काम, काम, समय से काम, बिना समय के काम, खुशी मे भी काम, गम मे भी काम, काम के पहले भी काम और काम के बाद भी काम, आराम के पहले काम, आराम के बिना काम, जमीनी सुरक्षा के बिना काम, जोखिम मे भी काम, मेरी पहचान भी काम, मेरी मजबूरी भी काम, अनवरत बिना रुके काम, अधिक से अधिक काम इतने काम के बावजूद नाममात्र का दाम | मेरी संख्या अधिक है क्योंकि मै हर जगह मिल जाऊंगा कश्मीर हो या फिर कन्याकुमारी | जी हाँ मै मजदूर हूँ, आप भी, हमारे आस-पास भी, दोस्त-रिस्तेदार समेत काम करने वाले सभी लोग मजदूर ही तो है, जो अपने श्रम से दूसरों के ख्वाब को पूरा करते है, अपनी मेहनत से दूसरों को खुशी और तरक्की देते है | हम दशकों पहले भी बेहाल थे आज भी बेहाल है | हमारे लिए नियम कानून सिर्फ किताबों तक ही सीमित है | वास्तविकता से उसका मेरे लिए उतना ही लेना देना है जितना आप सब को “मजदूर दिवस” की बधाई देना |

हमारी कई अपनी समस्याएं है जिसे हम आज तक दूर नहीं कर पाए मसलन हम समाज मे आवश्यकता से अधिक है जिसका सीधा असर हमारी आय पर पड़ता है | न केवल हमारी संख्या अधिक है बल्कि हम कुशल भी नहीं है, जबकि काम सभी को हमसे ही कराना है | न हमे नये कार्य वातावरण से प्रशिक्षित किया जाता है, न ही नई तकनीक से अवगत कराया जाता है और न ही कुशल बनाया जाता है | मेरी सुरक्षा और समृद्धि शायद कभी पूरी हो पाए | हाँ मै मजदूर हूँ | देश मे मेरी पहचान सबसे अधिक “बाल मजदूरी” के रूप मे है | ताज्जुब तब अधिक होता है जब शिक्षित वर्ग बाल मजदूरी का पुरजोर विरोध करता है और वही ढाबे पर बैठ कर आवाज देता है छोटू चाय लाना | घर हो फैक्ट्री हो या फिर कोई और जगह हम हर जगह मिल जायेगे | आखिर हम मजबूर है, हम मजदूर है |

मेरा ही सुधरा हुआ स्वरूप है उन लोगों मे जो अपने आप को कंपनी मे कार्य करने वाला अधिकारी बताते है | हम मे से कई अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए अपने ही नीचे के मजदूर का हक मारते है | क्योंकि हम मजदूर है | मजदूर यूनियन हमे अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एकजुट करते है हाँ  यह सच है की ईमानदारी से प्रचार-प्रसार हम सब के मुद्दे का होता है पर पूर्ति आखिर मे यूनियन के मुद्दे की होती है | वजह हम सब मजदूर है या यूँ कहे की हम सब मजबूर है |

कार्य के घंटे का सुनिश्चित होना, न्यूनतम मजदूरी का सुनिश्चित होना, शिक्षा और स्वास्थ्य की जरूरतों की पूर्ति होना, अच्छे कार्य वातावरण का होना सब मेरे लिए अनिवार्य है पर सिर्फ नियमों और किताबों तक है | पर ऐसा पूर्ण रूप से नहीं भी है की सभी के साथ यही हो रहा | मेरे ही बीच के कुछ लोग ऐसे है या यूँ कहें की 1 प्रतिशत से भी कम लोग ऐसे है जिन्हे सब तो नहीं पर अधिकांश सुविधाये प्राप्त है क्योंकि कुछ बड़े इंडस्ट्री मे काम करते है | इंडस्ट्री मालिकों और कुछ ज्ञानी लोगों के लिए मेरी आमदनी हमेशा खटकती रहती है शायद इसी लिए कान्ट्रैक्ट पर काम करने के प्रचलन मे तेजी से वृद्धि हुई है | मेरे बिना हर जगह समस्या है, पर ताज्जुब है की मेरे से सब को समस्या है | हाँ मै मजदूर हूँ | महामारी हो या भुखमरी सबसे प्रभावित हमी है और रहेगे भी, शायद इनको हम कुछ ज्यादे ही अच्छे लगते है |

करोड़ों रुपये का लोन माफ होना सरकार के लिए चुटकियों का खेल है, पर मजदूरों के लिए कर्ज माफी से आसान है आत्महत्या करना | तभी तो हम मे से कई इस राह पर जातें है | हालांकि ऐसा करना गलत है पर जब मै परिस्थिति का मूल्यांकन करता हूँ तो सबसे आसान यही लगता है | यहाँ मेरी बातें तो सब करते है पर मेरे लिए लोग उतना ही करते है जिससे से उनके उद्देश्यों की पूर्ति हो जाए | गर्व से कहिए हम सब मजदूर हूँ, आप भी मजदूर, हम मजदूर, हम सब मजदूर है | चलो परिस्थितीयां बदले या न बदले पर दुनियाँ मे एक दिन तो हमारा है | आपको पता है हम इस दिन का इंतजार बड़ी बेसब्री से करते है किसी बदलाव के उद्देश्य से नहीं बल्कि इसलिए की इस दिन हमे सब लोग याद करते है वो भी बिना किसी काम के | हम 1 मई की राह इसलिए भी देखते है की 364 दिनों की तकलीफ, समस्याओं, दर्द को एक दिन मे भूल कर अगले 364 दिनों की चुनौती के लिए फिर से तैयार हो जाए | हाँ मै मजदूर हूँ शायद कुछ हद तक मजबूर भी |

drajaykrmishra@gmail.com

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