चुनौती मे ही है अवसर !
जब मुशीबतें आती है तो कई अवसर भी लाती है |
बहुत सारे लोग मुशीबतों मे बिखर जाते है जबकि कुछ कम ही लोग ऐसे है जो अपने मजबूत
इच्छा शक्ति और साहस से मुशीबतों का सामना करते है बल्कि समाज के लिए उदाहरण बन
जातें है | आज ऐसे ही किरदार की चर्चा यहा पर है जिसने महज 15 साल की उम्र मे वो
कर दिखाया जिसकी शायद कोई कल्पना भी कर सकें | साहस भी इतना मजबूत की मिलों की
दूरियों ने उसके सामने घुटने टेक दिए |
मोहन पासवान को आज अपनी बेटी पर जरूर गर्व हो
रहा होगा | जिसने गुरुग्राम से एक साइकिल के सहारे अपने पिता को इस लॉक-डाउन अवधि
मे, अपना और अपनों का जीवन बचाने के लिए एक हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी को महज
7 दिनों मे पूरा किया | लॉक-डाउन की वजह से न केवल पैसों की कमी की वजह से घर मे
खाने की समस्या हो गयी थी बल्कि किराया तक देने के पैसे नहीं थे | जी हाँ आप सही समझ
रहें है हम बात कर रहें है बिहार के दरभंगा की ज्योति कुमारी की जो अभी 8 वी क्लास
मे पढ़ रही है, जिनके पिता गुरुग्राम मे ई-रिक्शा चलाया करते थे पर एक दुर्घटना की वजह
से बीमार चल रहे थे इनकी समस्या और बढ़ गयी जब कोरोना वायरस की वजह से लॉक-डाउन हो गया
| ऐसे मे ज्योति कुमारी ने हिम्मत नहीं हारी और अपने पिता को हौसला दिया |
मिलों के सफर को महज 7 दिनों मे पूरा किया जब उनसे
पूछा गया तो उन्होंने कहा की ट्रक वाले 5 से 6 हजार रुपये मांगते थे | उनकी हिम्मत
को देखकर आज करोड़ों लोगों का यह भ्रम भी टूट गया की लड़किया लड़कों से कम होती है | अनेकों
समस्याओं का सामना करते हुए भी अपनी मंजिल को पूरा किया | देश के सभी प्रमुख समाचार
पत्रों ने उनके हौसले की तारीफ की बल्कि प्रमुखता से खबर उनके बारें मे प्रकाशित किया
|
ज्योति कुमारी की हिम्मत को देखकर साइकलिंग फेडरेशन
आफ इंडिया ने अगले महीने होने वाले ट्रायल मे ज्योति कुमारी को शामिल करने का मौका
दिया है | यह तक की उनके और उनके साथ किसी एक परिवार के व्यक्ति को आने-जाने का सारा
खर्च भी उठाने की घोषणा की है | यदि ज्योति कुमारी इस ट्रायल मे क्वालीफाई कर जाती
है तो उन्हे ट्रेनी के पद पर - स्टेट ऑफ आर्ट नेशनल साइकलिंग अकैडमी आई.जी.आई. मे कार्य
करने का मौका मिलेगा | आप सभी को बता दे की यह अकडेमी सपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के
अधीन कार्य करती है | UCI के द्वारा मान्यता प्राप्त है
और इनके पास एशिया की सबसे अड्वान्स सुविधाये उपलब्ध है |
वैश्विक महामरी मे जहां इस तरह की खबरें लोगों का
हिम्मत और हौसला देती है बल्कि लड़के लड़कियों के भेद को मिटाती है | इस साहस, इस जज्बे
की ही देन है की अवसर इनके द्वार तक आयी हुई है जो शायद इस कठिन अग्नि परीक्षा के बिना
कभी नहीं आ पाती | इसी लिए कहते है की परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो अवसर हमेशा विद्यमान
रहता है जरूरत है तो बस अपना कर्म नियमित रूप से करने की बिना रुके बिना थके | ज्योति
कुमारी के इस जज्बे को देश का प्रत्येक व्यक्ति सलाम कर रहा है और यह अनेकों लोगों
को प्रेरणा देगा भविष्य मे कठिनाइयों से लड़ने के लिए |
डॉ. अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)
drajaykrmishra@gmail.com
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