अपना गाँव, अपनी पहचान !
जन्म देने और परवरिश करके आपको अपने कदमों तक
चलने तक का अभूतपूर्व योगदान जितना माँ -बाप का होता है, उतना ही योगदान आपके जीवन
के लिए आपके गाँव का है जहां स्वच्छ वातावरण, सामाजिकता, व्यावहारिकता, एक दूजे के
लिए सहयोग, अपनत्व, और प्रेम का अनूठा और प्रभावशाली जीवंत उदाहरण प्रतिदिन देखने
को मिलता है | यही वजह है की करोड़ों ऐसे लोग है जो अपनी मातृ भूमि छोड़ कर जीवन मे
कुछ बेहतर पाने या जीवन की आधुनिक आवश्यकताओं या जीवन को चलाने के लिए दूसरे शहर
मे रहते हुए भी अपने गाँव को पल भर के लिए भूल नहीं पाते |
जब मै सोचता हूँ की आखिर गाँव मे है क्या तो
इसका जबाब आपसी मूल्यांकन से आसानी से मिल जाता है जिस शहर मे हम कुछ वर्ग फुट के मकान मे
रहने को ढेरों किराया देना पड़ता है वही गाँव मे बड़े मकान छत पर सोने की आजादी बाहर
बैठने की आजादी करोड़ों रुपये के मूल्य से भी अधिक लगती है | शहर हमे प्रदूषित हवा,
बिमारी, अनेकों असुविधा, और डर प्रदान करता है वही गाँव हमे अपनी सारी जरूरतों को
पूरा करने हेतु न केवल खुला अवसर देता है बल्कि हमारी सेहत का भी ध्यान रखता है |
आज भी गाँव मे लाखों बुजुर्ग मिल जायेगे जो बिना किसी दवा के सहारे अपना जीवन
अच्छे ढंग से व्यतीत कर रहे है जबकि शहर मे अधिकांश घर ऐसे है जहां पर जीवन दवाओं
के सहारे चल रहा है |
जिन लोगों को शहर आकर्षित करता है और जिन्होंने
शहर मे एक या दो दशक से अधिक समय व्यतीत किया है वो लोग अच्छे ढंग से समझ सकते है
की शहर जितना आपको देता है उससे कही अधिक आपसे वह लेता भी है जबकि गाँव आपको देता
ही रहता है और लेता कुछ भी नहीं | हाँ यह जरूर है की कई जमीनी सुविधाएं गाँव मे
अभी भी बेहतर नहीं है जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार पर मानसिक सुकून के साथ आजादी
जिस तरह से गाँव के बच्चों मे पायी जाती है वो आजादी शहर के बच्चों मे नहीं आ सकती
| गाँव का बच्चा अनपढ़ हो कर भी जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर संघर्ष करता हुआ
जी लेता है जबकि शहर का बच्चा अच्छी नौकरी और सफलता पाने के बावजूद जीवन के
संघर्षों से कई बार टूट जाता है | जितनी आवश्यकता स्वास्थ्य के देखभाल की शहर के
लोगों की है उससे कही कम गाँव के लोगों की वजह उद्देश्यहीन भाग दौड़ गाँव मे नहीं
है, द्वेष, तनाव, आधुनिक वस्तुओं से सरावोर होने की चाह आज भी गाँव मे नहीं है |
जहां अधिकांश शहरी आपसे नजदीकी अपने कार्य सिद्धि के लिए करते है वही गाँव का
व्यक्ति सही गलत की परख करके अपने वादे पर हमेशा कायम रहता है | गाँव मे जरूर
रोजगार की कमी है या यूँ कहें आधुनिक रोजगार की कमी है क्योंकि दशकों से कई
पीढ़ियों से गाँव ही लोगों की जरूरतों को पूरा करते चले आए है | देश के प्रधानमंत्री
की सभी नागरिकों से सवालम्बी और आत्मनिर्भर बनने की प्रार्थना ने पुनः गाँव के
महत्व को बढ़ा दिया है |
दुनियाँ भर के विशेषज्ञों ने धन के बजाय परिवार
को महत्वपूर्ण माना है गाँव मे रहने वाला व्यक्ति न केवल अपने परिवार को बल्कि
गाँव के समस्त लोगों को परिवार मानता है तभी तो एक गलती किसी बच्चे के करने पर
गाँव का मौजूद कोई भी व्यक्ति मना करने की हिम्मत रखता है जबकि शहर मे लोग अपने
पड़ोस तक मे नहीं जान पाते की रह कौन रहा है | रिश्ते और प्यार और परिवार का महत्व
तभी है जब आपस मे जुड़े हुए रह रहे हो | शहर मे परिवार सिर्फ माँ-बाप और बच्चों तक
सीमित है | आज भी नैतिक शिक्षा मे गाँव का कोई तोड़ नहीं है जहां प्रत्येक व्यक्ति
को उचित सम्मान देना जन्म से सिखाया जाता है | शहर के अधिकांश लोग तुम करके बात
करने मे अपनी शान समझते है जबकि गाँव मे आज भी आप शब्द से बात प्रारंभ होता है |
कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी मे जिस तरह से
