हम मे से अधिकांश लोगों का मानना होता है की इतिहास अपने आप को दोहराता जरूर है | कई लोगों ने इस बात का अनुभव भी अपने जीवन मे किया होगा | आज कोरोना वायरस से विश्व के सभी देश परेशान है | कोई समाधान होता अभी तक दिख नहीं रहा है | ऐसे मे विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह बयान की कोरोना वायरस के इलाज के लिए कोई भी टीका नहीं बनाया जा सकता जैसे की एड्स और कैंसर की बिमारी मे है | लोगों को कोरोना वायरस अधिक डराने लगा है | फिर सभी के विचार मे यह आना स्वाभाविक है की कोरोना वायरस का अंत कब होगा | यदि हम इतिहास को समझे तो दुनियाँ ने स्पैनिश फ्लू की महामारी का सामना किया था | जिसकी अधिकांश गतिविधियां आज के कोरोना वायरस से मिलती जुलती रही है | आइये अपने स्वयं के इतिहास से जानने का प्रयास करते है की कोरोना वायरस का अंत कब और कैसे होगा |

महामारी का जिम्मेदार चीन :  मार्च 1918 मे स्पैनिश फ्लू आया था | नाम से आपको लग सकता है की इसका आगमन स्पेन से रहा होगा जबकि ऐसा नहीं है | मात्र स्पेन उस समय एक ऐसा देश था जहां इस फ्लू के बारे मे मीडिया मे बताने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं था काफी बार स्पेन की मीडिया मे फ्लू की चर्चा होने से, दुनिया भर के लोग इसे स्पैनिश फ्लू के नाम से जानने लगे | जबकि कई लोगों का मानना है की यह फ्लू फ्रांस यूनाइटेड स्टेट्स से आया है | आज की तरह मीडिया की पहुच और संख्या न होने से इसके बारे मे हमेशा विवाद रहा की यह फ्लू आया कहा से था | कई विशेषज्ञ यह मानते है की स्पैनिश फ्लू चीन से आया है और उनके इस बात को मानने का आधार भी मजबूत है जो यह है  की दुनियाँ मे सबसे कम लोग स्पैनिश फ्लू से चीन मे प्रभावित हुए थे | आज के कोरोना वायरस के आगमन मे चीन है यह सबको पता है | जबकि चीन इस वायरस से कम प्रभावित देश मे आज भी दिख रहा है | कई अन्य देश इससे बुरी तरह प्रभावित हो रहे है | यानि की स्पैनिश फ्लू हो या कोरोना वायरस चीन का रोल न केवल संदिग्ध है बल्कि चीन ही वैश्विक महामरी के लिए टैब भी जिम्मेदार था और अभ भी जिम्मेदार है |

महामारी के वायरस से संक्रमण के लक्षण : आज की महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के कई लक्षण है जैसे 1 -सामान्य लक्षण – बुखार, सूखी खांसी, और थकान 2- कम सामान्य लक्षण - खुजली और दर्द, गले में खराश, दस्त, आँख आना, सिरदर्द, स्वाद या गंध का अनुभव होना और त्वचा पर खरोंच या उंगलियों या पैर की उंगलियों का रंग बिगड़ना, 3 -गंभीर लक्षण - सांस लेने में कठिनाई या सांस की तकलीफ़, सीने में दर्द या दबाव, बोल या चल न सकना इत्यादि | इनमे से अधिकांश लक्षण स्पैनिश फ्लू महामारी से मिलते जुलते है | जो इस बात पर बल देते है की इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है |

वायरस से संक्रमण का इलाज : आज के कोरोना वायरस की महामारी की तरह उस समय के स्पैनिश फ्लू की महामारी का भी कोई इलाज नहीं था | स्पैनिश फ्लू से बचने के लिए, सभी को सलाह दी गयी थी की मास्क को पहने, स्कूल, माल, व्यवसाय, कम्पनियाँ, चर्च, सिनेमा हाल सभी बंद कर दिए गए थे | स्पैनिश फ्लू के समय डॉक्टर और साइंटिस्ट्स की समझ मे नहीं आ रहा था की इसका इलाज क्या है | अमेरिका मे डॉक्टर और नर्सों की कमी आ गयी थी क्योंकि भारी संख्या मे ये स्पैनिश फ्लू से संक्रमित हो गए थे | कुछ देशों ने लोगों को क्वॉरन्टीन होने के लिए ऑर्डर पास कर दिए गए थे | पब्लिक प्लेस को पूर्णतः बंद कर दिया गया था | स्पैनिश फ्लू से बचने के लिए आज की तरह विश्व मे सभी जगह आपस मे हाथ मिलाना बंद हो गया था | यहाँ तक की सड़क पर थूकना भी मना कर दिया गया था | लोगों के नियमों को न मानने पर फाइन भी किया गया था | स्पैनिश फ्लू से बचने के लिए कई डॉक्टरों ने योग करने की सलाह दी थी | स्पैनिश फ्लू के इलाज मे कई जगह एस्परीन दवा दिया जा रहा था जिसकी मात्रा 30 ग्राम प्रतिदिन थी | जबकि यह दवा आज किसी भी इंसान को दिन मे 4 ग्राम से अधिक देने पर खतरनाक होती है | यानि की वो सारी गतिविधियां जो हम कोरोना वायरस से बचने या इलाज के लिए आज अपना रहे है वो स्पैनिश फ्लू के समय भी की जा चुकी थी |

