विश्व तम्बाकू निषेध दिवस – हम अपनी आदतों के गुलाम !
आज दुनियाँ भर मे तम्बाकू निषेध
दिवस मनाया जा रहा है | गुटका पान मसाला सिगरेट खैनी तम्बाकू का ही स्वरूप है |
आपको अपनी जागरूकता न केवल आप के जीवन को स्वस्थ बनाती है बल्कि कई अप्रत्याशित
परिस्थितियों से भी बचाती है | लोगों की शौक और कुछ नया पाने की चाह ने तम्बाकू को
जन्म दिया था | आज इसके परिवर्तित कई स्वरूप सामने है | कुछ के लिए सरकार की दोहरी
पॉलिसी है जबकि कुछ पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है | पर बाजार मे बिकते सभी उत्पाद
है कुछ प्रत्यक्ष तो कुछ अप्रत्यक्ष | तम्बाकू पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने के
लिए कई सामाजिक संगठन दशकों से लगे हुए है पर सफलता उनसे कही दूर है | तम्बाकू
खाने के कई दुष्परिणाम है जिससे आम आदमी को दो चार होना पड़ता है |
तम्बाकू का सेवन करने वाले
लोग देश के कोने-कोने मे मिल जायेगे और जब भी आप इनसे इसकी बुराइयों के बारे मे
बताना चाहोगे तो कुतर्क वाले जबाब आपको मिलेगे | समझने वाले यदि सिगरेट की डिब्बी
पर छपे भयानक चित्र से नहीं डरते तो वो आपकी बातों से कहाँ डरेगे | लाखों लोगों का
परिवार आज भी इस तम्बाकू की वजह से बर्बाद हो रहा है | तम्बाकू का सेवन कोरोना
वायरस से भी खतरनाक है क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या देश
मे 5164 है जबकि तम्बाकू के सेवन से प्रतिदिन 3000 लोगों की मृत्यु होती है और
वर्ष मे लगभग 11 लाख लोगों की | तम्बाकू के सेवन से 24 तरह की विभिन्न कैंसर वाली
बीमारियाँ होने की संभावना होती है | आम आदमी की रोगों से लड़ने की शक्ति खत्म हो
जाती है | सिगरेट का सेवन करने वाले लोगों मे कोरोना वायरस से संक्रमित होने की
संभावना अधिक होती है |
एक तरफ जहां विभिन्न माध्यमों
से सरकार आपको तंबाकू के सेवन के परिणामों के बारे मे बता रही है वही दूसरी तरफ
सरकार इनकी विक्री का लाइसेंस और टैक्स लगाकर दोहरी नीति से चल रही है | वजह देश
की आय को बढ़ाना है और साथ लोगों की चिंता का होना भी है | मुकेश को तो आप अच्छी
तरह जानते होंगे अरे वही मुकेश जिसकी मौत कैंसर की वजह से हुई थी और कैंसर सिगरेट
पान मसाला और गुटका से हुआ था | मुकेश जैसे अनेकों लोगों की कहानी हम सब के सामने
होकर दिन-प्रतिदिन गुजरती है पर हम जागतें तभी है जब हम पर बनती है और उस समय करने
को कुछ होता नहीं है |
कुछ हजार की गाड़ी आप गड्ढे मे
उतारतें हुए कई बार सोचते होंगे जबकि वह गाड़ी दोबारा रिपेयर हो जाएगी पर अनमोल
शरीर और जीवन जिसके शत-प्रतिशत पूर्व रूप मे रिपेयर होने की संभावना लगभग ज़ीरो है
उसके बारे मे आप कभी नहीं सोचते सीधे तंबाकू का सेवन करते है |
जानकारी ही बचाव का साधन हो
सकता है पर आधुनिकता ने लोगों को अपने काबू मे कर लिया है जहां जरूरत से अधिक
दिखावे का काम महत्वपूर्ण माना जा रहा है | देश मे कई ऐसी जगह है जहां आपको सिगरेट
न पीने पर वहा के लोग आपको अनपढ़ और अशिक्षित तक कहने से गुरेज नहीं करेगे | यानि
की हमारा समाज भी कही कही हमे प्रेरित करता है तम्बाकू के सेवन को | सिगरेट पीने
वालों मे अधिकांश संख्या पढ़े लिखे लोगों की है | इस तंबाकू निषेध दिन पर हम सब को मिलकर
यह निश्चित होना पड़ेगा की न केवल स्वयं इससे दूर रहेगे बल्कि अपने घर परिवार आस-पास
लोगों को तम्बाकू के दुष्परिणामों को लेकर जागरूक करना पड़ेगा | अन्यथा सरकार की दोहरी
नीति की वजह से हम जरूर इसका शिकार होते रहेगे | जब तक हम ऐसा नहीं करेगे इसी तरह विश्व
तंबाकू निषेध दिवस मनाते रहेगे, और वास्तविक समस्या के प्रति लड़ाई की झूठी तसल्ली
|
डॉ. अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)
drajaykrmishra@gmail.com
तम्बाकू सेवन की सुरुआत की एक वजह शायद स्वच्छंद जीवन का प्रतीक होना है। किशोरावस्था से युवावस्था में अग्रसर लोगों को लगता है कि तम्बाकू सेवन से युवावस्था की सर्टिफिकेट मिल जाती है। संभव है यदि उसी उम्र में उनका सही कॉउंसलिंग किया जाए तो सुधार की गुंजाइश है।
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