भारत के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हुआ है शायद वैसा दुनिया के किसी देश मे नहीं हुआ
होगा वजह जनसंख्या का अधिक होना है हम जनसंख्या के आधार पर विश्व मे दूसरे स्थान पर
है और सुविधाओं मे कही अधिक पीछे | कहते है जब जीवन पर आती है तो सबको सबसे सुरक्षित
जगह ही दिखाई पड़ती है और यह प्राकृतिक भी है | शायद यही वजह है की करोड़ों मजदूर लोग
जो रोजगार के लिए अपने गाँव से दूर गए थे इस विषम परिस्थिति मे सबसे पहले उन्हे गाँव
ही याद आया और लोगों ने सौ दो सौ किलोमीटर नहीं बल्कि हजार दो हजार किलो मीटर दूरी
को अपने कदमों से नाप दिया | उस मिट्टी मे कुछ तो खास है जो हर परिस्थिति मे आपको खुश
रखना चाहती है |
आज भी 65 से 70 प्रतिशत लोग गाँव मे रह रहें है
जिनकी आमदनी का मुख्य जरिया कृषि आधारित है पर उनकी खुशी का आप मूल्यांकन करेगे तो
आपको पता चलेगा की शहर मे लाखों रुपये महीने कमाने वाले लोगों से वो ज्यादा सुखी और
प्रसन्न है क्योंकि रुपयों के लालच मे वो अपनी स्वस्थ्य को नहीं खो रहें है | अनेकों
बिमारी पर शहरी लोगों का ही कब्जा है जबकि गाँव मे आज भी लोग झोला छाप डॉक्टर की एक
गोली से ठीक हो रहें है | परंपरागत इलाज कई बीमारियों का आज भी घर-घर मे हो रहा है
|
कहने को तो पंचायती राज दशकों पहले गाँव तक पहुच
गया था पर रोजगार को लेकर पंचायत स्तर तक कोई उचित कार्य नहीं किया गया वजह लोगों का
पलायन शहर के तरफ तेजी से हुआ है | देश मे कई ऐसे जिले है जहां आज भी रोजगार की स्थिति
स्थानीय स्तर पर अत्यंत बुरी है | मनरेगा से किसी एक तबके को रोजगार दिया जा सकता है
और वह भी अपूर्ण इस लिए है क्योंकि 365 दिनों तक उसकी उपलब्धता नहीं है ऐसे मे उन तबके
के लोगों का क्या जो मनरेगा जैसे अवसरों मे कार्य नहीं कर सकते या यू कहें की ग्रेजुएट
होकर फावड़ा नहीं चला सकते | जब भी परिस्थिति असामान्य होती है तो प्रकृति और अदृश्य
शक्ति उसको सामान्य करने के लिए कुछ ऐसे उपाय अपनाता है जिससे हम पुनः सामान्य परिस्थिति
मे आ जाते है | हाँ इस परिवर्तन की अवधि मे नुकसान जरूर होता है | इस महामारी मे जिस
तरह लोगों ने अपना रूख गाँव की तरफ किया है उससे तो यही लग रहा की हम असामान्य परिस्थिति
से सामान्य की तरफ बढ़ रहें है |
दशकों तक जिन लोगों ने शहर से गाँव का रूख नहीं
किया था आज उन्हे भी जीवन बचाने के लिए गाँव ही याद आया | आज देश के अधिकांश गावों
मे लोगों के आ जाने से न केवल अधिक चहल-पहल है बल्कि इस महामारी मे भी अनेकों लोगों
को सुकून भी दे रहा है | परिस्थिति सामान्य होने पर एक बार पुनः पलायन होगा पर वापस
आए अनेकों लोगों मे से बहुत सारे लोग ऐसे जरूर होंगे जिन्होंने गाँव की अहमियत को समझ
लिया होगा और पुनः वापस शहर की तरफ नहीं करेगे | प्राकृतिक, आधुनिक, और व्यक्तिगत हित
मे गाँव पहले भी महत्वपूर्ण थे और इस महामारी ने गाँव और गाँव की कार्य प्रणाली को
वैश्विक स्तर पर ला दिया है जहां आज भी पैसों की अपेक्षा आपसी लेन-देन और व्यवहार के
साथ-साथ लोग सवालम्बी, आत्मनिर्भर और सामाजिक है वो भी बिना किसी बुराई के | सच है
गाँव ही लोगों की जीवन रेखा है |
डॉ. अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)
drajaykrmishra@gmail.com
काफी गहराई से लिखा गया पोस्ट, वास्तव में गांव में शांति है लेकिन शहर में अशांति, तनाव, कम्पटीशन, कभी न पूरी होने वाली आवश्यकता।
जवाब देंहटाएंजहां ग्रामीण दिनचर्या में ही लोगो की एक्सरसाइज हो जाती है वहीं शहरी बढ़ते वजन, BP, शुगर से ग्रसित रहते हैं।
मैं आपकी पूरी बातों से सहमत नहीं हूँ
जवाब देंहटाएंगाँव सुकून देता है यह सत्य है परन्तु तकनीक के इस दौर में प्रतिभा और जज्बे को रोका नहीं जा सकता है |
वाह वाह!!! बहुत ही अच्छा लेख
जवाब देंहटाएंप्रशंशनीय है । गाँव महान है।
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