दुनियाँ भर मे प्रभावित हुए लोग : दुनियाँ भर मे स्पैनिश फ्लू ने 50 करोड़ से अधिक लोगों को संक्रमित किया था | जो की उस समय की दुनियाँ भर की कुल जनसंख्या का एक तिहाई हिस्सा था | जिनमे से 2 से 5 करोड़ लोगों के मरने की संख्या रही है | अकेले अमेरिका मे 6,75,000 के करीब लोगों की मृत्यु स्पैनिश फ्लू से हुई थी | यदि आज के कोरोना वायरस को देखे तो अभी तक दुनियाँ भर मे 46 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हुए है जिनमे से 3 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु इस वायरस से हो चुकी है | अकेले अमेरिका मे अभी तक 89,420 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है | ये आकडे इस बात पर बाल दे रहे है की क्या इतिहास पुनः अपने पा को दोहरा रहा है |

वायरस और भारत : स्पैनिश फ्लू से सबसे अधिक प्रभावित देशों मे भारत था | एक अनुमान के मुताबिक 1.2 करोड़ से 1.7 करोड़ के बीच लोगों की मृत्यु स्पैनिश फ्लू से हुई थी | जो की भारत की कुल आबादी का 5% था | कुछ लोगों का मानना यह भी है की 1.38 करोड़ लोगों की मृत्यु स्पैनिश फ्लू से हुई थी | अर्नोल्ड (2019) के अनुसार 1.2 करोड़ लोग भारत मे स्पैनिश फ्लू से मारे गए थे | चुकी आज की तरह इलाज और मरने वालों का रिकार्ड नहीं रखा जा रहा था ऐसे मे न केवल भारत मे बल्कि विश्व मे स्पैनिश फ्लू से मरने वालों की वास्तविक संख्या मे अलग-अलग विचार है | हिन्दी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ने लिखा था की मृतक लोगों की शरीरो से पूरी गंगा जैसे भर गयी हो | सैनिटेरी कमिशनर की रिपोर्ट के अनुसार भारत की सारी नदियों मे चारों तरफ सिर्फ मृतक लोगों का शरीर बहता हुआ दिखाई दे रहा था क्योंकि मरने वालों की भारी संख्या होने से उनके अंतिम संस्कार के लिए लकड़िया कम पड़ गयी थी | स्पैनिश फ्लू के संक्रमण महात्मा गांधी जी को भी हुआ था | स्पैनिश फ्लू की समाप्त होने के बाद देश मे बच्चों के नये जन्म मे 30 प्रतिशत की कमी आ गयी थी | आज की कोरोना वायरस की स्थिति को देखे तो भारत मे अभी तक 90,227 से अधिक लोग संक्रमित हो चूके है जिनमे से 2872 से अधिक लोगों की मृत्यु कोरोना वायरस से हो चुकी है | महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु दिल्ली और राजस्थान अभी तक सर्वाधिक प्रभावित राज्य है | मजदूरों के पलायन से कोरोना वायरस के संक्रमण की संख्या दिन प्रतिदिन तेजी से बदल रही है | कोरोना वायरस की बढ़ती गति देश के लिए चिंता का विषय है |

कोरोना वायरस का अंत कब और कैसे : स्पैनिश फ्लू मार्च 2018 मे आया था और दुनियाँ के सभी देश मे पहुच गया था | उस समय स्पैनिश फ्लू के इलाज का कोई साधन किसी भी देश के पास उपलब्ध नहीं था | चीन का रोल उस समय स्पैनिश फ्लू को लेकर संदिग्ध था और आज कोरोना वायरस को लेकर दुनियाँ चीन को जान चुकी है | स्पैनिश फ्लू मार्च 2018 मे आया और सितंबर 2019 मे स्वतः ही खत्म हो गया | जो भी लोग स्पैनिश फ्लू से उस समय संक्रमित थे या तो उनकी मृत्यु हो गयी या फिर उनके अंदर इम्यूनिटी बेहतर होने की वजह से उस वायरस से बच गए | अपने 18 महीने की अवधि मे स्पैनिश फ्लू ने करोड़ों लोगों की जाने ली थी | आज के कोरोना वायरस की तुलना अगर हम स्पैनिश फ्लू से करे (जिसकी कई गतिविधियां आपस मे मिल रही है) तो कोरोना वायरस के आए हुए अभी 7 महिना हुआ है और आने वाले कुछ महीनों मे यह स्वतः ही समाप्त हो जाएगा | जरूरत है तो हम सभी को अपने अंदर इम्यूनिटी बढ़ाने की और इस वायरस से बचने के लिए दी गयी जानकारी और सलाह को मानने की | किसी दवा और टीका को कोरोना वायरस पर प्रभावी न होने का आकलन कर के विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात पर पुनः सोचने पर विवश किया है की इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है और कोरोना वायरस स्पैनिश फ्लू की तरह स्वतः खत्म हो जाएगा |

स्पैनिश फ्लू और कोरोना वायरस मे कई रूपों मे समानता होने से यह सोचने पर विवश होना पड़ता है की क्या इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है | दुनियाँ की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, अर्थव्यवस्था की जरूरत पर कोरोना वायरस स्पैनिश फ्लू की तरह देश पर प्रभाव न डाले तभी अच्छा होगा | यदि स्पैनिश फ्लू की तरह कोरोना वायरस का प्रकोप होता है तो देश एक बड़े संकट से घिर सकता है | ऐसे मे हम सभी यही प्रार्थना कर सकते है की कोरोना वायरस कम से कम भारत मे प्रभावशाली न रहे और जल्द से जल्द खत्म हो जाए | स्पैनिश फ्लू मार्च महीने से लेकर सितंबर महीने तक चला था | आज की परिस्थिति और वैश्विक स्थिति को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है की संक्रमण अभी बढ़ेगा और आगामी महीनों मे कोरोना वायरस अपने आप स्वतः ही समाप्त हो जाएगा |
           
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