पर्यावरण से मानव जीवन की सुरक्षा
आज विश्व पर्यावरण दिवस को भारत समेत दुनियाँ भर के लोग मना रहें है और अपने आप को प्रतिबद्ध कर रहें है पर्यावरण को बचाने के लिए | ऐसा नहीं है की यह पहली बार हो रहा है बल्कि काफी लंबे समय से हम सब ऐसा करते चले आ रहें | प्रदूषण, जंगलों की समाप्ति पर्यावरण के लिए बड़ी चिंता का विषय है | पर इन सबके अतिरिक्त यदि बारीकी से पर्यावरण का मूल्यांकन किया जाए तो हम इंसानों ने अपने अतिरिक्त ईश्वर की दी हुई कई अभूतपूर्व चीजों को नुकशान पहुचाया है हम इतने स्वार्थी और एकाँकी प्रवृत्ति के है की जीवन मे सर्वोपरि अपनी महत्ता को रखते है और उसके अतिरिक्त सभी बातें हमारे लिए दूसरे दर्जे की है |
जानवरों, पक्षियों और कीड़ों-मकोड़ों तक का इस धरती पर उतना ही अधिकार और आवश्यकता है जितनी इंसान की पर हम खाने और विभिन्न शौक को पूरा करने के उद्देश्य से बड़ी से बड़ी क्षति किसी को पहुचाने से पीछे नहीं रहें है | शहरीकरण की चाह लोगों मे दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ती जा रही है | लोगों को शहर मे आने की वजह से जंगलों का तेजी से काट कर उन पर बड़ी – बड़ी इमारतें बनायी जा रही है | जंगलों की आवश्यकताओं की पूर्ति भी करने वाला कोई नहीं है क्योंकि जिस तरह से बाग पूर्व के समय मे लगाए गए थे आज लोग बाग तो दूर की बात एक पेड़ भी नहीं लगा रहे है |
यानि की प्रकृति और पर्यावरण आज दोहरी मार झेल रहा है | चिड़ियों के द्वारा अनेकों बाग अंजाने मे ही लग जाते थे पर अब शहरीकरण के परिवर्तन की वजह से इन चिड़ियों को रहने की भी जगह नहीं मिल रही है | उपर से लोगों के अलग – अलग शौक कीड़ों मकोड़ों तक को असुरक्षित बना दे रहे है जिससे कई भीषण बीमारियों का पदार्पण विगत के वर्षों मे समाज ने महसूस किया है |
ऐसा नही है की पर्यावरण को नुकशान पहुचाने से लोगों को नुकशान नहीं हो रहा है | अनेकों लोगों की आकस्मिक मृत्यु का कारण आज अकेले पर्यावरण है और पर्यावरण को प्रेररित करने के पीछे इंसान है यानि की विभिन्न प्रजातियों के अलावा इंसान स्वयं का भी दुश्मन है | विषय और भी गंभीर और चिंताजनक इस लिए भी है की हम अपनी पीढ़ी को क्या देने वाले है |
मौसम मे अस्थिरता भी पर्यावरण की ही देन है जिससे हम सब को दो चार होना पड़ रहा है | गर्मी मे बारिश, ठंड मे गर्मी, बारिश के मौसम मे गर्मी या ठंड अनेकों परिवर्तन दिख रहे है विभिन्न तूफ़ानों के पीछे भी पर्यावरण ही कारण है | हम कई रूपों मे पर्यावरण को नुकशान पहुचा रहे है | फिर चाहे दिन प्रतिदिन का घर से निकल कूड़े के लिए पर्याप्त व्यवस्था का न होना ही क्यों न हो |
कई संगठन और लोगों का प्रयास पर्यावरण को बचाने मे सराहनीय है पर आवश्यकता के अनुरूप लोगों के सहभागिता की कही अधिक जरूरत है | आज खुली साफ हवाँ कितने लोगों को प्राप्त हो रही है वह सबके सामने है | कई विशेषज्ञों का यहाँ तक मानना है की मानव सभ्यता के अंत हेतु विनाश के लिए मुख्य कारण पर्यावरण ही होगा और बात कुछ हद तक सही भी है जिस तरह से हम आधुनिक और एलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर निर्भर होते चले जा रहे है है कही न कही पर्यावरण से दूर भी होते चले जा रहे है |
अब हम सब को इस विषय मे स्वयं आगे बढ़ने की जरूरत है और कम से कम यह सुनिश्चित करना होगा की अधिक से अधिक संख्या मे नये पेड़ लगाए बल्कि यह भी सुनिश्चित करें की प्रकृति को किसी भी रूप मे नुकशान न पहुचाए | इस धरती पर सबका सामान अधिकार है चाहे वह मनुष्य हो, जानवर हो, या फिर कीड़े-मकोड़े ही क्यों न हो | एक दूसरे के जीवन के लिए समान रूप से सबकी जरूरत है | यादि आप प्रकृति को जिंदा रखने मे सहयोग नहीं कर सकते तो अधूरी और झूठी तरह से पर्यावरण के प्रति चिंता सोशल मीडिया पर व्यक्त करना आपके अपने स्वयं के प्रति झूठ बोलने से कम नहीं है | आज जरूरत बड़े पैमाने पर कार्य करने की है जिससे जीवन को बचाया जा सके |
डॉ. अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)
drajaykrmishra@gmail.com
ये धरती मात्र मानवों की नही है बल्कि समस्त जीव जन्तुओं, वनस्पति का भी समान अधिकार है लेकिन मानव ने इसके स्वरूप को सर्वाधिक छति पहुँचाई है। ग्लोबल वार्मिंग भी इसी मानव विकास की देन है।
जवाब देंहटाएंलेखक के द्वारा पर्यावरण पर एक सटीक विश्लेषण।
Bahut khoob. You have through your article have very effectively drawn out the importance of nature and natural beings on earth and their importance in our lives. We have started staying indoors more because of so many electronic gadgets and never realise the importance of parks and trees and greenery around us.Our generation indulged in a lot of outdoor activities and ensured greenery around us and even planted trees. We could hear the chirping of variety of birds. I remember in our lane their used to be just 6 bungalows now only my bungalow has converted into a multistoried building with almost 1000 people living there with concrete all around and all trees uprooted. If this continues the free oxygen will also not be available to breathe.
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