मध्यमवर्ग के लिए ज़ीरो
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भुगतान की चिंता, गाड़ी के लोन के भुगतान की चिंता, स्कूल फीस देने की चिंता, स्कूल
वैन फीस देने की चिंता, घर का किराया देने की चिंता, घर का खर्च चलाने की चिंता और
इन सबमे सबसे बड़ी चिंता “नौकरी बचाने की” यह मध्यम वर्ग ही तो है जो इस कोरोना
वायरस की महामारी मे चौतरफा पीस रहा | अपनी दुनिया और अपना समाज चलाने के लिए इनके
अधिकांश काम या तो लोन से होते है या फिर व्यवहार पर | देश की कुल आबादी मे 50
प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद इनकी सुनने वाला कोई नहीं | इस वर्ग की सबसे बड़ी विडंबना
यह है की यह अमीर होने के साथ साथ गरीब भी है | इनका अधिकांश कार्य कर्ज से होता
है | बड़ी मुश्किल से रहने को घर कर पाते है | अपनी सामाजिक और पारिवारिक
जिम्मेदारी औसत ठंग से इस वर्ग के लोग पूरा कर पाते है |
कुछ सहूलियतें जरूर दी गयी है जैसे लोन की
ईएमआई को कुछ महीनों के लिए टाल दिया जाना या फिर स्कूल की फीस का भुगतान कुछ
महीनों के लिए टाल दिया जाना | पर क्या यह पर्याप्त है ? पर सबसे दुर्भाग्यपूर्ण
यह है की सरकार इन्हे सबसे अधिक आर्थिक रूप से मजबूत समझती है तभी तो लोन की ईएमआई
को टालने की अवधि मे भी भारी ब्याज बैंकों द्वारा चार्ज किया जा रहा | जबकि अनेकों
ऐसे लोग है जिन्हे ये सहूलियत आज तक नहीं मिली | यदि लोन की ईएमआई टाल दी गयी है
तो भुगतान के वक्त ब्याज के साथ देना कितना भारी पड़ेगा इसे किसी ने महसूस नहीं किया
है |
कोरोना वायरस की इस महामारी मे जब की स्कूल खुल
नहीं रहे है तो उन्हे पूरी फीस का भुगतान क्यों किया जाए | क्यों न ट्यूशन फीस का
ही भुगतान किया जाए | इन सब बातों पर स्थानीय प्रशासन से लेकर सरकार तक शांत है |
घर का किराया, विभिन्न लोन का भुगतान, परिवार की नियमित खर्चे आदमी करें भी तो
क्या करें |
कई रिपोर्ट के अनुसार करोड़ों लोगों की नौकरियां
अभी तक जा चुकी है और उनमे भी सबसे अधिक प्रभावित होने वाले मध्यम वर्गीय लोग है |
पर इनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है | सरकार ने 20 लाख करोड़ के पैकेज की
घोषणा की पर उसमे से मध्यम वर्ग के हिस्से आया तो ज़ीरो ही | या तो उच्च वर्ग या
निम्न वर्ग के लोगों को ही राहत दिख रही है | इस महामारी मे जहां तत्काल राहत की
जरूरत है वह मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नही |
दुनियाँ भर मे इस महामारी के समय पैकेज सीधे
जरूरत मंदों के बैंक खाते मे डाला जा रहा है | पर अपने देश मे स्थिति उसकी बिल्कुल
विपरीत है | न टैक्स मे छूट न कोई सहूलियत पीस रहा है मध्यम वर्ग |
डॉ. अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)
drajaykrmishra@gmail.com
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