जिंदगी मुश्किल, मौत आसान !


आज से ठीक चार माह और तीन दिन पहले भारत मे कोरोना वायरस का पहला केस सामने आया था | विभिन्न मीडिया की खबरें सरकार के प्रयासों और प्रचार-प्रसार ने यह सबके मन मे अंकित कर दिया की कोरोना वायरस सबसे खतरनाक बीमारी है और इससे बचने के बहुत ही सीमित उपाय है | इस अवधि मे अनेकों नई बातों से लोगों को दो चार होना पड़ा है | कई फेक समाचारों ने लोगों को गुमराह भी किया | इस अवधि मे सरकार के कई निर्णय भी विवादों के घेरे मे रहें है | आज कोरोना वायरस की स्थिति भारत मे गम्भीर है वजह संक्रमण की संख्या का अब 1,98,706 हो जाना है | कई विशेषज्ञ भारत मे अब कोरोना वायरस का कम्यूनिटी संक्रमण होना भी बता रहें है जो की चिंता का विषय है | हालांकि अब तक 95,527 लोग ठीक हो चूकें है, जबकि 5,598 लोगों की इस संक्रमण से मृत्यु हो चुकी है | भारत मे इस वायरस से संक्रमित लोगों की मृत्यु दर 2.82% है | इस महामारी ने लोगों को न केवल अपने प्रति जागरूक किया है बल्कि यह सोचने पर विवश भी किया है की जीवन का अंतिम सत्य वास्तव मे क्या है | साथ ही सरकार को नागरिकों की स्वास्थ्य सुविधाओं के बारें मे नये सिरे से सोचने पर विवश किया है |

भय, घबराहट, तनाव, चिंता, विवशता, अस्थायी तौर पर लोगों के जीवन मे अनेकों ससमस्या दिखाई पड़ रही है पर आपको जानकार यह ताज्जुब होगा की भारत मे जीवन कभी भी आसान नहीं रहा है | हाँ यह जरूर पहली बार हुआ है की सभी ने मृत्यु के एहसास को इतने नजदीक से कई वर्षों बाद महसूस किया है | खराब स्वास्थ्य सेवायें, निम्न स्तर के रहन-सहन, खान-पान मे कमी, स्वच्छ पानी का अभाव, प्रदूषण और आधारभूत आवश्यकताओं की व्यापक कमी भारत के लोगों के जीवन को सबसे सस्ता बनाती है तभी तो यहाँ अधिकांश कार्य और विषय भगवान के भरोसे लोग आसानी से छोड़ कर आगे बढ़ते है | जबकि उन्हे उन समस्याओं पर कार्य करने की जरूरत होती है |

हृदय संबंधी बीमारी की वजह से लाखों लोग प्रतिवर्ष काल के गाल मे समा जाते है | औसतन 28 लाख लोगों की मृत्यु टी.बी. की बीमारी से प्रतिवर्ष हो जाती है और यह संख्या काफी ज्यादा है जबकि इस बीमारी का इलाज उपलब्ध है | पेट संबंधी विभिन्न बीमारियों से औसतन 10 लाख से अधिक लोग प्रतिवर्ष मृत्यु को प्राप्त हो जाते है | प्रतिवर्ष लगभग 11 लाख लोगों की मृत्यु धूम्रपान की वजह से आयी बीमारी की वजह से हो जाती है | अकेले मलेरिया की वजह से 30 से 40 हजार लोगों की मृत्यु प्रतिवर्ष हो जाती है | कैंसर, अस्थमा, मधुमेह, स्ट्रोक, प्रदूषण की वजह से लाखों लोगों की मृत्यु प्रत्येक वर्ष हो जाती है | सड़क दुर्घटना से मरने वालों की संख्या भी अधिक है | 1000 नवजात बच्चों मे से 30 लोगों की मृत्यु हो जाती है यानि की बच्चों की मृत्युदर भी भारत मे अधिक है | गोरखपुर और राजस्थान की घटना इस विषय मे किसी से छिपी नहीं है | विभिन्न कारणों से औसतन करोड़ से अधिक लोगों की भारत मे असामयिक मृत्यु हो जाती है |

अशिक्षा, बेरोजगारी, अपूर्ण स्वास्थ्य सेवायें, जमीनी आवश्यकताओ के पूर्ति की व्यापक कमी और दुनियाँ की सबसे बड़ी जनसंख्या न केवल सरकार के लिए बड़ी चुनौती है बल्कि आम जनता इसकी वजह से दिन-प्रतिदिन अपनी वास्तविक जरूरतों से दूर होती चली जा रही है | भारत मे आज भी लोगों के जीवन की कीमत वस्तु विषय की अपेक्षा कही कम है | अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर न जीवन है, न उनकी जरूरतों के लिए व्यवस्थाएं | ऐसे मे यह स्वाभाविक है की किसी भी महामारी का देश पर प्रभाव अधिक पड़े | कुछ समय इसकी चर्चा जरूर होती रहेगी फिर हम सब आप इसको स्वीकार कर लेगे और यह हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएगा | अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भारत मे डाक्टरों की भारी कमी है | इन सब समस्याओं की सामूहिक देन है की भारत कोरोना वायरस के संक्रमण मे विश्व मे अत्यधिक संक्रमित देशों की श्रेणी मे तेजी से ऊपर पहुँच रहा है | संक्रमण की संख्या के आधार पर आज भारत 7 वें स्थान पर है |

भारत मे जीवन हमेशा से मुश्किल भरा रहा है | हाँ, यह कुछ उच्च वर्ग के लोगों को छोड़ करके, जिनके पास सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध है | आम नागरिक और उनकी समस्या आजादी के बाद से अब तक दूर नहीं हुई है | कहने को कारण तो अनेक है पर वास्तविकता सर्वविदित है | कोरोना वायरस की महामारी मे देश को प्रभावित होने के पीछे दशकों की अक्षमता का भी बड़ा योगदान रहा है | यदि समय पर कार्यवाही की गयी होती तो देश की स्थिति इतनी खराब नहीं होती | आपको जानकर यह जरूर ताज्जुब होगा की 1918 मे आए स्पेनिश फ्लू से मरने वालों की संख्या के आधार पर दूसरा सबसे प्रभावित देश भारत ही था | भारत के लिए अच्छी बात मात्र यह हो सकती है की कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की मृत्यु के आधार पर यह 13 वें क्रम पर है और मृत्यु दर अन्य देशों की तुलना मे कम है | हम सब को और सरकार को इस महामारी से बड़ी सबक लेने की जरूरत है जिससे जमीनी आवश्यकतों की पूर्ति हेतु बड़े प्रयास किए जा सकें जिनमे स्वास्थ्य सेवाये अहम है |


डॉ. अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)
drajaykrmishra@gmail.com

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