मे देश की जीडीपी विकास दर को 5.3% से घटकर 2.5% का आकलन किया है | फिटच ने अपनी रेटिंग मे वित्तीय वर्ष 2020-21 देश की जीडीपी विकास दर को 2% का अनुमान लगाया है | भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने वित्तीय वर्ष 2020-21 देश की जीडीपी विकास दर को 0.9 % से 1.5 % की बीच रहने का अनुमान लगाया है | भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकान्त दास के अनुसार भारत की जीडीपी विकास दर वित्तीय वर्ष 2020 और वित्तीय वर्ष 2021 मे नकारात्मक रहेगी | ये कुछ आँकड़े है जो देश की वर्तमान परिस्थिति को बयां कर रहे है |
कृषि, उत्पादन, स्टॉक मार्केट, ई-कॉमर्स, डिफेन्स, पर्यटन, विमान, बीमा, बैंक, म्यूचूअल फंड, मीडिया, हाउज़िंग, सेवा उद्योग समेत सभी क्षेत्रों पर कोरोना महामारी का बुरा प्रभाव पड़ा है | अंतर्राष्ट्रीय निर्भरता कम करने का सही समय भी यही है तभी तो देश के प्रधानमंत्री जी ने कई आर्थिक घोषणा के साथ इस बात पर विशेष बल दिया है की देश आत्मनिर्भर बने | लोगों के आत्मनिर्भर बनने से देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलना प्रारंभ हो जाएगा | अब जरूरत है की आप जहां भी है वहा उत्पादक बने रहिए और नजदीकी उपलब्ध कार्यों मे योगदान बढ़ाकर अपनी आय के साथ-साथ देश के विकास मे भागीदारी सुनिश्चित कारिये | जरूरत यह भी है की नये मॉडल को अपना कर घर से कार्य करके कैसे उत्पादक बना जाए इस पर विचार के साथ-साथ कार्य करने की | 130 करोड़ की आबादी उत्पादक बनेगी तभी इस महामारी से लड़ा जा सकता है, और यह तभी सम्भव है जबकि श्रम का बचत करने के बजाय हम सब सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन करके अपनी सुरक्षा के साथ कार्य करें | यदि हम सब ऐसा करने मे विफल होते है तो आने वाले दिनों मे अनेकों नई समस्याओं से दो चार होना पड़ेगा जो कोरोना वायरस की महामारी से भी भयावह हो सकता है |
डॉ. अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)
drajaykrmishra@gmail.com
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