कोरोना वायरस की वजह से विश्व के सभी देशों मे न केवल जन की हानि हो रही है, बल्कि आर्थिक नुकसान बड़े पैमाने पर उठान पड़ रहा है | यूनाइटेड स्टेट्‍स, स्पेन, इटली, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, फ़्रांस, तुर्की, रूस, ईरान, ब्राज़ील, चीन, कनाडा, बेल्जियम, समेत सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है | 130 करोड़ की आबादी वाले दुनिया के दूसरे सबसे अधिक जनसंख्या को पिछले एक माह से अधिक समय से घर मे रहने के लिए बाध्य होना पड़ा है | और यह लॉक-डाउन अगले दो हफ्तों तक और जारी रहेगा | जिसका सीधा असर देश की अर्थ व्यवस्था पर पड़ रहा है | देश के प्रधानमंत्री जी ने अपने 24 मार्च 2020 के सम्बोधन और लॉक-डाउन की घोषणा मे कहा था की “जान है तो जहान है” | पुनः 11 अप्रैल 2020 के सम्बोधन और लॉक-डाउन की घोषणा मे कहा था की “जान भी जहान भी” | इससे यह पता चलता है की विषम परिस्थिति मे देश की अर्थव्यवस्था का विकास होना अब अत्यंत जरूरी है | और यह संभव स्वदेशी कम्पनियों के विकास से ही होगा |

सेबी के अधीन पंजीकृत क्रेडिट रेटिंग एजेंसी, आरबीआई से मान्यता प्राप्त अकिते रेटिंग एण्ड रिसर्च (Acuité Ratings & Reserch) के अनुसार भारत मे लॉक-डाउन की घोषणा के पहले 21 दिन तक प्रतिदिन रुपया 32,000 करोड़ का नुकसान होगा | यानि की पहले 21 दिन मे 6 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान भारतीय अर्थ-व्यवस्था को होगा | आरबीआई से स्वीकृत क्रेडिट रेटिंग एजेंसी बार्कलेज (Barclays) के अनुसार भारत मे लॉक-डाउन की घोषणा के पहले 21 दिन मे 8.5 लाख करोड़ का नुकसान भारतीय अर्थ-व्यवस्था को होगा | भारत सरकार के पूर्व मुख्य वित्तीय सलाहकार का मानना है की देश को वित्तीय वर्ष 2020-21 मे नकारात्मक विकास दर के लिए तैयार रहना चाहिये | और उसकी भरपाई करने के लिए 720 लाख करोड़ से प्रोत्साहन राशि की आवश्यकता होगी | यानि की देश की अर्थव्यवस्था को बृहद पैमाने पर दिन प्रतिदिन नुकसान हो रहा है और इस नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार को कई अन्य विकल्पों पर भी विचार करना पड़ेगा | आज जरूरत है “आउट ऑफ बॉक्स” न केवल सोचने की है बल्कि करने की | त्वरित रूप से स्वदेशी कम्पनियों को बढ़ाने की अनिवार्य आवश्यकता है | अन्यथा बेरोजगारी कोरोना वायरस से अधिक भयावह हो सकती है |

भारत के प्रधानमंत्री जी ने कहा की इस महामारी की वजह से देश कई वर्ष पीछे चला जाएगा और अब जरूरत है तो देश को आत्म निर्भर बनने की | ऐसे मे यह अति आवश्यक है की स्वदेशी कम्पनियों को बढ़ावा दिया जाए और उत्पादन की इकाइयों पर विशेष ध्यान दिया जाए | आज भारत मे सरकारी बैंकों, की स्थिति किसी से छिपी नहीं है | वित्तीय क्षेत्र अपने आप से लड़ रहा है | अब तक कई सरकारी बैंकों का विलय भी हो चुका है | कृषि, उत्पादन, टूरिज़्म, ई-कॉमर्स, स्टॉक मार्केट की स्थिति सब की आँखों के सामने है | इस महामारी की वजह से सबसे अधिक नुकसान नई कम्पनियों को हुआ है | देश से पैसा लूट कर ले जाने वाले लोगों को सभी जान रहे | उनकी लूट से देश को अलग नुकसान हुआ है | विदेशी निवेश की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था अन्य देशों पर टिकी हुई है | चीन के द्वारा एचडीएफसी बैंक मे शेयर खरीदना हो, फेसबुक जिओ मोबाइल की डील हो या फिर फ्लिपकार्ट वालमार्ट की डील, विदेशी निवेश भारत मे अधिक बढ़ गया है | जिससे विदेशों पर निर्भरता बढ़ी है | ऐसे मे देश आत्म-निर्भर कैसे बन पाएगा | आरबीआई तक के पैसे को सरकार ने विकास मे लगा दिया है | फिर कब तक घाटे की अर्थव्यवस्था रहेगी | नुकसान की भरपाई हेतु, सरकार को निजी और स्वदेशी कम्पनियों के बारे मे सोचना होगा |

इस महामारी की वजह से बेरोजगारी मे अप्रत्याशित वृद्धि हुई है | कई कम्पनियों ने न केवल अपने  कर्मचारियों की सैलरी मे कटौती शुरू कर दी है बल्कि कई कंपनियाँ सैलरी देने से मना कर रही है | असंगठित क्षेत्र जहां पर सबसे अधिक रोजगार मिलता है वहाँ सबसे दयनीय स्थिति है | स्वरोजगार करने वाले लोग 30 दिन से अधिक अवधि से घर पर बैठे है | सेंटर फार मोनिटेरींग इंडियन एकोनोमी (सीएमआई) का दावा है की देश मे बेरोजगारी दर 26 प्रतिशत से अधिक पहुँच चुकी है इसके प्रभाव से 14 करोड़ से अधिक लोग अपनी नौकरी गवां चूके है | गावों मे पहली बार शहरों से अधिक बेरोजगारी हुई है | यानि की देश के प्रत्येक नागरिक पर कोरोना वायरस की इस महामारी का आर्थिक रूप से बड़ा  नुकसान पहुचना तय है |

