धरती_के_दामन_पर
                       

उसके  नूर  के  आगे  तू  बेनूर  है बन्दे
उसकी  पहुंच  से तू  बहुत दूर  है बन्दे

कितना गुमां था तुझे  अपने परमाणु पे
उसके इक कीटाणु से  तू चूर चूर है बन्दे

तेरे  हर इक दर्द को वो सहलेगा हंसकर 
मगर  उसका  दर्द तो  बड़ा नासूर है बन्दे

चोटी के  देशों को  चोट लगी है कस के
सबक है उसके लिए  जिसे गुरूर है बन्दे

दौलत की दौड़ में  दौड़ा था बहुत तेज 
अब  घर  की  कैद में  तू मजबूर है बन्दे

मौत  के  डर  से  तेरा  उड़  गया  है रंग
पर कुदरत की जिंदगी में  शरूर है बन्दे

तरक्की के दम पर  तूने की हैं मनमर्जियां
पर होगा वही जो उसको  मंजूर  है  बन्दे

किस गुनाह की सजा  बेकसूरों को मिली
यह कितना नापाक सा तेरा कसूर है बन्दे

दिल मैला रख के सूरत को चमकाने वाले
उसके आगे ना कोई भी  कोहिनूर  है बन्दे

धरती के दामन पर चलता रहा उमर भर 
एक बूटा ना लगाया  कैसा दस्तूर है बन्दे

हां उसके  प्यार के  हकदार हो सकते हो
अगर  इंसानियत  तुझमें  भरपूर  है  बन्दे

तुम तो आओगे #माही  फिर चले जाओगे
उसका कयामत तक किस्सा मशहूर है बन्दे


 शुक्रिया 
माही मुकेश 🖋️
डी. ऐ. वी. कॉलेज ऑफ एजुकेशन , होशियारपुर (पंजाब)

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