क्या आपको पता है देश मे एक ऐसी भी कम्पनी है जिसमे रेलेवे के बाद सबसे अधिक लोगों को रोजगार देने की क्षमता है | देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने खुले मंच से उस कम्पनी की प्रसंशा की थी | पिछले 42 वर्षों से अधिक समय से यह कम्पनी देश मे मौजूद है, आज भी लाखों लोगों को रोजगार दिया हुआ है | अनेकों परिवार की रोजी-रोटी इस कम्पनी की वजह से चल रही है | अनेकों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया है | करोड़ों लोगों की धनराशि कम्पनी मे निवेशित है | चार दशकों से अधिक समय मे करोड़ों लोगों को अरबों रुपये का भुगतान किया है | शिक्षा और ए-कॉमर्स मे तेजी से आगे बढ़ रही है | इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों का कारोबर तेजी से बढ़ा रही है | वित्तीय क्षेत्र मे विभिन्न वित्तीय कार्य के साथ-साथ, जीवन बीमा क्षेत्र मे और हाउज़िंग फाइनैन्स के क्षेत्र मे कार्यरत है | इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र मे कई बड़े प्रोजेक्ट पूरे करके जनता को दिए है आज भी इस क्षेत्र मे बड़े लैंड बैंक के साथ न केवल कार्यरत है बल्कि पुणे मे कई एकड़ की जमीन की मौजूदगी का मूल्य अकेले कई हजार करोड़ रुपये से अधिक है | मीडिया मे विभिन्न समाचार चैनल्स, प्रिन्ट मीडिया मे कई क्षेत्रों से एक साथ समाचार पत्र का प्रकाशन, और मनोरंजन मे कई चैनलों के साथ – साथ कार्यरत है | होटल व्यवसाय मे न केवल देश मे बल्कि विदेश मे भी कार्यरत है | देश की पहली निजी कम्पनी है जिसके संस्थापक ने पैसों से अधिक जन को महत्व दिया है और देश को हमेशा सहयोग किया हुआ है | राष्ट्रीयता इस कम्पनी के सभी लोगों के खून मे है | जी हम बात कर रहे है विश्व के सबसे बड़े परिवार “सहारा इंडिया परिवार” की |

आज की विषम परिस्थिति मे जहां बड़ी से बड़ी कंपनियाँ अपने अस्तित्व को बचाने मे लगी है वही इस कम्पनी पर लोगों का विश्वास और दशकों से देश के सभी क्षेत्रों मे कार्यरत होना अपने आप मे सबसे न केवल अलग करता है बल्कि जनता से सीधे जुड़ा हुआ भी प्रमाणित करता है | विगत के कुछ वर्षों मे मात्र अधिकारों और नियमों का हवाला देते हुए इस कम्पनी की कई मुख्य कार्यों पर न केवल नियंत्रण लगाया गया, बल्कि आज करोड़ों रुपये इस कम्पनी के सरकारी बैंक खाते मे मौजूद है | ग्राहकों के हितों को सुरक्षित करने के नाम पर कई परेशानियों को न केवल कम्पनी, बल्कि इससे जुड़े लोग उठा रहे है | निवेशकों को भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है |  संस्थापक ने अपने निवेशकों और कम्पनी के हितों के लिए जेल जाने से भी गुरेज नहीं किया | देश की वर्तमान अर्थव्यवस्था की जरूरत को समझ कर सरकार को इस कम्पनी के स्थिर पड़े करोड़ों रुपये न केवल इन्हे वापस किए जाने चाहिये बल्कि विभिन्न सहयोग प्रदान कर देश की अर्थव्यवस्था मे मजबूती से कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाना जाना चाहिये | इस कार्य के होने से न केवल लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि आम आदमी की हिस्सेदारी से देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा | साथ ही बेरोजगारी मे कमी आएगी | कोई भी नई कम्पनी या पहले से कार्यरत कम्पनी के द्वारा इनकी भरपाई करना असंभव है |

आज की व्यावसायिक आवश्यकता और महामारी के वजह से नुकसान की पूर्ति हेतु सहारा इंडिया परिवार जैसी कम्पनियों को पुनः अवसर दिया जाना चाहिये, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को आम लोगों को जोड़ते हुए रोजगार के साथ – साथ श्रम का भी सही उपयोग, गावों और शहरों के लोगों का हो सकें | कोई भी नियम कानून देश और जनता के हित से ऊपर नहीं हो सकते | यदि इस कम्पनी मे लोगों का विश्वास न होता तो चार दिन तक चलना मुश्किल होता | चार दशकों से अधिक समय से मौजूदगी अपने आप मे यह प्रमाणित कर रही है की देश को इस कम्पनी की जरूरत है | विभिन तरह के नियामक, और अधिकारीयो को इस बात पर विशेष बल देना चाहिये की स्वदेशी कम्पनी को बढ़ावा दिया जाए अन्यथा विषम परिस्थिति होने पर देश को विदेशी कम्पनियों और विदेशी निवेश पर निर्भर रहना पड़ेगा | जो देश के लिए ठीक नहीं है |
drajaykrmishra@gmail.com

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